
Jalal Al Din Rumi: The Poet Of Love And Spirituality
फारसी साहित्य के महान लेखक जलालुद्दीन रूमी ने अपनी गजल और कविताओं से जो पहचान बनाई है, उसे मिटा पाना नामुमकिन है। यह महान मुस्लिम कवि, सूफी संत, इस्लामी विद्वान, धर्म विज्ञानी और न्यायवादी थे। वैसे तो इन्होंने हजारों कविताएं और गजलें लिखी हैं। लेकिन सबसे प्रसिद्ध काव्यात्मक कृति मसनवी है।
इस कृति में लगभग 50000 छंद हैं, जिसमें इन्होंने इंसानी जिंदगी को अच्छे से समझाया है। इनके द्वारा की गई रचनाओं से लाखों लोगों को जीने की नहीं राह मिली है। इन्होंने प्रेमियों के लिए भी कई गजल और कविताएं लिखी हैं। इसके अलावा यह एक समाजवादी इंसान भी थे। इन्होंने हमेशा समाज की भलाई के लिए कई काम भी किए हैं। इस पोस्ट के जरिए हम आपको जलालुद्दीन रूमी का जीवन परिचय (Jalal Al Din Rumi Biography) बताने वाले हैं।
मोहम्मद जलालुद्दीन रूमी का जीवन परिचय | Jalal Al Din Rumi Biography In Hindi
असली नाम | मौलाना मोहम्मद जलालुद्दीन रूमी |
जन्म | 30 सितंबर 1207 |
मृत्यु | 17 दिसंबर 1273 |
उम्र | 66 वर्ष |
जन्म स्थान | बालखं, फारस साम्राज्य |
पेशा | मुस्लिम कवि, न्यायवादी, सूफी संत, इस्लामी विद्वान और धर्म विज्ञानी |
राष्ट्रीयता | अफगानी |
धर्म | इस्लाम धर्म |
सम्प्रदाय | सुन्नी |
शौक | कविताएं लिखना |
- जलालुद्दीन रूमी की इफ्तिताही कहानी | Jalal Al Din Rumi Initial Journey
- जलालुद्दीन रूमी की इब्तिदाई ज़िन्दगी, बचपन और खानदान। Earlier Life, Jalal Al Din Rumi Childhood, Family and Love Story
- जलालुद्दीन रूमी की प्रमुख कविताएं | Jalal Al Din Rumi Famous Poetry
- Ꮲata hai, yahan se bahut door, Galat aur sahi ke paar ek maidan hai.. Ꮇain wahan milunga tujhe
- जलालुद्दीन रूमी की जाती दुनिया | Jalal Al Din Rumi Personal World
- जलालुद्दीन रूमी का परिवार । Jalal Al Din Rumi Family
- जलालुद्दीन रूमी आज भी हैं सबसे प्रसिद्ध कवि | Jalaluddin Rumi is Still the Most Famous Poet
- जलालुद्दीन रूमी महान शख्सियत थे | Jalaluddin Rumi Was a Great Personality
जलालुद्दीन रूमी की इफ्तिताही कहानी | Jalal Al Din Rumi Initial Journey
जलालुद्दीन रूमी की शुरुआती ज़िंदगी, शिक्षा और संघर्ष के बारे में जानेंगे, कैसे विश्व के महान कवि बने।
जलालुद्दीन रूमी की इब्तिदाई ज़िन्दगी, बचपन और खानदान। Earlier Life, Jalal Al Din Rumi Childhood, Family and Love Story
जलालुद्दीन रूमी का जन्म 1207 ई. में ताजिकिस्तान के छोटे से गांव वख़्श में हुआ था। यह इलाका लगभग 2500 किलोमीटर तक फैला हुआ है। अपने परिवार के साथ कुछ समय यहां बिताने के बाद यह उजबेकिसतान में समरकंद में रहने लगे थे। इसके बाद यह ईरान और फिर सीरिया चले गए थे।
रूमी ने अपनी पढ़ाई दमिश्क और एलेप्पो से ही पूरी की है। आखिर में यह तुर्की के कोन्या में रहने लगे थे और लगभग अपनी जिंदगी के 50 साल इन्होंने यहीं पर गुजारे हैं। आखिर में उनकी मृत्यु भी इसी जगह पर हुई थी। जलालुद्दीन रूमी ने अपने आसपास और अपनी जिंदगी में जिन चीजों को महसूस किया है, उनसे इन्हें गजल और कविताएं लिखने की प्रेरणा मिली है।
जलालुद्दीन रूमी की प्रमुख कविताएं | Jalal Al Din Rumi Famous Poetry
जलालुद्दीन रूमी के द्वारा प्रेम और ईश्वर भक्ति से संबंधित कहानी और कविताएं लिखी गई हैं। इन्होंने अपनी कविताओं में तुर्की और कम ग्रीक भाषा के अलावा अरबी और फारसी का उपयोग भी किया है। रूमी ने अपनी कविताओं में प्रेम और ईश्वर भक्ति को शामिल किया था। इनकी प्रसिद्ध कविता में से एक दीवान-ए शम्स है। इनके द्वारा लिखी गई कुछ कविताओं को सूफी संगीत समारोह में भी गाया जाता है। इतने साल बीत जाने के बाद भी इनके द्वारा लिखी गई कविताओं और रचनाओं को आज भी दुनिया याद करती है।
Ꮲata hai, yahan se bahut door, Galat aur sahi ke paar ek maidan hai.. Ꮇain wahan milunga tujhe

पता है , यहाँ से बहुत दूर, गलत और सही के पार, एक मैदान है.. मैं वहां मिलूंगा तुझे…
तुम, तुमसे मिलना, तुम्हारे बारे में सोचना, सारी दुनिया भर के काम छोड़ कर तुमसे मिलना,
जो कभी नहीं किया, वो करना… सब,
सब गलत है… लेकिन अगर गलत है तो गलत लग क्यूँ नहीं रहा..
कहाँ है ये सही और गलत…? जहां मैं हूँ, वहां से कुछ सफ़ेद या काला नहीं है…
सब कुछ, कई रंगों का है, सब कुछ, हर पल , नया रंग ओढ़ता है..
सब कुछ…. सही भी है, और गलत भी…
मेरी सारी दुनिया ही, उस सही और गलत के पार का मैदान है…
और यहाँ, इस मैदान में, मुझे वो सब लोग मिलते हैं, जो मेरी तरह, सबरंग में देखते हैं..
सब की आँखें ख़राब हैं… दिमाग भी… सब एक जैसे हैं…
सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका जैसे बड़े देशों में भी उनकी कविताओं को पढ़ा जाता है। इनकी कविताओं की खास बात यह है कि जो भी इनकी कविताएं या ग़ज़ल पढ़ता है, तो उसे कुछ ना कुछ जरूर सीखने को मिलता है। प्रेमी और प्रेमिकाओं के लिए भी इन्होंने कई गजल और कविताएं लिखी हैं। इनकी कविताओं से यह साफ-साफ समझ आता है कि यह दो प्रेमियों के मिलन को उत्साह के रूप में माना करते थे।
जलालुद्दीन रूमी की जाती दुनिया | Jalal Al Din Rumi Personal World
जलालुद्दीन रूमी के पिता शेख बहाउद्दीन अपने समय के इस्लामिक स्कॉलर हुआ करते थे। फ्रांस के अमीर और विद्वान लोग इनके उपदेश सुना करते थे और फतवे लेने भी आया करते थे। जब इनकी उम्र 18 वर्ष थी, तो इनकी शादी हो गई थी। इन्होंने दो निकाह किए हुए थे। पहली पत्नी से इन्हें दो बेटे थे, जिनके नाम सुल्तान वलद और इलाउद्दीन चलाबी थे। दूसरी पत्नी से इन्हें एक बेटा था, जिसका नाम आमिर अलीम चलाबी था। दूसरी पत्नी से इन्हें एक बेटी भी थी, जिसका नाम मालकेह खातून था।
जलालुद्दीन रूमी का परिवार । Jalal Al Din Rumi Family
पिता का नाम | शेख बहाउद्दीन |
पहली पत्नी का नाम | गौहर खातून |
बेटे का नाम | सुल्तान वलद, इलाउद्दीन चलाबी, आमिर अलीम चलाबी |
बेटी का नाम | मालकेह खातून |
जलालुद्दीन रूमी आज भी हैं सबसे प्रसिद्ध कवि | Jalaluddin Rumi is Still the Most Famous Poet
जलालुद्दीन रूमी के द्वारा लिखी गई गजलों और कविताओं को आज भी याद किया जाता है। अमेरिका में नेशनल लाइब्रेरी सीरीज में जलालुद्दीन रूमी को भी जगह दी गई है। यानी यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि समय और संस्कृति में बदलाव के कारण भी रूमी की रूबाईयां की लोकप्रियता आज भी कम नहीं हुई है।
इनकी ग़ज़ल और कविताएं प्रेम भाव से जुड़ी हुई हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि मौजूदा समय में अमेरिका में सबसे ज्यादा बिकने वाली शायरी जलालुद्दीन रूमी की ही है। रूमी की कल्पना में चंचलता और प्रेमभाव साफ-साफ नजर आता है।
जलालुद्दीन रूमी महान शख्सियत थे | Jalaluddin Rumi Was a Great Personality
जलालुद्दीन रूमी की मृत्यु 17 दिसंबर 1273 को हो गई थी। यह महान कवि और गजल लेखक होने के अलावा काफी अच्छे इंसान भी थे। यह हर धर्म को एक समान मानते थे। यही वजह है कि जब उनकी मृत्यु हुई, तो जिस समय इन्हें दफनाया जा रहा था उस समय सिर्फ मुस्लिम धर्म के लोग ही नहीं, बल्कि हिंदू व अन्य धर्म के लोग भी शामिल हुए थे।
बीते कई सालों में बार्क्स के द्वारा रूमी की रचनाओं का ट्रांसलेशन किया गया है। लगभग 23 भाषाओं में इनका ट्रांसलेशन किया जा चुका है। इनमें रूमी: द बिग रेड बुक, द इंसेशिएल रूमी, एन ईयर विद रूमी और रूमीस फादर्स स्पिरिच्यूयल डायरी, द ड्राउनड बुक शामिल हैं। इनका प्रकाशन हार्परवन ने किया है। इन किताबों की 20 लाख से ज़्यादा कॉपीज बिक चुकी हैं।
जलालुद्दीन रूमी के बारे में कुछ सवाल | FAQ
मौलाना रूमी का असली नाम क्या है?
मौलाना रूमी का असली नाम मौलाना मोहम्मद जलालुद्दीन रूमी है।
जलालुद्दीन रूमी कौन सी भाषा का इस्तेमाल करते थे?
जलालुद्दीन ज्यादातर फारसी भाषा का इस्तेमाल किया करते थे। लेकिन कभी-कभी इन्होंने अरबी और तुर्की भाषा का भी उपयोग किया है।
जलालुद्दीन रूमी की रचनाओं की खास बात क्या है?
जलालुद्दीन रूमी की रचनाएं प्रेम, समाज, नैतिकता, धर्म और मानवता से जुड़ी हुई हैं।
मौलाना रूमी का सबसे अच्छा अनुवाद कौन सा है?
चिटिक, निकोलसन और बार्क्स इनका सबसे अच्छा अनुवाद है।