फोन कॉल: एक कॉल से परवान चढ़ती मोहब्बत की दास्तान

"पढ़ें एक सच्ची प्यार भरी कहानी जो एक फ़ोन कॉल से शुरू हुआ। यह अद्भुत कहानी एक युवक और लड़की के बीच हुई है, जो आपके दिल को छू जाएगी।"
Phone Call

फोन कॉल: एक कॉल से परवान चढ़ती मोहब्बत की दास्तान

यह कहानी है, अबान और सनम की, जो शरू होती है एक Phone Call से। यह एक कॉल इन दोनों को करीब ले आती है। हमारी यह कहानी जो देखने में सामान्य लगती थी लेकिन दो जिंदगियों को हमेशा के लिए बदलने वाली थी। उनकी बातचीत के पहले कुछ मिनटों में ही कुछ जादुई घटित हुआ। उनकी आवाज़ें आपस में जुड़ गईं, जिससे एक ऐसा बंधन बन गया जिसे केवल शब्दों से समझाया नहीं जा सकता।

तो, पढ़ें एक सच्ची प्यार भरी कहानी जो एक फ़ोन कॉल से शुरू हुआ। यह अद्भुत कहानी एक युवक और लड़की के बीच हुई है, जो आपके दिल को छू जाएगी।


फ़ोन कॉल से शुरू हुआ रिश्ता : Love Blossoms with A Phone Call

बाहर तेज़ बारिश हो रही थी. मौसम मैं अजीब सी कशिश थी. आबान अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ा था. वो अपने ख़यालों मैं डूबा था की तभी उसका मोबाइल बोल उठा. मोबाइल की घंटी ने उसके ख़यालों को तोड़ दिया. उसने फोन उताया, अननोन नंबर था. कॉल रिसिव की.

आबान – हेलो, कौन बोल रहा है ?

सनम – मेरा नाम सनम है.

आबान – आप को किससे बात करनी है ?

सनम – जी आप से.

आबान – माफ़ कीजिए मैं आपको नहीं जानता. आपको मुझसे क्या बात करनी है, जल्दी बताइए.

सनम – क्यों इतना नाराज़ हो रहे हैं. फोन ही तो किया है. आप इस तरह बात करते है!

आबान – माफ़ कीजिएगा असल मैं मैं अनवॉंटेड कॉल्स से परेशान हूँ. जब देखो कोई क्रेडिट कार्ड ले लीजिए, मॅरिज बूएरो तक से कॉल आती हैं. एट्सेटरा एट्सेटरा.  बस किसी और का गुस्सा आप पर निकाला.

सनम खिल खिला कर हस्ने लगी. उसकी हँसी मैं एक अजीब सी कशिश थी.

सनम – शादी तक के लिए पूछ डाला. काफ़ी बढ़िया किस्मत है आपकी. यहाँ आज तक किसी ने कभी कोई ऑफर तक ना दिया. ख़ैर मेरी तो किस्मत ही खराब है.

आबान – किस्मत को क्यों बुरा कह रही हैं आप. जो है वो उपर वाले का करम है. वैसे आपने अभी तक यह नहीं बताया की कॉल किस लिए किया और यह नंबर आपको कैसे मिला?

सनम – आपकी तो सुई अटक गयी है. सुस्पेंसे ख़तम कर देती हूँ. बोर हो रही थी. तो मैने एक नंबर मिलया रॅंडम्ली और आपके फोन की घंटी बाज गयी. अब आप मुझ से बात करेंगे या नहीं ? बस नॉर्मल बात. आप अपने बारे मैं बताइए. मैं अपने बारे मैं बताती हूँ. मज़ा आएगा.

आबान – आप क्या बात करना चाहती हैं और यह बताइए किसी अंजान आदमी से क्यों करना चाहती हैं.

सनम – काफ़ी बड़ी बड़ी बातें करते हैं आप. लेकिन मुझे अंजान लोगों से दोस्ती करने मैं मज़ा आता हैं. मेरे फ़ेसबुक और ट्विटर के अकाउंट मैं ढेर सारे दोस्त हैं. दोस्ती तो बढ़ कर की जाती है. मेरा मानना है की हमेशा पहेल खुद करो. जब तक आप किसी से बात करते नही तब तक उसको जान भी नही सकते. दोस्ती और प्यार इस दुनिया का सबसे कीमती दौलतहैं. यूँ सोच लीजिए हुमारी दोस्ती शुरू हो रही है.

आबान चुप हो गया. सनम की दलील मे दम था. आबान रिज़र्व रहता था. लोग उसको घमंडी समझते.कॉलेज मैं किसी लड़की से दोस्ती नहीं की.लड़कियाँ उसको हिट्लर कहती. आज एक लड़की उसको कॉल कर के परेशान कर रही थी. और वो फोन कट नहीं कर पा रहा था. पहली बार किसी आवाज़ ने उसके दिल को हिलाया था. एक अंजान आवाज़ ने, जो एक अंजान लड़की की थी.

सनम – हेलो, आप कुछ बोलते क्यों नहीं. इतना भाव खाने वाला बंदा नहीं देखा. एक खूबसूरत लड़की जिसको दिन रात मेसेज आते हैं की बे मी गर्लफ्रेंड एट्सेटरा एट्सेटरा, उसको आप भाव नहीं दे रहे?

आबाब – सॉरी असल मैं ज़रा रिज़र्व टाइप का इसनान हूँ. वैसे आप तो कह रही थी की आपको कोई कॉल नहीं करता फ्रेंडशिप के लिए फिर अभी आप कह रही थी की सारे दिन मेसेज आते हैं.

सनम – वो तो मैं आपको भाव दे रही थी की आप कितने जबरदस्त बंदे हो. खैर आप बताइए की आप क्या करते हैं. कहाँ रहते हैं. कितनी गर्लफ्रेंड्स है आपकी एट्सेटरा एट्सेटरा.

आबान सोचने लगा की कमाल की लड़की है. मुझे जानती है ना समझती है. दोस्त होने का दम भर रही है, पर पता नहीं यह दिल इससे बात करना चाहता है.

सनम – अगर आप नहीं बात करना चाहते तो ना सही. इस खूबसूरत बंदी से बात करने वालों की कमी नहीं है. बाइ- बाइ !

और फोन कट गया. आबान अजीब सी कशमकश मे था की यह क्या हुवा. आज तक उसको कभी ऐसा महसूस नहीं हुवा. पता नहीं क्या बात थी इस लड़की की अजीब सी बातों मैं, की आबान जैसे उसकी तरफ झुक गया था. वो उससे बात करना चाहता था. आज वो एक अंजान लड़की से बात करना चाहता था. जिसे वो न तो जनता था ना मिला था.  पर उस लड़की ने सिर्फ़ एक छोटे से कॉल से उसको अपनी तरफ झुका लिया था. आज एक फोन कॉल ने उसको अंदर से हिला दिया.  

उसने फोन उताया और कॉल बॅक किया. कॉल कनेक्ट हुई. पर रिसिव नहीं हुई. करीब सात कॉल्स के बात जब फोन नहीं उठा तो उसने फोन रख दिया. तभी उसके डोर पर नॉक हुवा. उसने दरवाज़ा खोला. तो देखा उसकी अम्मी खड़ी थी.

अम्मी- आबान बेटा आज आप नीचे नहीं आए. सब ठीक है ना ?

माँ भी एक अलग ही नेमत है उपर वाले की. औलाद की फिकर हमेशा रहती है. चाहे वो कितना भी बड़ा क्यूँ ना हो. माँ और उसका दर्जा तभी इस दुनिया मैं सबसे उचा है.

आबान – कुछ बात नहीं है अम्मी. मैं ठीक हूँ. मैं बस एक फोन कर रहा था , जो रिसिव नहीं हो रहा. आप चलिए मैं नीचे आता हूँ. यह बताइए की चाय के साथ अपने फुल्की बनाई हैं न!

अम्मी – मुझे पता है की तुम फुल्की के बगैर बारिश मे चाय नहीं पीते. जल्दी आ जाओ सब त्य्यार है.

फ्रेश हो कर उसने फोन उठाया और नीचे आ गया. अम्मी के साथ उसने शाम की चाय पी. अभी तक वो सनम को दिमाग़ से निकल नहीं पाया था. अजीब लग रहा था उसको. ना उसने कोई ख़ास बात करी फिर भी उसका दिल इस लड़की से बात करना चाहता है.


आबान उठा और उसने अपना कंप्यूटर ऑन किया. कुछ ए-मेल को रिप्लाइ किया. ना जाने क्यूँ उसने अपना फ़ेसबुक अकाउंट लोजीन किया. शायद जबसे उसका प्रोफाइल बना था तब से एक या दो बार ही गया होगा साइट पे. कई फ्रेंड रिक्वेस्ट्स थी. एक प्रोफाइल पर वो रुका. प्रोफाइल एक लड़की की थी. नाम था सनम. कुछ तीस मिनिट्स पहले रिक्वेस्ट आई थी. एक खूबसूरत लड़की की फोटो लगी थी. उसने रिक्वेस्ट आक्सेप्ट कर लिया.

कुछ देर बाद उसने फिर फोन उठाया. कॉल किया और फोन रिसिव हो गया.

आबान – हेलो आप सनम बोले रही हैं ?

सनम – नहीं चुड़ैल बोल रही हूँ. आपका कॉल, दोज़ख़् मे लगा है. मैं यहाँ की हेड चुड़ैल बोल रही हूँ.

जवाब मैं आबान हँसने लगा.

सनम – यह क्या हो गया तुमको. कहीं तुम पागल तो नहीं हो और मैने पहले किसी पागल कहने का नंबर तो डाइयल नहीं कर दिया था. अब मेरा क्या होगा. रोज़ पागलों के फोन आएँगे. या मेरे खुदा अब मेरा क्या होगा!

आबान – मैं पागल नहीं हूँ , बस आपके जवाब पर हँसी आ गयी थी.

सनम – हर पागल यही कहता है की वो पागल नहीं है.

आबान – छोड़िए यह फालतू की बात. अपने एक दम फोन रख दिया था?

सनम – हाँ रख दिया था मेरा फोन मेरा मूड. और वैसे भी आप क्यों मुझे कॉल कर रहे थे, आप तो अंजान लोगों से बात भी नहीं करते.

आबान – फिर आपने अब क्यों उठाया फोन ?

सनम – तुम्हे यह बताने के लिए की जनाब अब कॉल ना करना. मुझे भी अंजान लोगों से बात नहीं करनी है.

आबान – पर अब तो हम दोस्त हैं. आपकी रिक्वेस्ट भी मैने आक्सेप्ट कर ली है.

सनम – तो क्या अपने मुझ पर एहसान किया है. मैं अभी आपको रिमूव कर देती हूँ अपने अकाउंट से. मुझे ऐसे लोग पसंद नहीं जो दोस्ती करने मैं इतना भाव खाते हैं.

आबान – सॉरी सनम. मुझसे ग़लती हो गयी. अगर मुझे बात ना करनी होती तो क्या मैं आपको कॉल करता. आप बताइए.

आबान को मालूम नही क्या हुवा था की वो बिना किसी वजह सनम से माफी माँगने लगा. अभी कुछ देर पहले ही तो उसकी बात हुई थी या कहिए की हल्की बहेस. अब वो सनम से बात करना चाहता था और उसको जानना चाहता था. अपनी ज़िंदगी के इतने साल उसने कभी ऐसा महसूस नही किया था. एक अजीब स एहसास था जो उसको समझ नही आ रहा था. बस वो सनम की तरफ झुका जा रहा था.

 ऐसा नही था की वो किरदार से अच्छा नही था. उसका किरदार बहुत पाक था. लोग उसकी इज़्ज़त करते थे. बस वो हुमेशा रिज़र्व रहता था. क्यूँ ! इसका जवाब तो मुश्किल हैं. बस यूँ ही था उसका मिजाज़.

सनम कुछ सोचते हुवे अंदाज़ मे बोली – ह्म्‍म्म्म बात मैं दम है आपकी. लेकिन आपको सज़ा मिलेगी. आपको उठक बैठक करनी पड़ेगी.

आबान – मंज़ूर है पर फोन पर उठक बैठक कैसे करूँ, चुड़ैल आंटी ?

सनम ने बनावटी गुस्से से बोला – क्या बोला तुमने मुझे ? चुड़ैल ! अभी फोन से निकल कर तुम्हारा खून पीती हूँ.

आबान – खुसकिस्मत होंगे हम जो आप जैसी खूबसूरत चुड़ैल के हाथों मारे जाए !

सनम – या मेरे खुदा अब आप फ्लर्ट करने लगे. खैर आप ऑनलाइन आए और हम वीडियो कॉल पर आपकी उठक बैठक को देखते हैं.

आबान ने वेब सेशन कनेक्ट किया और अब दोनो आमने सामने थे.

हाँ तो अब आप आचे लड़के की तरह आपने कान पकड़ कर स्टार्ट हो जाइए. सनम ने हेस्ट हुवे ऑर्डर दिया

आबान – कितनी तक करनी है. यह तो बोलो चुड़ैल आंटी.

सनम – मेरी मर्ज़ी , मुझे जब लगेगा तब रोक दूँगी. चलो बातें बंद और उठक बैठक शुरू करो.

सनम – ठीक से करो, फर्स्ट टाइमर हो क्या. स्कूल मैं कभी नहीं किया क्या ?

आबान – वो क्या है ना चुड़ैल आंटी की मैं स्कूल मैं अच्छा बच्चा था. सो मुझे आइडिया कम है इन सबका.

सनम – ठीक है ठीक है. करते रहो, बड़े आए अच्छे बच्चे. चलो 20 बार करो. मेरा मूड आज कम खराब है, वरना 100 तो पक्का करवाती तुमसे.

आबान – जी मेरी किस्मत अच्छी थी जो मैं आपके गुस्से का ज़यादा शिकार नहीं हुआ!

दो दिलों का नज़दीक आना, एक फ़ोन कॉल के जानिब से!

रात का खाना खाने के बाद, आबान अपने काम मैं मसरूफ हो गया. अबान रात मैं ही काम करता था. उसको रात का सन्नाटा अच्छा लगता था. काम करते करते एक दम से उसको सनम की याद आयी. कोई रात का ३ बज रहा था. 

उसने फेसबुक चेक किया तो देखा सनम अभी ऑनलाइन थी. उसने उसको पिंग किया। २ मिनट बाद उसका रिप्लाई भी आया. 

सनम – अरे आप अभी तक जाग रहे हैं ? नींद नहीं आ रही या आपको भी हमारी तरह रात मैं जागने का शौक़ है?

आबान – असल में मैं रात को काम करना पसंद करता हूँ. रात मैं सुकून रहता है और की डिस्टर्ब भी नहीं करता।

सनम – अच्छा तो आप काम कर रहे हैं. क्या काम करते हैं आप ?

आबान – जी फॅमिली का बिज़नेस है. इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग का. और आप क्या करती हैं. कुछ बताइये अपने बारे में। 

सनम – अब दोस्ती की है तो बताना भी है. चलो हम अब तुमको अपनी कहानी सुनते हैं. हमारा नाम सनम है और हम पुरे 24 इयर्स के हैं. घर मैं पापा मम्मी और हम. खानदान मैं बिलकुल इकलौती लड़की, तो सबकी  प्यारी और लाड़ली हूँ मैं ! सब हमको प्यार करते हैं और हमारे लाड उठाते हैं. अभी हमने अपना फैशन डिजाइनिंग का कोर्स ख़तम किया है और हम अब अपना वर्क स्टार्ट करने वाले हैं. प्लानिंग चल रही है. 

अब आप बताइये अपने बारे में कुछ.

आबान – मेरा नाम आबान है और मैं पुरे ३० साल का हो गया हूँ. पापा और अम्मी के साथ रहता हूँ. मैं भी इकलौता हूँ, कोई और नहीं है. मैं पापा के साथ काम में हेल्प करता हूँ. फॅमिली का बिज़नेस है. इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग का. 

सनम – यह सब छोड़ो यह बताओ की गिर्ल्फ्रेंड्स कितनी हैं जनाब की.

आबान – एक भी नहीं.

सनम – झूठ बोलते हो तुम. ऐसा नहीं हो सकता। आज कल लड़के बिना गर्लफ्रेंड के नहीं रहते। हमको सब पता है दुनिया देखी  है हमने।

आबान – अब आपको नहीं यकीन तो मैं कुछ नहीं कर सकता। जो सच था बता दिया। बस हर इंसान की ज़िंदगी सेम नहीं होती.

सनम – अरे आप फिर सीरीयस हो गये. मुझे आपकी बात पर यकीन है. इतना जल्दी बुबुरा न माना करिये जनाब ए आली. जल्दी सीरीयस हो जाते हो. गुस्सा नाक पे रखते हो तुम.

आबान – मेरा नेचर ऐसा है . प्यार हर कोई चाहता है पर किसी की किस्मत मैं होता है तो किसी की किस्मत मैं नहीं. कुछ को मिलता है तो वो उसको समझ नहीं पाते, और कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चाह कर भी प्यार नहीं कर सकते. उनको ज़िंदगी कई मौके पर प्यार का तोहफा देती है पर वो बदकिस्मत उसको क़ुबूल नहीं कर सकते. उनकी किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती.

सनम – अरे ऐसा भी नहीं होता और किसी की किस्मत इतनी बेकार नहीं होती.

आबान – होता है ऐसा. मैने करीब से महसूस किया है. खैर  छोड़ो यह बोरिंग टॉपिक.

आबान ने सफाई से टॉपिक को चेंज किया और फिर वो दोनो एक दूसरे से इधर उधर की बात करने लगे. कोई सुबह के जब फजिर की अज़ान की आवाज़ से उनको पता चला की वक़्त क्या हुवा है.

आबान – चलिए मैं अब नमाज़ पढ़ने जा रहा हूँ. फिर थोड़ा रेस्ट करके ऑफिस जाऊंगा। फिर मिलते हैं जल्दी ही. इन्शाह अल्लाह।

सनम – जी बिलकुल हम आपका इंतेज़्ज़र करेंगे। अल्लाह हाफिज।

यह सिलसिला चल निकला. रोज़ दोनो फोन पर या वेब कॉल पर खूब बात करते। सनम उसको खूब हँसा हँसा के लोट पॉट कर देती। उसके पास किस्से बहुत रहते थे. अउ सब एक से बढ़ कर एक. आबान अब खुश  रहने लग था . उसके चेहरे पर ताज़गी रहने लगी. ज़िन्दगी मैं पहली बार उसको एक अलग तरह की खुसी मिल रही थी. ऐसा नहीं था की वह पहले खुश नहीं था. पर यह कुछ अलग एहसास था.

आबान को खुश देख कर उसकी अम्मी बहुत खुश थी. एक सुबह वह उससे बोली हम आप को खुश देख कर काफ़ी अछा महसूस कर रहे हैं. ज़माने हुए जो आप के चेहरे पर यह ताज़गी आए. बेटा हम आपसे रीज़न नहीं पूछेंगे. बस बेटा हम चाहते हैं की आप हमेशा ऐसे ही रहे.

आबान – अम्मी, मैं भी यही चाहता हूँ और यह भी चाहता हूँ की आप भी परेशान न हुवा कीजिये। यह सब किस्मत है और कुछ नहीं। हम सब किस्मत के आगे कुछ नहीं। 


आबान की बात मैं हल्का सा दर्द था पर एक सुकून भी था. उसकी अम्मी भी अब सबर कर चुकी थी. जानती थी की सब किस्मत का खेल है. जिसके आगे कुछ ज़ोर नहीं चलता किसी का.

आबान ऑफिस मैं था की फ़ोन ने वाइब्रेट करना शुरू किया। देखा तो  सनम का कॉल था. उसने कॉल रिसीव किया।

सनम – मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ. क्या तुम हमसे मिलोगे ?

आबान – क्या बात है. आज एक दम से मिलना है. कोई ख़ास बात ? ऐसा क्या हुवा जो हमसे मिलने के लिए इतनी बेताबी ?

सनम – बस यही प्रॉब्लम हैं लड़को का. अपने आप ही उड़ने लगते हैं. बात यह है की आज मम्मी ने घर में खाना हमारी पसंद का नहीं बनाया है. इस लिए मेरी पसंद का खाना तुम मुझे खिलओयगे. बोलो हाँ या ना , वरना मैं तुम्हारा खून पी जाउंगीबिना डकार लिए. मुझे भूक लगी है.

आबान – चुड़ैल आंटी आपका फरमान सिर – आँखों पर. कहाँ आना होगा मुझे यह भी बता दो.

सनम – सिटी माल का फुड कोर्ट अच्छा  है. वही आजओ. साथ मैं चॉक्लेट का बड़ा डिब्बा, एक फूलों का गुलदस्ता और कोई अपनी पसंद का गिफ्ट लेते आना .

आबान – यह सब ? तुमको तो लंच करना है न ? फिर यह सब क्या करोगी?

सनम – पहली बार किसी लड़की से मिलने जा रहे हो. यह सब तो करना पड़ता है, तुम्हे कुछ नहीं आता. सब मुझे बताना पड़ता है. अब कोई सवाल नहीं 2:00 बजे मिलो.

आबान मुस्कुरा उठा. अजीब लड़की है. इतना हक़ जमा रही  है. आबान घर आया और फ्रेश हुआ. फिर रेडी हो के उसने शॉपिंग की. फिर 2:00 बजे वो फुड कोर्ट मैं बैठा टेबल पर इंतेज़ार कर रहा था. 2:30 बजे सनम ने फ़ूड कोर्ट पहुंची तो देखा आबान उसका इंतेज़्ज़र कर रहा था. 

सनम को देख कर आबान खुश हुवा और उसको देखता रह गया. वो जितनी खूबसूरत वेब चैट और फ़ोटो मैं लगती थी उससे में लगती थी उससे ज़यादा खूसूरत थी. आबान को लगा की जैसे वक़्त रुक सा  और वह किसी जन्नत की कोई हूर के सामने बैठा हो. 

सनम मुस्कुरा के बोली – ऐसे क्या घूर रहे हो मुझे। बोला था न की हम हेड चुड़ैल हैं , बेहद ख़तरनाक वाली। अब चलो और दिखाओ की क्या लाए हो तुम मेरे लिए. जल्दी से वरना जनाब की खैर नहीं।

आबान ने डरने वाले अंदाज़ मे कहा – अरे मुझे मरना थोड़े ही है. यह लीजिये आपकी खिदमत में क्या क्या लाया हूँ। 

आबान ने उसको उसके गिफ्ट्स दिखने लगा. सनम ने चॉकलते बॉक्स देखा और सफ़ेद और गुलाबी रोज़स का खूबसूरत गुलदस्ता देख बहुत खुश हुई . फिर उसने गिफ्ट खोला जिसमे एक खूबसूरत सा ड्रेस था.

सनम – बहुत खूब! जनाब की पसंद काफी अच्छी है. मुझे आपका अंदाज़ पसंद आया. आई होप की आप आगे भी हमको ऐसे ही गिफ्ट देते रहेंगे। क्यों देंगे ना ?

आबान – जी ज़रूर ! आपको सब अच्छा लगा तो मुझे भी खुशी हुई. अब आप क्या खाना पसंद करेंगी। 

अरे बड़ी भूक लगी है यार. इतना बोल कर सनम ने वेटर को बुलाया और खाने का ऑर्डर दिया.

खाने के बाद, आबान और सनम कुछ देर वहीं बैठे फिर कुछ देर मॉल में घूमे। शाम होने लगी  और मौसम भी काफी सुहाना होने लगा. 

घड़ी देखते हुवे आबान ने कहा की अब हमको चलना चाहिए। शाम होने वाली है और मौसम भी बदल रहा है. शायद बारिश हो सकती है. आप अगर इजाज़त दीजिये तो आपको घर छोड़ देता हूँ. 

सनम – हाँ तो और कौन छोड़ेगा। हमने ड्राइवर बाबा को घर जाने का बोल दिया था. अब आप को ही  मुझे घर छोड़ना है. यह समान उठाइए और चलिए. आबान ने कार में समान डाला और दोनो कार मैं बैठ गये. कार अभी तोड़ी दूर गयी थी की सनम ने कार रोकने को कहा. आबान ने कार साइड मैं लगा दी. शाम हो रही थी और हल्की बारिश शुरू हो गयी थी.

सनम – आबान हमको  बताइये। हम दोनों अभी कुछ दिन पहले एक दूसरे से अनजान थे. फिर हम दोनों मिले और आज  दूसरे को जानते हैं. पर हमारा यह रिश्ता  है क्या। कोई कमिटमेंट तो है नहीं। फिर भी आपसे बात करने  से अच्छा लगता  है. क्यों पता नहीं , पर यह एक अलग एहसास है. तुमको भी लगता है क्या ? 

आबान बोला – मुझे भी आपके साथ बात करना पसंद है. यह रिश्ता क्या है, अभी मैं कुछ नहीं कह सकता पर,  एक बात तो यक़ीन से कह सकता हूँ की  है, बहुत खूबसूरत  पाक है. 

सनम मुस्कुरा दी. आबान ने कार स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी. बारिश तेज़ होने लगी थी और  बौछारों को चीरते हुए कार आगे गयी. 


हमको तुम्हारी आदत लगने लगी है!

आबान आज घर पर ही था, कल रात ही वह मुंबई से वापिस आया था. बिज़नेस ट्रिप पे गया था. सो कर उठा था और कॉफी पी रहा था स्टडी मे। स्टडी मैं बैठा कुछ सोच रहा था की सनम का मैसेज आया. 

सनम – क्या हो रहा है जनाब?

आबान – कुछ ख़ास नहीं चुड़ैल आंटी, बस थोड़ा काम कर रहे थे. आप बताइये।

सनम – हम तो बस वेल्ले बैठए हुवे हैं. छै दिन हुवे, तुमने न कॉल की न मैसेज। क्या हुवा कोई बात हो तो बताओ। हमसे कोई खता हुई क्या ?

आबान – अरे नहीं ऐसा नहीं है. हम ज़रा काम मैं मसरूफ हो गए थे. पापा के साथ हम आउटस्टेशन गए थे. ऑफिस के वर्क से. वहाँ फुर्सत नहीं मिली।  कल रात ही तो ए है. आज आपको कॉल करता ज़रूर पर उससे पहले आपका मैसेज आ गया.

सनम – बहाना न बनाओ, अगर याद आ रही होती और कॉल करनी होती तो सुबह से कर सकते थे. जब हमने की तभी याद आयी.

आबान – अरे हम सच बोल रहे हैं. अभी घंटे भर पहले ही तो उठे हैं सो कर. 

सनम – सच बोल रहे हो ?

आबान – जी पक्का वाला सच.

सनम – चलो मान लेती हूँ और कर लेती हूँ तुमपे यक़ीन, पर एक बात सुन लो कान खोल के की अगली बार अगर ऐसा हुवा तो हम तुमसे कभी भी बात नहीं करेंगे। हमे बिना बताये अगर कहीं गए तो अच्छा नहीं होगा।

आबान – इतना गुस्सा आता है तुमको। यह हमको पता नहीं था. 

सनम – अभी गुस्सा देखा कब है तुमने, पकड़ कर कूट देते हैं हम जब हमको गुस्सा आता है.

आबान – अरे बाबा रे. मैं तो डर गया आपसे। 

सनम – एक बात बताये तुमको, हमको तुम्हारी आदत लगने लगी है. तुम इतने दिन मिसिंग रहे तो मुझे बड़ा अजीब लगा. हमको लगा की कहीं जो हमने तुमसे अपने रिश्ते के बारे में डिसकस किया था. हमको लगा की कही तुम यह न सोचो की अभी दिन ही कितने हुवे हैं, और सिर्फ एक मुलाक़ात मैं कौन रिश्ते की गहराई मैं जाता है. बस हम इसी वजह से परेशान थे. 

सनम एक दम से काफी संजीदा हो गयी थी. उसकी आवाज़ मैं फ़िक्र और नाराज़गी झलक रही थी. वह बिलकुल चुप हो गयी थी.

आबान ने पहली बार सनम का ऐसा रवैया देखा था. सनम कुछ अलग ही लग रही थी. हसने वाली लापरवाह सनम इतनी संजीदा भी हो सकती है, उसको अंदाजा नहीं था.

सनम ने अपनी ख़ामोशी तोड़ी। वह बोली आप फ्री कब होंगे। मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है. जिसका मेरे और आपके रिश्ते का वजूद टिका हुवा है. 

आबान बोला अरे इतना क्यों गुस्सा हो रही हो, कभी कभी होता है. मेरे दूसरे दोस्त भी कहते है की मैं गधे के सर पे सींग की तरह क्यों गायब हो जाता हूँ. और तुम प्लीज सीरियस मत हुवा करो. मुझे तुम्हारी पागल पाने वाली बातें ही पसंद हैं और तुम्हारी वजह से ही मैं इतनी सीरियस लाइफ मैं हंस लेता हूँ. 

सनम का मूड आज सीरियस ही था. वह बोली तो क्या आपके लिए मैं और बाकी सब दोस्तों मैं कोई फरक नहीं है. मैं सिर्फ इस लिए हूँ की आप बोर न हों ? मुझे लगा की हम दोनों का रिश्ता कुछ अलग है और वह कुछ मायने रखता है आपके लिए. पर आप तो उसको बाकी दोस्तों की तरह निबाह रहे हैं.

आबान के कुछ समझ नहीं आ रहा था की आज सनम क्यों इतना बदली बदली हुई है. इतना सीरियस क्यों है. कुछ सोचते हुवे वह बोला, मुझे माफ़ कर दो, मैं रिश्ते निभाने में इतना अच्छा नहीं हूँ. वजह है और बहुत बड़ी. ऐसा नहीं है की मैं सब रिश्तों को एक नज़र से देखता हूँ. पर जिस रस्ते पे तुम चल रही हो उस रस्ते पे चलने से मुझे बहुत दर लगता है. क्यों लगता है वह मैं तुमको बता देता हूँ. आज शाम को मिलते हैं सिटी मॉल में. 

सनम बोली ठीक है, मुझे भी आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है. इस रिश्ते का वजूद अब इन्ही बातों पे टिका हुवा है. 

यह कह के सनम ने फ़ोन रख दिया।


शाम ढलने वाली थी. आबान और सनम कॉफी हाउस मैं बैठे थे. आज अजब सी ख़ामोशी फैली थी फ़िज़ा मे. सनम ने बात शुरू की. 

सनम – आबान पहले तो मैं तुमसे माफी मांगना चाहती हूँ.

आबान – क्यों क्या हुवा। और आज तुम इतनी सीरियस क्यों हो?

सनम – मुझे पहले बोल लेने दो. एक बोझ है सायद एक गुनाह का. जो मुझसे अनजाने मैं हुआ है. मैने शुरू मैं तुमसे दोस्ती सिर्फ़ बदले के लिए की थी. मेरी एक कजिन हैं हिना । जानते तो होंगे ही. बचपन से तुम दोनों साथ रहे हो. काफी अच्छी दोस्ती थी तुम दोनों की. कॉलेज तक रही. जब उसने तुमसे अपने प्यार का इज़हार किया तो तुमने उसका दिल तोड़ दिया.

आबान – तुम हिना की बहन हो और यह सब तुमने मुझे परेशान करने के लिए करा. तुमको क्या पूरी बात पता भी है. न करने की वजह जानती भी हो ? हीना को मैंने हमेशा एक दोस्त ही समझा था. कभी उस नज़र से नहीं देखा। और देखता भी कैसे, इस तरह के रिश्ते सबके नसीब मैं नहीं होते। 

सनम – मैं जानती हूँ मैंने गलती की है. तुमसे मिलने और बात करने से मुझे पता चल गया है की वह सिर्फ एक तरफ़ा मोहब्बत थी. पर हिना इसको समझ नहीं सकी और एक गम के साथ जीने लगी। जब वह कुछ महीने पहले लंदन आयी मेरे घर तो उसने मुझे बताया। उसके दिल मे एक टीस है की वो अपना पहला प्यार ना पा सकी. बस मैने तुम्हारे दिल से खेलने का फ़ैसला किया. पर जब तुमसे मिली और तुमको जाना तो तुम्हारी सचाई महसूस की. तुम्हारा हिना को मना किया, ज़रूर कोई वजह होगी। मैं तुम्हे सबका ज़िम्मेदार नहीं मनती. मैं  मानती हूँ की मैंने गलत तरीका अपनाया, पर अब मैं उसके लिए शर्मिंदा हूँ.

आबान सब सुनता गया और उसके चेहरे पे अलग अलग तरह से एहसास आते गए और उसका चेहरा फिर से मुरझाने लगा. कुछ देर बाद वह बोला – आपने सब कुछ खुद ही सोचा समझा और फैसला कर लिया ही कौन गलत है कौन सही. सामने वाले की भी कोई मजबूरी हो सकती है. हो सकता है की वह न चाहते हुवे भी मजबूर हो. 

सनम – मुझे पता है की मैने तुम्हारा दिल दुखाया है. पर मैं तुमसे मोहब्बत करने लगी हूँ. मैंने इसी वजह से सब कुछ तुमको बताया है. मैं सच मैं तुमसे मोहब्बत करने लगी हूँ. प्लीज मुझे माफ़ करदो। मैं इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहती हूँ.

आबान – आपका बहुत बहुत शुक्रिया। इस खूबसूरत दोस्ती बहरे रिश्ते का. पर मैं इतना मज़बूत नहीं हूँ की इसको निभा सकूं। या कहूँ की आपके नज़रिये से मैं इस लायक ही नहीं। 

सनम – प्लीज आबान, मुझे खुद अच्छा नहीं लग रहा है. मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है। 

आबान – गलती तो मेरे नसीब की है. जब आप ने मुझसे बिना कोई वजह दोस्ती की तो मुझे पहले हैरानी हुई. फिर जब मैं आपसे मिला और बात की तो दिल को अच्छा लगने लगा. आपसे थोड़ा अटॅचमेंट होने लगा. मुझे लगा कोई तो है जो मुझे जुसजज किये बिना दोस्ती निभा रहा है. पर यहाँ तो बात ही कुछ और थी. मुझे पहले ही गुनहगार मान के सजा दी जा रही थी.

सनम – प्लीज ऐसा न बोलो। मुझे एक मौका दे दो. थोड़ा वक़्त देदो इस रिश्ते को. मैं तुमको ज़िन्दगी मैं कभी परेशान नहीं करुँगी। इसको मेरी पहली और आखिरी खता मान के मांफ कर दो.

आबान – काश मैं इस काबिल होता और आपको वक़्त दे पता. वक़्त ही तो नहीं है. वक़्त ही से लड़ रहा हूँ. खैर चलिए वक़्त यहाँ भी तेज़ ही चल रहा है. देर हो रही है और आपको ड्राप भी करना है. 

यह कह के आबान उठ गया. और धीरे धीरे पार्किंग की तरफ बढ़ गया. सनम भी भरी दिल से उसके पीछे चलने लगी. उसकी हिम्मत न हुई कुछ बोलने की या उसके साथ चलने की. जब दिलों मे फैसले आते है तो बहुत कुछ बदल जाता हैं. पूरे रास्ते दोनों चुप ही रहे. कोई बात नहीं हुई. एक अजीब सा सन्नाटा था. कुछ दिन पहले जो रिश्ता हंसी और ठहाकों से भरा था, आज उसमे ख़ामोशी और सिसकियाँ भरी थी. 

कुछ देर बाद सनम का घर आया. वह उतरने से पहले कुछ कहना चाहती थी पर उसकी हिम्मत नहीं हुई. वह कार से उतर गयी तो आबान ने तेज़ी से कार बढ़ा दी. सनम वही खड़े हो के कार को अपने से दूर जाते देखती रही. जैसे वह कार न कोई उसकी रूह को उससे दूर ले जा रहा हो. 

सनम घर मे दाखिल हुई और सीधे कमरे मे चली गयी. उसका दिल बेचैन हो रहा था. उसको अपने किए पर अफ़सोस था. उसने सोचा बिना दूसरे इंसान का नजरिया जाने ही उसने आबान को गलत मान लिया और इतना बड़ा गुन्नाह कर डाला। इसमे दोनो ही अपनी जगह सही थे. 

वह बस यही सोच रही थी की उसने आबान के साथ ग़लत किया. वह बिना खाना खाये लेट गयी. नींद कोसों दूर थी आँखों से. उसका दिल किया की आबान को कॉल करे या मैसेज करे. पर उसकी हिम्मत नहीं हुई. कई बार उसने कॉल के लिए फ़ोन उठाया, नंबर मिलाने की हिम्मत नहीं हुई. इन्ही सब कश्मकश मैं वह करवटें बदलती रही. और फिर न जाने रात के किस पहर उसको नींद ने आके घेरा। 

सुबह उसका दिन काफी देर से शुरू हुवा। उठते ही कल के पुरे दिन का वाक़्या उसकी आँखों के सामने से गुज़र गया. वह फिर कशमकश से घिर गयी. फिर उसने सोचा अभी थोड़ा वक़्त तो देना चाहिए। अभी उसका मूड खराब होगा। है भी तो हिटलर के नान से मशहूर कॉलेज सर्किल में जनाब। उसने सोचा एक दो दिन बाद आबान को कॉल करुँगी और ज़िद करुँगी माफ़ करने को और अगर नहीं माना तो घर पहुंच जाऊँगी। माना की मैंने गलती की है, पर मान भी तो रही हूँ, मना लुंगी मैं आबान को। यह सब सोचने से उसका मूड हल्का हो गया. उसने अपने आपको अपने काम में मसरूफ कर लिया।


एक अधूरी कहानी! | An Incomplete Story

तीन दिन बीत गए. आबान का कोई कॉल नहीं आया। सनम ने भी अपने दिल को मार के कॉल नहीं की. वह सब्र से काम ले रही थी. यह सोच रही थी शायद आबान का गुस्सा उतरे और वह कॉल करे। हर फ़ोन कॉल पे सनम को सिर्फ आबान का ही इंतज़ार होता था। पर कॉल नहीं आयी. 

जब चार दिन बीत गए तो सब्र का बांध टूट गया। उसने आबान को कॉल करी. पर रिप्लाइ नहीं मिला. कई बार कॉल की पर रिंग बजती रही पर किसी ने जवाब नहीं दिया। उसने सोचा शायद वह उसकी कॉल को बाद में रिप्लाई करे, लेकिन आबान का कॉल नहीं आया. सनम परेशान हो गयी. 

सनम ने शाम को फिर कॉल की पर अब कॉल करने पर फोन स्विच ऑफ आने लगा. सनम परेशान होने लगी थी। उसको अजीब से ख्याल आने लगे थे. उसने आख़िर में  फ़ैसला लिया की वो अब उससे मिलने जयगी. सनम तैयार  हुई और आबान के घर जा पहुंसी. दरवाज़ा एक नौकर ने खोला.

सनम – मुझे आबान से मिलना है. घर पर कोई और है क्या. उनकी अम्मी या पापा ?

नौकर – जी घर पर इस वक़्त कोई नहीं है. सब हॉस्पिटल मे हैं. आबान बाबा की तबीयत बिगड़ गयी थी चार दिन पहले. 

सनम का दिल धक् से हो गया। वह घबरा गयी पर अपने को सँभालते हुवे बोली – क्या आप मुझे बता सकते है की वो कहाँ एडमिट हैं.

नौकर बोला – सिटी हॉस्पिटल में एडमिट हैं वह. 

सिटी हॉस्पिटल का एड्रेस ले कर सनम जल्दी से हॉस्पिटल पहुँची. रिसेप्षन पर आबान के रूम का पता कर के वो भागती हुई उसके रूम के पास पहुंची। बाहर आबान की अम्मी खड़ी थी। सनम को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह क्या करे या क्या न करे. उसकी बदहवासी देख आबान की अम्मी उससे खुद मुख़ातिब हुई और बोली बेटा आप ठीक तो हो किसको ढूंढ रही हो ? 

सनम – आंटी मैं अपने एक दोस्त आबान को धुंध रही हूँ. रूम तो यहीं बताया था. उसकी तबियत खराब है. 

अम्मी बोली – बेटे मैं आबान की अम्मी हूँ. पर उसने कभी आपका ज़िक्र नहीं किया। खैर आबान जो अपने आखरी दीनो मैं फिर से हँसने लगा था, शायद उसकी वजह आप हैं. हम आपका यह अहसान कभी नहीं भूलेंगे। कहते हुवे उनका गला भर गया.

सनम – यह आप कैसी बात कर रही हैं. आंटी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. आबान ठीक तो है ना! प्लीज मुझे उससे मिलना है। सनम को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है. अम्मी क्यों ऐसी बात कर रही हैं।  

अम्मी सनम को रूम मैं ले आई. अंदर का मंज़र बड़ा खराब था. आबान चारो तरफ से लाइफ सेवर डेविसेस से घिरा था और आँखें बंद थी उसकी। सनम शॉक्ड थी की यह हो क्या रहा है. वो आगे बढ़ी और आबान के पास बैठ गयी. सनम की आंखों मैं आँसूं  बढ़ने लगे और वह रोने लगी। मोहब्बत में एक ताक़त होती है. उसके टपकते आंसूं जब आबान के हाथों पे पड़े तो उसने आँखे खोली और उसने सनम के रोते देखा तो मुस्कुराते हुवे बोला.  

आबान – आपका चेरा इन आसुओं के लिए नहीं बना. चुड़ैल आंटी, चुप हो जाइए आप. आप की कोई ग़लती नहीं है. यह मेरी किस्मत मैं लिखा है. 

सनम रोती रही और बोली – यह तुमको क्या हो गया. क्या यह सब मेरी वजह से हुवा है. प्ल्ज़ मुझे बताओ। 

सनम रोने लगी. उसकी आँखें भीग गयी. मोहब्बत एक अनोकी चीज़ होती है. आबान होश मैं आने लगा. 

आबान – इसमें किसी की गलती नहीं है और जो कुछ उस शाम हुवा वह बस हालात थे। किसी की कोई गलती नहीं थीं। 

सनम – नहीं मैं नहीं मानती। मैंने गलत किया। जो भी किया।

आबान – रहने दीजिये सनम, मेरे दिल में अब कोई गिला नहीं है किसी के लिए। मैंने सबको बख्श दिया है. 

सनम – यह क्या कह रहे हो तुम ! कैसी बातें कर रहे हो, इस तरह की बात न करो प्लीज !

आबान – सनम जो होना है वह तो होके रहता है। आपको याद है की एक बार मैने आप से कहा था की कुछ लोगों की ज़िंदगी मैं मोहब्बत दस्तक देती है और वो उसको अपनी ज़िंदगी मैं चाह कर भी क़ुबूल कर सकते. अपने कहा ऐसा नहीं होता. इतना बदनसीब कोई नहीं होता. लेकिन मैं वो बदनसीब हूँ. मैं मोहब्बत और पता नहीं ज़िंदगी के कितने ऐसे लम्हे क़ुबूल नहीं कर सकता. मुझे मालूम है की मैने हिना का दिल तोड़ा और फिर न चाहते हुवे आज तुम्हारा भी तोड़ दिया। 

बहुत कोशिश की तुमको इग्नोर करने की. रिश्ते मैं डिस्टेंस बनाने की पर हो नहीं सका. में भी क्या करता भूल गया की यह सब मेरे नसीब मे लिखा ही नहीं। 

असल मैं मुझे ब्लड कॅन्सर था. जो की काफ़ी देर बाद पता चला. डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग तो मुझे काफ़ी पहले ही मर  जाना था पर मैं बड़ी सख़्त जान हूँ. मैं अपनी ज़िंदगी की इंतेहा जान गया था, तो मैं कैसे हिना को इस ज़िंदगी मे  हमसफ़र बना कर उसको सारी ज़िंदगी रुलाता. मैने उसको चोट दी, लेकिन वो चोट इस चोट से कम है. 

फिर आप मेरी ज़िंदगी मे आई और पता नहीं कैसे मैं अपने आप को भूल गया. भूल गया मेरी सांसें कभी भी मुझे छोड़ सकती हैं. लेकिन इन सबके लिए तुम अपने आप को सज़ा मत देना. तुम ग़लत नहीं हो. हम तीनो ग़लत नहीं हैं. ग़लत है तो नसीब. और हाँ मैं भी तुमसे मोहब्बत करने लगा हूँ. सब जान कर भी अपने को रोक नहीं पाया. मैने ज़िंदगी मैं दो दिल दुखा दिए. एक हिना का और एक तुम्हारा. हो सके तो मुझे माफ़ कर देना और मेरे बाद हिना को बता देना की मैं मजबूर था.

यह कह कर आबान चुप हो गया. सनम फिर रोने लगी. वो कभी सोच नहीं सकती थी की ज़िंदगी ऐसा मोड़ भी ला  सकती है. उसको अभी भी लग रहा था की सब एक झूठ है. अभी सब सही हो जाएगा. वो रोए जा रही थी. आबान की अम्मी भी वापस आ गयी थी वो भी उसके पास बैठ गयी और रोने लगी. आबान ने अपना सर उनकी गोद मैं रख दिया।

आबान – जाने वालों को रो कर विदा नहीं करते. अम्मी मुझे अपने गले लगा लीजिये। सनम तुम मुझसे प्यार करती हो तो एक बार मेरे सीने से लग कर देख लो।  दिल की धड़कन में अपना नाम सुनोगी। 

अम्मी और सनम रोते हुवे आबान से लिपट गये।  जाने कितनी देर तीनो सिसकते रहे. फिर कुछ देर बाद डॉक्टर्स आए और आबान को चेक किया। फिर बस इतना बोले की ही लेफ्ट अस, वी आर सॉरी . 

आबान ने अपने चाहने वालों के बीच अपनी आख़िरी साँसें ले थी. एक तरफ उसकी अम्मी  और दूसरी तरफ उसकी अनोकी मोहब्बत सनम जिसको वो अपना नहीं सका.

हम सब की ज़िन्दगी मैं अनेक मोड़ आते हैं लोग आते हैं. हम अपने हिसाब से सामने वाले के बारे मे राय बना लेते हैं। पर हर इंसान की ज़िन्दगी नसीब और किस्मत एक नहीं होती। किसी को कुछ मिलता है तो किसी को नहीं मिलता। 

किसी की मोहब्बत परवान चढ़ती है तो किसी की मोहब्बत एक अनोखे प्यार की दास्तान बन के रह जाती है। 

"मोहब्बत में जादू होता है,
हर दर्द लम्हों में खोता है।
दिल से दिल का मिलना है जरूरी,
यहीं तो प्यार का असली वजूद होता है।"
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वक्त ऐसी चीज है जो किसी के बस में नहीं होता है, और कहते हैं की वक़्त को कोई भी हरा नहीं सकता। इंसान वक़्त का गुलाम है। पर एक बात कहूँ, यह सच नहीं है, क्योंकि अगर इंसान चाहे तो वक़्त को अपना गुलाम बना सकता है। इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो इस बात को साबित कर देते हैं। इस लिस्ट में एक नाम हमेशा सुनहरे अल्फ़ाज़ में कायम है और कायम रहेगा, और वो नाम है, शाहरुख खान.. नाम तो सुना ही होगा.


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Amaan

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