तेरी उल्फत में | ममता की छांव! | क़िस्त 03

Mamta Ki Chanv | Teri Ulfat Main | Part 03

Mamta Ki Chanv | Teri Ulfat Main | Part 03

क्लास में सब बैठे थे कि मिस्टर शर्मा दाखिल हुए। मिस्टर शर्मा ने क्लास को देखा। अरसलान के साथ न्यूटन बैठा था। मिस्टर शर्मा बोले “कशिश अपनी जगह से उठो, और अरसलान के पास बैठो। यहां सामने बैठोगी तो नजर में रहोगी। न्यूटन तुम जरा, राज के साथ बैठो।”

कशिश न चाहते हुए भी अरसलान के पास बैठ गई। अरसलान ने उसकी तरफ देखा तक नहीं। पर कशिश उसे खा जाने वाली नजरों से देख रही थी। अरसलान ने पूरी क्लास में उसपर तवज्जो ना दी, जब क्लास खत्म हुई। अगली टीचर मिस रूबी दूर पर आ गई। मिस्टर शर्मा ने मिस रूबी को ग्रीट किया और कहा “आइए मैडम, माफ़ी चाहता हूं कि क्लास थोड़ी लंबी खिंच गई।”

मिस रूबी बोली “अरे नहीं सर, कोई बात नहीं, वैसे कैसी गई आपकी क्लास, सब पुराने स्टूडेंट्स है या कुछ नए भी हैं।”

“जी सिर्फ़ एक लड़का नया है, काफ़ी हुनहार है। मुझे उम्मीद है कि अच्छा करेगा, वैसे मैंने कशिश को आज उसके साथ बैठा दिया है, ताकि वह अपने पुराने दोस्तों के साथ मिलकर क्लास में तफरीह न करती रहे।” मिस्टर शर्मा ने जवाब दिया।

मिस रूबी बोली “आपने बिल्कुल बाजा फरमाया। मैं खुद इससे और कुछ स्टूडेंट्स से परेशान हूं।”

फिर वह अंदर आ गई। कशिश उठकर अपनी जगह जाने को हुई तो मिस रूबी ने उसे रोका और कहा “कशिश तुम यहीं बैठो।” कशिश फिर मन मारकर बैठ गई।

ममता की छांव! | Mamta Ki Chanv

मिस रूबी क्लास से मुखातिब हुई, “मैं आपको इंडस्ट्रियल आर्ट्स का मॉड्यूल पढ़ाऊंगी। यह मॉड्यूल बहुत इंट्रेस्टिंग होता है। जब आगे चल कर आप लोग बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स करेंगे तो आपके काफ़ी काम आएगा, जो आपने यहाँ सीखा। लेकिन आज क्योंकि यह पहली क्लास है, तो मैं कोर्स से हट कर आप को एक वर्क देती हूं। आप सब एक ऐसी तस्वीर बनाइए जो आपके दिल के करीब हो। कुछ ऐसा जो आप शिद्दत से पाना चाहते हो। शुरू हो जाइए।”

पूरी क्लास काम में लग गई। सब कुछ न कुछ बनाने लगे। थोड़ी देर बाद मिस रूबी ने कहा “देखा जाए की आप सब ने क्या बनाया है। वह न्यूटन के पास गई, तो न्यूटन ने अपने आपको बड़े से घर के आगे खड़ा किया हुआ था। फिर रोहित की पेंटिंग में वह एट पैक एब्स बनाए हुए था। इस तरह वह एक एक करके सबकी आर्ट्स देखती हुई कशिश के पास आई। कशिश की पेंटिंग में एक सीनरी थी जो कि अधूरी थी। फिर उन्होंने अरसलान से पेंटिंग मांगी।

अरसलान ने अपनी पेंटिंग में रंग नहीं भरे थे। सिर्फ पेंसिल से एक मां-बाप और बेटे को पोर्ट्रे किया था, मां-बाप का चेहरा खाली था। सिर्फ खाका था। बेटे के चेहरे पर मुस्कान थी।

मिस रूबी बोली “यह क्या बनाया है तुमने?” तो अरसलान ने कहा, मैम “आपने कहा था कि जो मैं शिद्दत से चाहता हूं, वह पोर्ट्रे करूं। मैं यही चाहता हूं। अपने मां बाप की गोद में बैठा हूं। इन पलों को चाहता हूं मैं।”

इस पर कशिश बीच में बोली “तो जाओ और बैठो न अपने घर पर, यहां पेंटिंग किस लिए बना डाली।” और वह ज़ोर ज़ोर से हसने लगी। साथ में उसके दूसरे साथी भी हसने लगे।

मिस रूबी ने सबको डांट कर चुप किया, और अरसलान से बोली “पर आप तो बचपन में खूब खेले होंगे, आप अभी भी यही करना चाहते हैं?”

अरसलान ने बड़ी संजीदगी से जवाब दिया “मेरे मां और बाप एक एक्सीडेंट में गुजर गए। इसलिए मेरा यह अरमान अच्छे से पूरा नहीं हुआ।”

मिस रूबी काफी संजीदगी से बोली “ओह आई एम सॉरी अरसलान। मुझे पता नहीं था, प्लीज दिल पे मत लेना।”

अरसलान बोला “अरे कोई बात नहीं मैम, आपने जान कर नहीं किया। ना ही मेरे अरमानों का मज़ाक बनाया।” यह कहते हुए उसने कशिश और ज़ैन को देखा। कशिश चुप चाप सिर नीचे करके बैठ गई।

फिर मिस रूबी बोली “अच्छा यह बताओ कि आपने अपने मां-बाप के चेहरे क्यों नहीं बनाए? “

इस पर अरसलान ने जवाब दिया “क्योंकि मैंने उनको सही से देखा ही नहीं था। मैं उनको पहचान पाता उससे पहले ही वो जा चुके थे। मैं एक साल का भी नहीं था, जब ये हादसा हुआ।”

इतना कहकर अरसलान चुप हो गया, मिस रूबी को भी कुछ ना सूझा। तभी क्लास ओवर हो गई और सब बाहर चले गए। मिस रूबी अरसलान को देखती रही। फिर वह भी उसके दोस्तों के पीछे चली गई।

Kuch logon ko naseeb hi kab hoti hai Mamta Ki Chanv..

गैलरी में अरसलान को उसके दोस्त घेरे हुए थे। वह ज़बरदस्ती मुस्कुरा रहा था। तभी मिस रूबी ने उनके पास आकर अरसलान को आवाज दी। सब उठकर उनके पास चले गए। फिर वह बोली “अरसलान, मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहती थी, असल में सब अनजाने में हो गया। जो हुआ उसे याद करके परेशान न हो।”

अरसलान बोला “मैम आप मुझसे माफ़ी मांगकर मुझे शर्मिंदा ना करिए। आप मुझसे बड़ी हैं।”

इस पर राज बोला “भाई तुम अपने को अकेला न समझना। यहां जितने भी लोग खड़े हैं, मैं गारंटी लेता हूं, सब तेरी फैमिली हैं। तू दिल छोटा ना कर, और रही गोद में बैठने की बात तो आ मैं तुझे बिठा लेता हूं। कर ले अरमान पूरे।”

सब लोग खिलखिला के हसने लगे। अरसलान भी हंसे बिना न रह पाया।

फिर हिना बोली “अच्छा रूबी आपा, आप कब बुला रही हैं हम लोगो को अपने घर। कसम से आपके हाथ की चाय और पकोड़ियां खाने का बड़ा दिल कर रहा है।”

रूबी बोली “आज ही आ जाओ शाम को। अरसलान तुम भी आना।”

अरसलान बोला “जी मैम आऊंगा।”

रूबी बोली “मैम मैं क्लास में होती हूं। ऐसे तुम्हारे सारे दोस्त मुझे दीदी या आपा कहते हैं। तुम भी अगर यही कहो तो मुझे अच्छा लगेगा।”

अरसलान बोला “जी रूबी आपा।”

फिर रूबी वहां से चली गई और वह सब लाइब्रेरी चले गए।


न्यूटन की शादी और रोज़गार | Newton’s Marrige and Carrier

उस शाम सब रूबी के घर में आराम से सोफे पर बैठे हुए थे। वो सब मज़े से रूबी के हाथ की बनी हुई चाय और पकोड़ियां खा रहे थे। साथ ही वो रूबी की तारीफ भी कर रहे थे।

इतने में हिना बोली “रूबी आपा बा खुदा, ऐसा लगता है, ये चाय और पकोड़ियां अल्लाह मिया ने फरिश्तों के हाथ सीधे जन्नत से हमारे लिए भेज दी हैं। दिल करता है बस खाती ही रहूं, खाती ही रहूं।”

सना बोली “बिल्कुल सच बात है दीदी, रूबी बहन कमाल की कुक है। उनसे अच्छा कुक तो कोई हो ही नहीं सकता। जितना अच्छा वह बनाती है, कोई नहीं बना सकता। दिल करता है आपके हाथ चूम लूं।” न्यूटन, रोहित, राज और अरसलान भी मज़े से पकोड़ियां खा रहे थे।

इतने में सना बोली “वैसे एक बात तो है, शायद न्यूटन पढ़ाई के अलावा सिर्फ खाते वक्त ही इतना संजीदा रहता है। रोहित तो खाने के लिए ही इस दुनिया में पैदा हुआ है, और राज का क्या बताया जाए, जब तक ये पकोड़ियां हैं, तब तक इसका लाउडस्पीकर भी बंद है।”

ये सुन कर हिना और रूबी दोनों खूब हसने लगे। तब इस पर राज बोला “मैं कोई भी अच्छा काम करते हुए किसी भी फालतू काम पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता। वैसे अरसलान पर कोई डायलॉग नहीं मारा आपने।”

“हम जनवरों की तारीफ कर रहे थे, इंसानों की नहीं।” हिना के इस जवाब से सब लोग ज़ोर-ज़ोर से हसने लगे।

रूबी बोली “अरसलान तुम इतना चुप चुप से क्यों हो? सब लोग यहां पर हंसी-मज़ाक कर रहे हैं, तुम भी तो कुछ बोलो।”

अरसलान बोला “कुछ नहीं आपा, बस मैं अपने लिए एक अदद जॉब के लिए सोच रहा हूं।”

“ओह तो तुम परेशान बिल्कुल भी न हो, अगर तुम चाहो तो एक जॉब तो तुम्हें न्यूटन ही दिलवा देगा।” रूबी बोली।

अरसलान ने कहा “न्यूटन, पर कैसे?”

इस पर रूबी बोली “अरे न्यूटन कॉलेज के पास एक कोचिंग सेंटर में पढ़ने जाता है। उसका उसके ऑनर से बहुत अच्छे तालुक हैं। उनसे बात करके एक से दो क्लास तो वह आराम से तुम्हें दिला सकता है। जब तक कोई मुस्तक़िल काम नहीं मिलता, तुम यही काम शुरू कर दो। क्यों न्यूटन, सही कहा न मैंने?”

न्यूटन ने कहा “हां यह तो मैं कर ही सकता हूं। अगर तुम कहो तो मैं कल ही कोचिंग के मालिक से इस बारे में बात कर लूंगा। तुम्हें पढ़ाने से कोई दिक्कत तो नहीं है अरसलान?”

अरसलान बोला “नहीं यार इसमे कौन सी दिक्कत। पढ़ाना तो बहुत ही अच्छा काम है। यह काम तो मैं बहुत ही अच्छे से कर लूंगा। तुम बस करवा दो मेरा यह काम।”

इस पर सना बोली “तो समझो बस हो गया तुम्हारा काम। क्योंकि कोचिंग का ऑनर, न्यूटन की किसी भी बात को नहीं टाल सकता। मेरे कुछ खास करीबियों से मुझे पक्का खबर मिली है कि कोचिंग के ऑनर की एक लौती बेटी है और वह उसे न्यूटन के साथ सेट करने के चक्कर में लगे हुए हैं। अब कोई अपने होने वाले दामाद को कैसे मना कर सकता है। है न न्यूटन।”

इस पर न्यूटन बोला “ये क्या बकवास कर रही हो तुम सना? ऐसा कुछ भी नहीं है।”

तो इतने में रोहित बोला “बेटा ये सना की खबर है। झूठ तो कहीं से हो ही नहीं सकती। वैसे सुना है लड़की काफी अच्छी है उसकी। तो तुम्हें क्या परेशानी है?”

इतना सुनते ही न्यूटन ने रोहित पर छलांग लगा दी और उससे गुत्थम गुत्था हो गया। बाकी सब ज़ोर-ज़ोर से हसने लगे। इस तरह उन सबकी वह शाम भी हंसी-मजाक के साथ बीत गई और अरसलान के लिए एक अच्छी खबर भी ले आई।

इस कहानी की पिछली दो किस्तें यहाँ पढ़िए
तेरी उल्फत में | वह पहला दिन और ज़िंदगी भर की दोस्ती की शरुवात! | क़िस्त 01
तेरी उल्फत में | कॉलेज राइवलरी और लेडी गूगल का करिश्मा | क़िस्त 02

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Amaan

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