Rishta Ek Ehsaas | रिश्ता.. एक एहसास!
कभी कभी ज़िन्दगी में एक ऐसा इंसान होता है, जिसके बगैर ज़िन्दगी अधूरी रहती है । वह इंसान आपके कहे बिना आपके दिल की बात जान लेता है । उसके बिना आप ज़िन्दगी का तसवुर नहीं कर सकते । पर अचानक वह इंसान आपसे बिछड़ जाता है । तब आपकी ज़िन्दगी कैसी होगी, इसका अंदाज़ा वही लगा सकता है, जो इस दर्द से गुज़रा हुवा हो । ज़िन्दगी के इसी दोराहे से ग़िज़ारते हुवे अंकित और नूपुर ने इस दर्द भरे पहलु को महसूस किया था ।
Rishta Ek Ehsaas | रिश्ता.. एक एहसास!… तुम दिल में ऐसे बस गये
अंकित और नूपुर दोनों ही बहुत अच्छे दोस्त थे और उनकी दोस्ती पूरे कॉलेज में मशहूर थी। लेकिन दोनों की दोस्ती ने कब प्यार का रंग ले लिया इन दोनों को भी पता नहीं चला। पूरे कॉलेज में इन दोनों के प्यार के चर्चे आम थे और ये कपल एक आइडियल कपल था जिनके बीच में बहुत ज्यादा अंडरस्टैंडिंग थी। अंकित और नूपुर दोनों ही एक दूसरे की बातों को बिना कहे समझ लेते थे और यही वजह थी कि दोनों का रिश्ता हर गुजरते दिन गहरा होता जा रहा था।
इन दोनों ने अपनी फैमिली में भी अपने रिलेशन के बारे में बता रखा था और दोनों के घर वाले एजुकेटेड थे और इस वजह से उन्हें बच्चों की पसंद पर कोई एतराज नहीं था। लेकिन नूपुर के पापा को इस रिश्ते से थोड़ा सा इनकार था क्योंकि उनका मानना था कि दोनों ही अभी नासमझ हैं और इसलिए उन्होंने एक दूसरे के साथ रहने का फैसला जल्दबाजी में लिया है।
इसलिए उन्होंने नूपुर की मां से एक दिन कहा – सुनो रमा तुम नूपुर को समझाओ कि अंकित को लेकर वो इतनी सीरियस ना हो क्योंकि अभी ये दोनों ही छोटे हैं।
इस पर नूपुर की मां ने कहा- आप ये कैसी बातें कर रहे हैं? दोनों बच्चे इतने छोटे भी नहीं हैं कि अपना सही गलत ना समझ सकें। आप तो बस बेकार में ही परेशान हो रहे हैं। अंकित बहुत समझदार और सुलझा हुआ लड़का है और हमारी नूपुर भी हर अच्छी बुरी बात को समझती है।
इन सब बातों को सुनकर नूपुर के पापा चुप हो गए लेकिन उनके बिहेवियर से साफ लग रहा था कि वो इस रिश्ते से इतने ज्यादा खुश नहीं हैं।
यूं ही कुछ दिन गुजर गए और एक दिन ऐसा आया जब नूपुर के पापा का किसी और शहर में ट्रांसफर हो गया। लेकिन नूपुर अंकित को अपने पापा के ट्रांसफर के बारे में बता नहीं सकी, क्योंकि उसी दौरान अंकित के पापा का बहुत बुरी तरह से एक्सीडेंट हो गया था। उनके सिर में और हाथ पैरों में बहुत ज्यादा चोट लगी थी जिसकी वजह से घर के सभी लोग बहुत ज्यादा परेशान हो गए थे और आनन-फानन में हॉस्पिटल चले गए थे।
हॉस्पिटल में अपने पापा की ऐसी हालत देखकर अंकित को बहुत दुख हुआ, लेकिन उसने समझदारी से काम लेते हुए खुद पर काबू रखा और अपनी मां को भी समझाया – मम्मी आप बिल्कुल परेशान मत हो, पापा को कुछ नहीं होगा, वो बिल्कुल ठीक हो जाएंगे।
ये सुनकर उसकी मां ने कहा – लेकिन बेटा तेरे पापा को बहुत ज्यादा चोट लगी है और खून भी बहुत बह चुका है। पता नहीं क्या होगा मुझे बहुत डर लग रहा है।
अपनी मां को इतना परेशान देखकर अंकित ने कहा – मम्मी,आप भगवान पर भरोसा रखो, पापा को कुछ नहीं होगा, बस थोड़ा टाइम लगेगा ठीक होने में।
वो दोनों आपस में बातें कर ही रहे थे कि तभी डॉक्टर ने आकर उनसे पूछा – आप दोनों क्या पेशेंट के साथ हैं?
अंकित ने जल्दी से कहा – जी हां वो मेरे पापा हैं और ये मेरी मम्मी हैं।
डॉक्टर ने अंकित की मां रमा पर एक नजर डालते हुए कहा – अच्छा अच्छा! देखिए आपके पापा का काफी ज्यादा खून बह गया है, जिसकी वजह से उनकी हालत काफी नाजुक बनी हुई है, लेकिन वो खतरे से बाहर हैं। अगले 48 घंटों में वो रिकवर होने लगेंगे, लेकिन तब तक आप उनके लिए दुआ करें।
डॉक्टर की बात सुनकर अंकित ने कहा – थैंक यू सो मच डॉक्टर, हम तो कब से उनके लिए दुआ कर रहे हैं।
फिर देखते ही देखते एक हफ्ता यूं ही निकल गया और अंकित को इस दौरान किसी का भी होश नहीं था। उसकी जिंदगी बस हॉस्पिटल तक ही रह गई थी और वो बस ये चाहता था कि उसके पापा जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। ऐसे में कई बार उसे नूपुर का ख्याल भी आया लेकिन सिचुएशन ऐसी थी कि वो उसे चाहते हुए भी फोन नहीं कर पाया।
उधर नूपुर के पापा का कोलकाता में ट्रांसफर हो गया था। उसके पास जो मोबाइल था वो भी ट्रेन में कहीं छूट गया था जिसकी वजह से अंकित का फोन नंबर भी उसके पास नहीं था। वो बहुत परेशान थी कि वो कैसे अंकित से कॉन्टैक्ट करे। बस यूं ही दिन गुजर रहे थे उसने फिर अपनी पढ़ाई में अपना दिल लगा लिया। वहीं दूसरी ओर अंकित का बुरा हाल था। वो नूपुर से बहुत नाराज था कि वो बिना बताए न जाने कहां गायब हो गई।
कई बार उसने उसके मोबाइल पर फोन करने की कोशिश भी की, लेकिन उसका नंबर हमेशा बंद जाता। इन सब से वो बहुत टूट गया था और फिर पढ़ने के लिए इंडिया से बाहर चला गया। उसने जब अपना एमबीए पूरा कर लिया तो फिर वहीं नौकरी करने लगा, क्योंकि उसका इंडिया वापस आने का कोई इरादा नहीं था।
Rishta Ek Ehsaas | रिश्ता.. एक एहसास! हाल-ए-दिल हम भी सुनाते लेकिन..
बस ऐसे ही दिन गुजरते जा रहे थे कि तभी एक दिन अंकित की मां का फोन आया और उसने उसे बताया – अंकित बेटा, आज राहुल घर आया था, अगले महीने की 20 तारीख को उसकी शादी है, वो कह रहा था कि तुम्हें शादी में जरूर आना है वरना वो नाराज हो जाएगा। अंकित ने पहले तो शादी में आने से मना कर दिया, लेकिन जब उसकी मां ने उस पर जोर डाला तो वो राहुल की शादी में आने के लिए तैयार हो गया।
अंकित ने राहुल की शादी से एक हफ्ता पहले इंडिया वापस जाने का प्लान बनाया था। वो पिछले गुजरे हुए सालों के बारे में सोच रहा था और उसे यकीन नहीं आ रहा था कि उसे इंडिया छोड़े हुए पूरे 7 साल हो चुके हैं। आखिरकार वो इंडिया वापस आ गया उसे देख कर उसके घर वाले बहुत ज्यादा खुश हुए। उसकी मां की आंखों से तो आंसू रुक ही नहीं रहे थे।
अंकित ने जब अपनी मां की ऐसी हालत देखी तो बोला – अरे मां, अब बस भी करो ना। अब ये रोना बंद करो, मुझे कुछ खाने को दो, बहुत जोरों की भूख लगी है।
अंकित की मां ने अपने आंसू पूछते हुए कहा – पागल ये तो खुशी के आंसू हैं, चल मैं तुझे खाना परोसती हूं।
फिर राहुल की शादी वाले दिन अंकित उदासी के साथ तैयार होकर घर से निकल गया। उसे न जाने क्यों बार-बार नूपुर की याद सता रही थी। जब वो शादी में पहुंचा तो अपने दोस्तों को पहचान नहीं पा रहा था, क्योंकि सबसे जुदा हुए उसे काफी टाइम हो गया था। राहुल ने जब अंकित को देखा तो वो बहुत गर्म जोशी के साथ उससे मिला और उसे अपने गले लगा लिया और बोला – दोस्त हो तो तेरे जैसा, तूने मेरी शादी में आकर महफिल में रंग जमा दिया है।
इस पर अंकित ने हंसते हुए कहा – क्या यार तू सुधरेगा नहीं।
वो दोनों आपस में गपशप करने लगे कि तभी अंकित की नजर सामने की तरफ से आती हुई लड़की के ऊपर ठहर गई। उसने राहुल की तरफ देख कर कहा – ये , ये तो नूपुर है ना?
राहुल ने कहा – हां यार नूपुर ही तो है, तू भूल गया क्या? ये भी तो मेरी दोस्त है और इसलिए इसका भी मेरी शादी में आना बनता है।
अंकित के दिल में अजीब सी उथल-पुथल होने लगी और वो खुद पर कंट्रोल करते हुए नूपुर की तरफ बढ़ गया। उसने नूपुर से कहा – कैसी हो नूपुर?
नूपुर एकदम से उसे पहचान नहीं सकी लेकिन फिर उसकी आंखों में एक चमक सी उभर आई और वो बोली- मैं ठीक हूं तुम बताओ कैसे हो?
अंकित बोला- मैं भी बिल्कुल ठीक हूं।
लेकिन इस दौरान अंकित को ये सोचकर टेंशन होने लगी थी कि कहीं नूपुर की शादी तो नहीं हो गई? हालांकि वो उससे इस सवाल को नहीं पूछना चाहता था लेकिन दिल के हाथों मजबूर होकर उसने आखिर उससे पूछ ही लिया – नूपुर तुम अकेली ही आई हो? तुम्हारा हस्बैंड साथ में नहीं आया?
इस पर नूपुर ने नजरें झुका कर कहा – नहीं, मैंने अभी शादी नहीं की है।
नूपुर का जवाब सुनकर अंकित के होठों पर मुस्कान सी आ गई और उसने उससे कहा – मैंने भी नहीं की। जब तुम बिना बताए चली गई थी तो मैं बहुत टूट गया था, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी मैं तुम्हें अपने दिल से भुला नहीं सका।
अंकित की बातों से प्यार ही प्यार झलक रहा था जिसे सुनकर नूपुर को खुद पर बहुत नाज हुआ कि कोई किसी को इतना ज्यादा भी चाह सकता है और वो कितनी खुश किस्मत है कि उसे ऐसा सच्चा इंसान मिला। फिर उसने अंकित को अपने पापा के ट्रांसफर से लेकर अब तक की सारी बात बताई। दोनों ने एक दूसरे के साथ ढेर सारी बातें कीं।
राहुल की शादी अटेंड करने के बाद अंकित ने नूपुर को कहा कि वो उसे घर छोड़ देगा। जब नूपुर का घर आ गया तो अंकित ने उससे कहा – नूपुर मैं इतने साल तुमसे दूर रहने के बाद भी तुम्हें भुलाने में कामयाब नहीं हो सका। तुम्हारे साथ जो मेरा एहसास का रिश्ता जुड़ गया था वो मेरे लिए इस दुनिया में सबसे ज्यादा कीमती है। इसलिए अब कभी मुझे छोड़कर मत जाना क्योंकि इस बार अगर टूटा तो मैं खुद को संभाल नहीं पाऊंगा ।
अंकित की बातें सीधा नूपुर के दिल पर असर कर रही थीं और उसने फिर उसकी आंखों में देखते हुए कहा- अंकित मेरा दिल भी तुम्हारे एहसास और प्यार से भरा हुआ है। मेरी जिंदगी में जो तुम्हारी जगह है वो कभी कोई नहीं ले सकता और तुम देख ही सकते हो कि मैंने आज तक शादी इसलिए नहीं की क्योंकि मुझे तुम्हारा इंतजार था। आई लव यू सो मच।
Teri Ulfat Main Mohabbat Aur Dosti Ki Dastaan
यह दास्तान है, अर्सलान और कशिश की, उनकी मोहबात और नफरत की। उस नफरत के सायों के मिटने वाली दोसतीं की। जिस तरह आग को पानी शांत करता हैं, उसी तरह कशिश है, एक नफरत और घमंड में चूर लड़की, जिसकी ज़िन्दगी में दाखिल हो जाता है, समंदर सा गहरा और खुशमिजाज़ अर्सलान । कशिश को वह बिलकुल पसंद नहीं है, पर किस्मत उनको एक साथ ले आती है। अर्सलान कैसे संभालेगा इस घमंड में चूर लड़की को ! यह है इस कहानी का मज़ा, जिसमे उसके दोस्तों की ज़िन्दगी के भी रंग है, और नफरत और जाल साज़ी के कुछ पहलू.
पढ़िए यह खूबसूरत कहानी क़िस्त दर क़िस्त, आपको क़िस्त दर क़िस्त इस कहानी के किरदारों से मोहबत हो जाएगी।
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