
Saya Aur Mohabbat: A Mysterious Horror Story
रमेश एक गरीब आदमी रहता है, जो ढोल बजाकर अपने परिवार का पेट पालता है। वो अपनी पत्नी रश्मि और बेटी पिंकी से बहुत प्यार करता है। वो ढोल बजाने के लिए अपने दोस्त बिरजू के साथ जंगल जंगल और गांव गांव जाता है।
एक दिन जंगल की एक हवेली में उसकी मुलाकात रागिनी नाम की लड़की से होती है, जो सफेद साड़ी में सिंदूर लगाए रहती है। आखिर कौन है ये रागिनी, रमेश से इसका क्या रिश्ता है, और क्यों वो रमेश के पीछे पड़ी रहती है। यह सब कुछ जानने के लिए हमें इस कहानी को पूरा पढ़ना होगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं –
साया और मोहब्बत : वह भयानक रात! Saya Aur Mohabbat: That Dangerous Night
सुबह 3 बजे का वक़्त था। तेज़ तूफानी बारिश हो रही थी। फिर भी रमेश एक शादी में ढोल बजाने अपने दोस्त बिरजू के साथ निकल पड़ता है। रमेश इतनी तेज बारिश में न चाहते हुए भी गरीबी के कारण काम पर निकल जाता है। गांव का रास्ता था, और तूफानी बारिश हो रही थी, इसलिए रमेश और बिरजू को कोई सवारी भी नहीं मिलती।
छाता लेकर कुछ दूर चलने के बाद वो दोनों थक कर एक पुरानी हवेली के पास बैठ जाते हैं और बारिश रुकने का इंतज़ार करते हैं। हवेली के गेट पर बैठे हुए अचानक से रमेश को हवेली के अंदर से लड़की की चीख सुनाई देती है। रमेश को लगता है कि जैसे हवेली के अंदर किसी के साथ कुछ गलत हो रहा है।
रमेश बिरजू से यह बात बताता है – “यार बिरजू क्या तुझे भी हवेली से किसी के चीखने की आवाज सुनाई दी”?
बिरजू कहता है – “नहीं, मुझे तो इस तरह की कोई भी आवाज़ सुनाई नहीं दी। लगता है रात में तेरी नींद पूरी नहीं हुई, इसलिए तुझे नींद में आवाजें सुनाई दे रही हैं”।
रमेश भी सोचता है कि शायद यह उसका वहम है। इतना सोचते ही बारिश रुक जाती है। लेकिन हवा की रफ़्तार अभी भी तेज़ी पकड़े हुए है। जैसे हवा में किसी के तड़पने की आवाज़ गूंज रही हो। इतने में रमेश बिरजू से कहता है – “बारिश तो रुक ही गई है चल बिरजू अब हम यहां से चलते हैं, मुझे यहां कुछ ठीक नहीं लग रहा है”।
इतना कहकर जैसे ही रमेश और बिरजू हवेली के गेट से आगे कदम बढ़ाते हैं। रमेश को फिर से किसी लड़की की चीखें सुनाई देती हैं और ऐसा लगता है कि वो रमेश से मदद मांग रही है। रमेश, रमेश….रमेश मुझे बचा लो।
फिर क्या था रमेश न आंव देखता है न तांव, वो हवेली की तरफ दौड़ता हुआ चला जाता है। लेकिन हवेली के अंदर जाते ही वहां सन्नाटा पसरा रहता है। अंदर उसे कोई भी दिखाई नहीं देता।
इतने में बिरजू भी उसके पीछे आ जाता है और रमेश से पूछता है – “क्या हुआ रमेश तुम अचानक से हड़बड़ाकर यहां पर क्यों आ गए”?
रमेश बिरजू से कहता है – “क्या तुमने वो आवाज़ नहीं सुनी जो मुझे सुनाई दी”?
बिरजू कहता है – “नहीं तो, मैंने तो ऐसी कोई भी आवाज़ नहीं सुनी और यहां पर कोई है भी तो नहीं”।
इतने में बिरजू रमेश से कहता है, “मुझे लगता है तेरी तबीयत ठीक नहीं है, साथ ही मौसम भी आज तूफानी है। इसलिए तुझे ऐसी आवाजें सुनाई दे रही हैं। चल अब हम दोनों चलते हैं। जिस गांव में हमें जाना है वो बहुत दूर है, अगर अभी से चलना शुरु नहीं किया तो हम वहां टाइम पर नहीं पहुंच पाएंगे, और सुबह बारात भी है। अगर हम वहां टाइम पर नहीं पहुंचे, तो लाला हमें काम करने के पैसे भी नहीं देगा”।
रमेश कहता है – “ठीक कह रहे हो तुम चलो चलते हैं”। इतना कहते हुए रमेश और बिरजू हवेली से बाहर निकलने वाले ही रहते हैं कि अचानक सफेद साड़ी में सिंदूर लगाए एक लड़की उनके सामने आ जाती है।
रमेश और बिरजू सकते में आ जाते हैं कि तभी अचानक वो अपने दिलनशीन अंदाज में कहती है, “अरे डरिए नहीं! मैं रागिनी इस हवेली की मालकिन हूं। मेरे पति गांव से बाहर रहते हैं और मैं अकेली यहां इतनी बड़ी हवेली में रहती हूं। वैसे यहां जल्दी कोई आता जाता नहीं, आप लोग यहां कैसे? कहीं आप मुसाफिर तो नहीं?”
रमेश थोड़ा हिचकिचाते हुए कहता है – “जी हां मैडम हम मुसाफिर ही हैं, हम शहर से आए हैं”।
रागिनी कुछ सोचते हुए अपने ख्यालों में डूबते हुए कहती है, “अक्सर यहां पर मुसाफिर आते हैं और फिर चले भी जाते हैं”। वो रमेश की तरफ मुखातिब होते हुए कहती है – “लेकिन आप मुझे मुसाफिर नहीं लग रहे। पता नहीं क्यों लेकिन आपका चेहरा मुझे कुछ जाना पहचाना सा लग रहा है”।
रागिनी के ऐसे अजीब बर्ताव से रमेश थोड़ा हिचकिचाहट महसूस करता है और अचानक से रागिनी से कहता है, “नहीं मेरा नाम रमेश है और मैं एक ढोल बजाने वाला हूं। इस गांव में मैं पहली बार आया हूं। हमें दूसरे गांव जाना है शादी में ढोल बजाने। हम इस हवेली के बाहर से गुज़र रहे थे तो अचानक से मुझे इस हवेली से आती हुई चीखें सुनाई दीं, तो मैं बस देखने चला आया कि वो किसकी चीखें हैं”।
इतने में रागिनी अपने होश-व-हवास खोते हुए गुस्से में कहती है, “मेरी ही चीखें थीं वो, मेरी मेरी मेरी… फिर रागिनी खुद को संभालते हुए कहती है, “अरे वो मैं सो रही थी न, तो मैंने एक बुरा सपना देखा, तो बस मेरी चीखें निकल गईं।”
रमेश और बिरजू को रागिनी कुछ अजीब लगती है, इसलिए वो दोनों रागिनी से कहते हैं कि अब हम दोनों को चलना चाहिए।
रागिनी उनकी हां में हां मिलाते हुए कहती है – “ठीक है”। लेकिन पता नहीं क्यों उसकी आंखें रमेश को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थीं। रागिनी रमेश को गौर से देखती चली जाती है।
रमेश को रागिनी के इरादे कुछ ठीक नहीं लगते। वो रागिनी से पीछा छुड़ाकर किसी तरह हवेली से बाहर निकल आता है।
रमेश और बिरजू शादी में ढोल बजाने के लिए जंगल की तरफ निकल जाते हैं। रमेश हवेली से बाहर तो आ जाता है, लेकिन अभी भी रमेश के मन में रागिनी की तस्वीर बार बार नजर आ रही थी। जैसे रागिनी उसे बार बार अपनी तरफ खींच रही हो।

Devil A Hidden Secret
डेविल… एक छुपा राज़!
जुर्म की दुनिया में एक नाम बहुत मशहूर था, डेविल! जिसका नाम जुर्म की दुनिया में दहशत और इज़्ज़त से लिया जाता था। डेविल.. जिसे जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह कहा जाता था। कत्ल, स्मगलिंग, ड्रग्स, हथियार और भी बहुत सारे गैर कानूनी काम में मुलाविस था, उसने अपना एक बहुत बड़ा नेटवर्क फैला रखा था।
पर डेविल कौन है, असल ज़िन्दगी में क्या है, कैसा दिखता है, किसी को नहीं मालूम। इसलिए डेविल पर कानून की नजर तो थी, मगर आज तक कोई उसपर हाथ नहीं डाल पाया था।
तो जानिए इस कहानी के ज़रिये डेविल की उस छुपी हुई राज़ दार ज़िन्दगी
साया और मोहब्बत : रागिनी … एक रहस्य! Saya Aur Mohabbat: Ragini .. A Mystery!
रमेश और बिरजू अपनी मंज़िल की तरफ चलते चला जाते हैं, लेकिन उनका रास्ता खत्म होने का नाम ही नहीं लेता। वो दोनों उस ठिकाने पर पहुंच ही नहीं पा रहे थे, जहां का उन्हें पता दिया गया था। इस तरह चलते चलते रात हो जाती है। चारों तरफ काला अंधेरा और जंगल ही जंगल दिखाई देता है। आखिर में थक कर रमेश और बिरजू एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं।
उन्हें बहुत भूख लगती है तो वो अपना टिफिन निकाल कर खाना खाने लगते हैं। खाना खाने के बाद जैसे ही वो थोड़ा आराम करने के लिए बैठते हैं, तो रमेश को रागिनी की आवाज़ें सुनाई देती हैं।
रागिनी रमेश को पुकारती है……रमेश, रमेश, रमेश! रमेश हड़बड़ा सा जाता है और चीखता है – “रागिनी, रागिनी, रागिनी”!…..इतने में उसका दोस्त बिरजू उसे संभालता है और पूछता है – “क्या हुआ रमेश?” लेकिन रमेश उसे कुछ नहीं बताता।
फिर रमेश और बिरजू उस घर को ढूंडने निकल पड़ते हैं, जिसमें उन्हें ढोल बजाना है और जहां का इन्हें Address दिया गया था। लेकिन अभी भी इन दोनों को दूर दूर तक कुछ भी दिखाई नही दे रहा था। फिर अचानक एक घर में उन्हें एक चिराग जलता हुआ दिखाई देता है, बिरजू खुश हो जाता है कि चलो कोई घर तो दिखाई दिया।
रमेश और बिरजू उस घर की तरफ चलते चले जाते हैं, लेकिन एक घंटे तक चलने के बाद भी वो घर करीब आने का नाम ही नहीं ले रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई चाहता ही नहीं कि रमेश और बिरजू उस जंगल से बाहर जाएं।
आखिर में थक कर रमेश और बिरजू वहीं रास्ते में बदहवास होकर लेट जाते हैं। रमेश नींद में रहता है, तभी उसके ख्वाब में उसे रागिनी दिखाई देती है। वही सफेद साड़ी, मांग में लाल सिंदूर। वो रमेश को आगे का रास्ता बताती है। जैसे ही रागिनी उसे रास्ता बताती है, तो रमेश की आंखें खुल जाती हैं। अचानक से रमेश बिरजू से चलने को कहता है और फिर वो दोनों चिराग जल रहे घर में पहुंच जाते हैं।
चिराग वाले घर में पहुंचते ही बिरजू दरवाज़े की कुण्डी खटखटाता है, जहां से आवाज़ आती है, “आ रही हूं”। रमेश और बिरजू इंतज़ार करते हुए खिड़की से देखते हैं तो एक लड़की दूसरी लड़की की मालिश करती हुई दिखाई देती है। वो कटोरी में खून लेकर दूसरी लड़की की पीठ में मालिश करती है। रमेश और बिरजू यह देखकर दंग रह जाते हैं।
फिर अचानक से मालिश करवा रही लड़की अपनी गर्दन खिड़की की तरफ मोड़ती है और रमेश को देखती है। रमेश जब उसको देखता है तो उसमें उसे रागिनी का चेहरा नजर आता है। रमेश चौकन्ना हो जाता है कि तभी उस लड़की की शक्ल बदल जाती है। इतने में दरवाज़ा खुलता है और एक लड़की बाहर निकलकर पूछती है – “क्या हुआ, क्या काम है”? इतने में बिरजू उससे थोड़ा डरते हुए पूछता है – “ठाकुर प्रताप सिंह का घर कहां है? कल उनके बेटे की शादी है, हमें वहां ढोल बजाने के लिए बुलाया गया है”।
वो लड़की बिरजू को घर का एड्रेस बता ही रही थी कि अचानक रमेश की नज़रें उस लड़की के पैरों पर पड़ती है। रमेश की सांसें ऊपर नीचे होने लगती हैं और वो बिरजू से चलने को कहता है। बिरजू उस लड़की से एड्रेस पूछ चुका होता है। रमेश उससे दबी आवाज में कहता है – “जल्दी चलो बिरजू”। घबराया हुआ रमेश बिरजू को लेकर जैसे तैसे भागकर एक मजार पर पहुंच जाता है। मजार पर पहुंचकर रमेश चैन की सांस लेता है। तब बिरजू रमेश से पूछता है – “क्या हुआ रमेश तुम इतने घबराए हुए क्यों हो”?
तब रमेश उसे बताता है – “जिस लड़की से तुम पता पूछ रहे थे न, उस लड़की के दोनों पैर उल्टे थे, वो एक चुड़ैल थी”। बिरजू भी रमेश की बातों से थोड़ा डर जाता है। लेकिन फिर रमेश मजार से मजार का पाक पानी पीकर और उस पानी को अपने और बिरजू के ऊपर छिड़क कर बताए हुए एड्रेस पर पहुंच जाता है।
वहां पर उन्हें ठाकुर प्रताप सिंह का एक मुलाजिम मिलता है, जिसका नाम दलबीर रहता है। दलबीर रमेश और बिरजू से कहता है – “अच्छा हुआ तुम दोनों ठीक वक्त पर पहुंच गए, यहां आने में तुम दोनों को कोई परेशानी तो नहीं हुई”? रमेश और बिरजू एक दूसरे की तरफ देखते हैं, फिर दलबीर से कहते हैं – “नहीं, नहीं, बिल्कुल नहीं”।
दलबीर कुछ मुस्कुराते हुए अंदाज में उन्हें देखता। फिर उनसे कहता है – “अब मैं यहां से तुम दोनों को ठाकुर साहब के ठिकाने पर ले जाऊंगा, लेकिन उससे पहले मुझे तुम दोनों की आंखों में पट्टियां बांधनी होंगी”। रमेश और बिरजू हैरानी से दलबीर से पूछते हैं कि पट्टियां क्यों? तब दलबीर उनसे कहता है – “क्योंकि ठाकुर प्रताप सिंह नहीं चाहते कि उनका ठिकाना किसी को पता चले, इसलिए मुझे तुम दोनों की आंखों में पट्टियां बांधनी होंगी।”
दलबीर की यह बात सुनकर रमेश और बिरजू थोड़ा घबरा जाते हैं, लेकिन उनके पास कोई चारा भी नहीं होता, इसलिए वो मजबूरन दलबीर की हर बात मानते हैं। दलबीर उनकी आंखों में पट्टी बांधकर उनको ठाकुर साहब के ठिकाने पर लेकर जाता है।
ठाकुर साहब की हवेली एक खुफिया पहाड़ के अंदर बनी रहती है। वहां पहुंचने के बाद रमेश और बिरजू को पता चलता है कि वो लोग जहां ढोल बजाने आए हैं, वो एक डाकू का घर है। इतना जानने के बाद उनकी सांसें थम सी जाती हैं। लेकिन फिर मजबूरी में उन्हें दो दिन तक वहां पर रुकना पड़ता है। हवेली में भी रमेश को हर जगह रागिनी ही दिखाई देती है। जैसे रागिनी हर जगह उसका पीछा कर रही हो।
साया और मोहब्बत : रहस्यमई जंगल | Saya Aur Mohabbat: Mysterious Forest
ठाकुर साहब के बेटे की शादी में बाजा बजाने के बाद रमेश और बिरजू को सही सलामत वापस भेजा जाता है। जब ठाकुर साहब की हवेली से वो लोग वापस उनके मुलाजिम दलबीर के घर आते हैं, तो रात हो जाती है और फिर दलबीर उन्हें उस जंगल की कुछ रहस्यमई चीजों के बारे में बताता है।
वह कहता है कि यह कोई साधारण जंगल नहीं है, यह प्रेतात्माओं का घर है। यहां कुछ अच्छी तो कुछ बुरी आत्माएं निवास करती हैं और कुछ ऐसी आत्माएं भी हैं, जो अपने प्रेमी को खोकर बैठी हैं और प्यार की प्यासी हैं। लेकिन उनके इरादे बुरे नहीं हैं। लेकिन कुछ बुरी आत्माएं उन अच्छी आत्माओं को बुरा बनने पर मजबूर करती हैं।
बिरजू और रमेश उस मुलाजिम की बातों को गौर से सुनते हैं और फिर बातों ही बातों में पूछ लेते हैं – “इस जंगल में एक हवेली भी है ना? वहां एक लड़की रहती है। उसके अलावा वहां और कौन रहता है”?
दलबीर उनके सवालों का जवाब देते हुए कहता है – “वो हवेली तो सालों से खाली पड़ी है। वहां कोई भी आता जाता नहीं है। सालों पहले उसमें रागिनी नाम की एक लड़की अपने माता पिता के साथ रहती थी। एक रमेश नाम का आदमी काम की तलाश में शहर से आता है। वो रागिनी को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उससे शादी कर लेता है और उसकी हवेली का सारा सामान लूटकर, उसके मां बाप को मार डालता है और वापस शहर चला जाता है।
रागिनी यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाती। एक तरफ मां बाप के मरने का ग़म तो दूसरी तरफ पति के बिछड़ने का सदमा। रागिनी अपने होश-व-हवास खो बैठती है। वो अपने मां बाप की अर्थी पर सफेद साड़ी पहनकर लाल सिंदूर लगाए बैठी रहती है और अपने पति का इंतज़ार करती है। अपने मां बाप की अर्थी जलने के बाद वो हवेली आती है और रमेश का इंतज़ार करते करते एक दिन खुद को उस हवेली में ही जला लेती है। तबसे लेकर आज तक रागिनी की चीखें उस हवेली में गूंजती रहती हैं”।
इतना सुनकर रमेश और बिरजू बौखला जाते हैं और फिर दोनों एक दूसरे को देखते हैं। इतने में दलबीर उन दोनों के लिए किचन से खाना लेने चला जाता है। रमेश और बिरजू उस जंगल से जल्द से जल्द बाहर निकलने की बातें करते हैं। वो रात उनके लिए सदियों से कम नहीं थी। जैसे तैसे रात गुजारने के बाद रमेश और बिरजू सुबह जंगल से निकलने की तैयारी कर लेते हैं।
रमेश और बिरजू सुबह अपने घर के लिए तो निकल जाते हैं, लेकिन उनका रास्ता जैसे खत्म ही नहीं होता। जंगल के रास्ते में रमेश को हर जगह रागिनी ही रागिनी दिखाई देती है। जैसे रागिनी रमेश को बुला रही हो…रमेश मेरे पति आओ मेरे पास, रमेश मेरे पति आओ मेरे पास। रागिनी की आत्मा बुरी तरह से रमेश के पीछे पड़ जाती है और उसे अपनी तरफ आकर्षित करती है। उसे रमेश में अपना पति रमेश दिखाई देता है, और वो यह सब करके उसे पाना चाहती है।
बेतहाशा भागते भागते बिरजू और रमेश हवेली के पास पहुंच जाते हैं। रागिनी की आत्मा रमेश को हवेली के अंदर खींचने की कोशिश करती है – “रमेश मेरे पति अंदर आओ, रमेश मेरे पति अंदर आओ, रमेश मेरे पति अंदर आओ”। रमेश अपना होश गंवा बैठता है और गफलत में हवेली के अंदर जाने लगता है कि तभी बिरजू उसे जोर से हिलाकर होश में लाता है और जोर से चिल्लाकर कहता है – “रमेश, रमेश होश में आओ”।
रमेश अचानक से अपने होश में आता है और फिर दोनों अपनी जान बचाकर वहां से भागने लगते हैं। रमेश और बिरजू जैसे तैसे वहां से भागकर फिर उसी मजार पर पहुंच जाते हैं, जहां वो दोनों पहले पहुंचे थे। मजार पर उन्हें एक बाबा मिलते हैं। रमेश और बिरजू बाबा से रागिनी के बारे में सब कुछ बताते हैं। बाबा उन दोनों को दिलासा देते हुए कहते हैं – “घबराओ मत बेटा, मैं अभी तुम दोनों को तुम्हारे घर भेजने का इंतजाम करता हूं। तुम दोनों सही सलामत अपने घर पहुंच जाओगे। मुझे पता है कि इन भटकती आत्माओं से कैसे जान बचानी है”।
इतना कहकर बाबा अपने संदूक से तावीज और पाक पानी निकालते हैं। एक तावीज बिरजू के गले में और दूसरी तावीज रमेश के गले में डालते हैं। उसके बाद पाक पानी भी उन दोनों पर छिड़क देते हैं और कहते हैं – “जाओ बेटा अब तुम दोनों को कोई भी आत्मा या चुड़ैल परेशान नहीं कर सकती”। फिर बिरजू और रमेश अपने घर वापस आ जाते हैं। घर पहुंचकर दोनों चैन की सांसें लेते हैं।
लेकिन वो रागिनी अभी भी रमेश के दिमाग से नहीं उतरी थी। वो हर तरह से रमेश के दिमाग को अपनी तरफ खींचती है। रमेश उसे एक बुरा ख्वाब समझकर भूलने की कोशिश करता है, लेकिन भूल नहीं पाता।
साया और मोहब्बत : रागिनी.. वह लौट आयी! | Saya Aur Mohabbat: Ragini Returns
एक दिन रमेश की बेटी पिंकी की अचानक से तबियत खराब हो जाती है। रमेश उसे डॉक्टर को दिखाता है, लेकिन वो ठीक नहीं हो पाती। उसकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जाती है। उसे जोरों के झटके लगते हैं, और वो अजीब अजीब सी शक्लें बनाकर कभी हंसती तो कभी रोती है। पिंकी की मां रश्मि जब जोर से पिंकी पर चिल्लाती, तब वो अपने होश में आती। इस तरह कई हफ्ते गुजर जाते हैं, लेकिन पिंकी की हालत में सुधार नहीं होता।
एक दिन रमेश के घर में कंस्ट्रक्शन का काम लगा रहता है और ज़मीन में बालू पड़ा रहता है। पिंकी को उस बालू के अंदर से कोई लड़की सफेद साड़ी में निकलती हुई दिखाई देती है। पिंकी जोर से चिल्लाती है – “वो देखो अम्मा वो निकलकर आ रही है मेरे पास, बचा लो मुझे, बचा लो। इतना कहकर पिंकी जोर जोर से रोने लगती है और फिर झटका मारकर हंसने लगती है – “ही ही ही, ही ही ही”।
पिंकी जैसे ही हंसती है तो उसका चेहरा बदलने लगता है और उसके चेहरे में फिर रमेश को रागिनी की शक्ल दिखाई देती है। रमेश पिंकी के अंदर रागिनी की छवि देखकर बौखला जाता है। इधर रश्मि भी पिंकी की हालत देखकर बुरी तरह से डर जाती है और कांपने लगती है। अब तो सबको लगने लगा था कि पिंकी पर किसी साय का असर है। इसलिए वो लोग अपने घर पर एक तांत्रिक बाबा को बुलाते हैं। बाबा पिंकी को देखकर बताते हैं कि उसके ऊपर किसी आत्मा का साया है।
फिर बाबा काफी देर तक पिंकी पर मंत्रों का जाप करते हैं। मंत्र पढ़ते पढ़ते बाबा की हालत बहुत ही खराब होती जाती है, जैसे वो चुड़ैल का साया उनपर हावी होने की कोशिश कर रहा हो। लेकिन फिर भी बाबा पिंकी को पकड़कर मंत्र का जाप करते जाते हैं।
आखिर में जब मंत्र पूरे हो जाते हैं, तो चारो तरफ खामोशी छा जाती है। बाबा रमेश से कहते हैं – “अब सब कुछ ठीक हो गया है बेटा, अब तुम्हें या तुम्हारे घर वालों को डरने की कोई जरूरत नहीं। तुम्हारी बेटी के ऊपर से साया हट चुका है। अब इसकी तबीयत बिल्कुल ठीक है”। सब कुछ सही हो जाने के बाद बाबा चले जाते हैं। रमेश बहुत खुश रहता है कि उसकी बेटी अब ठीक हो गई है।
रमेश और उसका परिवार सोचता है कि सब कुछ अब ठीक हो गया है। इसलिए एक दिन वो अपने घर में एक छोटी सी दावत रखते हैं। उस दावत में कुछ खास और करीबी रिश्तेदारों को बुलाते हैं। पूरे घर में जश्न का माहौल बना रहता है, सब बहुत खुश रहते हैं। और फिर दावत खत्म होने के बाद सारे मेहमान अपने घर चले जाते हैं। रात हो जाती है काफी, इसलिए पिंकी भी अपने कमरे में सोने के लिए चली जाती है।
अब अपनी सुकून भरी जिंदगी से रमेश पूरी तरह से Satisfied हो जाता है और खुशी खुशी अपनी पत्नी रश्मि के पास कमरे में जाता है। रश्मि बेड पर पीछे का मुंह करके बैठी रहती है। रमेश अपनी पत्नी से मुस्कुराते हुए कहता है – “आज मैं बहुत खुश हूं रश्मि, हमारे घर को जिसकी भी बुरी नजर लगी थी, वो अब हमारे बीच से चली गई है”।
रश्मि की तरफ से कोई भी जवाब न मिलने पर, रमेश उसे आवाज लगाता है – “रश्मि मैं तुमसे बात कर रहा हूं”। रश्मि फिर भी रमेश की तरफ नहीं देखती। रमेश फिर रश्मि को जोर से आवाज देता है, तब रश्मि सिर्फ अपनी गर्दन रमेश की तरफ घुमाती और उसकी शक्ल में रागिनी रहती है।
रमेश रागिनी को देखकर अपने होश-व-हवास खोने लगता है और रश्मि को इधर उधर ढूंढने लगता है। तभी रमेश के ऊपर खून की कुछ बूंदें टपकती हैं। खून कहां से टपक रहा है ये देखने के लिए जैसे ही रमेश की नजर ऊपर पड़ती है, तो रश्मि की लाश पंखे पर टंगी रहती है और रागिनी जोर जोर से हंसती है – “ही ही ही ही, ही ही ही ही”।