तलाश: एक क़दीम सक़ाफ़त में खोया हुआ माज़ी!

Talaash! A Quest for Searching for a Lost Civilization

तलाश: एक क़दीम सक़ाफ़त में खोया हुआ माज़ी! | Talaash! A Quest for Searching for a Lost Civilization

सफर की तैयारी पूरी हो चुकी थी। मैं अपने दोस्त राज के साथ हिन्दुस्तान के पूर्वी दूर दराज़ के कबाइली इलाके की पुरानी सक़ाफ़त को दरयाफ्त करने की मुहिम पर जा रहे थे। हमारे ग्रुप में दस लोग थे, राज ने मेरा तारुफ़ अपने ग्रुप से करवाया। हम कुछ देर गाड़ी मैं बैठकर इधर-उधर की बातें करते रहे। फिर राज ने अपने ब्रीफकेस से कुछ फाइल्स निकली और वह और उसके साथी प्लान पर बात करने लगे। मैंने उसपर ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं तो सिर्फ सैरों-तफरी के लिए जा रह था। तो मैंने अपना रुख ट्रेन की खिड़की की तरफ किया और बाहर कुदरत की खूबसूरती में खो गया। कब आंख लगी, पता नहीं चला।

मेरी आंख खुली स्टेशन की रिवायती चाय बेचने वालों की आवाज़ों से। फिर हम सब चाय की चुस्कियों के मज़े लेते हुवे, हिमालय की वादियों के बीच अपने सफर को छुक-छुक करती ट्रेन के सफर में आगे बढ़ते रहे। अगली दोपहर हम अपने मंज़िल पहुंचे, स्टेशन पर उतर कर हम सब बाहर आये और अपना सामान लेकर हमारे लिए आयी जीप में सवार हो कर अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ चले। शाम तक हम लोग एक खूबसूरत वादियों के पास आ गए थे। अब आगे का सफर हमको पैदल पूरा करना था।

शाम तक हम वादियों के काफी अंदर तक पहुंचे उतर चुके थे। अब कुछ दिन तक यही वादियां हमारा ठिकाना था । माहौल हैरतंगेज़ तौर पर नशा-आवर था। जब हम ख़ेमे लगा रहे थे तो मुझे लगा की वादियों से म्यूजिक की आवाज़ आ रही हों । शाम ढल चुकी थी । रात के खाने के बाद मैं ख़ेमे से बाहर निकला । पता नहीं क्यों मुझे लगा जैसे वह वादियां मुझे जानी पहचानी हैं । मुझे लगा की वह वादियां मुझे अपने पास बुला रहीं हो । मैं पता नहीं कब तक ऐसे ही उन वादियों को देखता रहा, और उन ढोल नगाड़ों की धुन में कह गया। राज की आवाज़ ने मेरे ख़यालों को ब्रेक लगाया ।

राज ने मुझे आवाज़ दी। अमन यहाँ क्या कर रहे हो। मैंने कुछ न कहकर बस मुस्कुराना बेहतर समझा फिर हम सोने चले गए। ख़ेमे में अच्छी खासी ठंडी हवा आ थी। मैंने की काफी कोशिश की पर सो नहीं सका। वादियों से वही ढोल की आवाज़ें मुझे बेचैन कर रही थी। शायद रात के आखिरी पहर, मुझे नींद आ गयी।

अगली सुबह वादियों में हमको नीचे उतरना था। वादी के निचले हिस्से में पहुंच कर हम एक मैदानी इलाके को तलाश कर रहे थे, जहाँ शायद कभी कोई आबादकारी का इमकान हो।

राज और उसके दोस्त वादियों में खुदाई लग गए, और मैं भी इधर उधर घूमने लगा। यहाँ भी मुझे हर वक़्त ऐसा ही लग रहा था की यह जगह जानी पहचानी सी है। घूमते हुवे मैं एक झरने के पास पहुँच गया। बहुत खूबसूरत जगह थी। मैं वही पर एक चट्टान पर बैठ गया।

वहाँ बैठे-बैठे दिल में शायरी के तसूरात आने लगे और मैंने बैग से डायरी निकली और लिखने लगा। पता नहीं मैं कहाँ खो गया था, और मेरा पेन पता नहीं डायरी पर क्या लिखने लगा। कुछ देर इसी मदहोशी के आलम में वहाँ बैठा रहा।

शाम ढल रही थी। हम सब वापिस खेमे की और बढ़ चले। वह पहुंचते रात हो गयी। खाना खा कर हमारी मीटिंग हुई। फिर हम अपने-अपने खेमे में सोने चले गए। आज वो धुन की आवाज बहुत नजदीक से आती लग रहे थी। इसे महेज़ एक भरम मानकर मैं सो गया।

अगली सुबह जल्दी हम लोग जल्दी नीचे पहुंच गए। हम लोग ग्रुप में बट गए। मेरे ग्रुप का लीडर था विकेश। मैंने कहाँ “ विकेश तुमको लगता है क्या यहाँ कभी कोई रहता होगा, यहाँ तो कुछ भी नहीं दिख रहा।”

विकेश हंसने लगा और बोला, अमन भी, कुछ कह नहीं सकते, पर जो कुछ हमको यहाँ की पिछली खोजो से पता चला है, उसके बिना पर तो अभी नहीं ,पर पहले यहाँ अनेक सुविधाएं होंगी, और कभी यहाँ कोई पुरानी कबाइली तहज़ीब जरूर होगी। बस थोड़ा वक़्त लगेगा पता लगने में।

मेरा दिल अब वहाँ नहीं लग रहा था। मुझे बोरियत होने लगी थी। उस रात खाना खाकर मेने राज से पूछा और कितने दिन रुकना है राज ने कहा “ यही कोई दस-बीस दिन। क्यूँ क्या हुआ तेरा मन नहीं लग रहा क्या। मैंने तो पहले ही कहाँ था, की तू बोर हो जाएगा। बता वापिस जाने का दिल हो रहा है?”

मैंने वापस जाने की हामी भर दी। राज बोला दो दिन बाद हम लोग शहर जाने वाले है, तभी तुमको स्टेशन चोर देंगे। तब तक तो तुझे बोर होना ही पड़ेगा । यह कह कर राज मेरे खेमे से जाने लगा, तभी उसकी नजर मेरी डायरी पर पड़ी। वह बोला “कुछ लिखा है यहाँ के बारे मैं?”

मैं बोला कुछ नहीं लिखा यार, बस शुरू किया था, पर कुछ लिखने लायक मिला ही नहीं।

राज फिर भी डायरी को देखने लगा और पन्ने पलटने लगा। एक पन्ने पर रुक गया उसने कहा ये तूने क्या लिखा हैं!

मैंने पूछा क्या तो राज ने हैरत से मुझे देखते हुवे बताया की मैंने यहाँ की जबान मैं कुछ लिखा है। इस ज़बान से कुछ मिलते जुलते पुराने दस्तावेज़ पिछली खुदाई मैं मिले थे। यह जबान कभी इस कबाइली इलाके की जबान रही होगी ऐसा मानना है।

राज की बात सुन मुझे पहले यकीन नहीं हुआ। पर फिर उसने मुझे कुछ पुराने दस्तावेज़ और फोटोग्राफ दिखाए। मैंने देखा की उन पुराने फोटोग्राफ और कुछ दस्तावेज़ों मैं कुछ वैसे ही लिखा था जो मेरी डायरी के कागजों पर था। मुझे कुछ समझ नहीं आया। मुझे यकीन नहीं आया तो राज ने उस ज़बान को थोड़ा बहुत समझने वाला तर्जुमा किया और बताया की यह शायद एक कविता होगी।

मुझे कुछ समझ नहीं आया पर मैंने जाने का इरादा छोड़ दिया । रात को फिर वही नगाड़ों की धुन की लहरें माहोल को नशीला बनाने लगी। न जाने कब मैं खेमे से बाहर आया और घाटी की तरफ चल पड़ा। मैं कब उस चाँदनी रात में उसी झरने के पास जाकर बैठ गया। वहाँ ठंड हो रही थी और पता नहीं कब मैं गश कहा कर गिर गया, मुझे कुछ याद न रहा।

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एक हफ्ते के तेज़ बुखार के बाद मुझे एक अस्पताल के बेड पर होश आया। राज मेरे पास था उसने मुझे बताया की उस रात वो लोग मुझे तलाश करते हुवे झरने के पास पहुंचे तो मैं वहाँ बेहोश मिला था। तेज बुखार था और पता नहीं किस ज़बान में कुछ बोल रहा था। बस एक बात समझ आई की तुम कहीं मत जाना। यह इस लिए समझ आया क्योंकि यह तूने उसी पुरानी जबान में कहा था।

राज की बात सुन मैं परेशान हो गया। रात भर कुछ समझ नहीं आया। फिर कब सोया कुछ याद नहीं । राज मेरे साथ सो रहा था। रात के दो बजे मेरी आँख खुली और उठ गया। मुझे फिर से वही नगाड़ों की आवाज़ सुनाई दे रही थीं। मैं फिर उन आवाजों की तरफ बढ़ने लगा, तभी राज की भी आंख खुल गयी। उसने मुझसे पूछा की क्या हुआ!

मैंने कहा की हम तो उस वादी से काफी दूर हैं, पर फिर भी क्यूँ यह नगाड़े की आवाज़ अ रही है। राज बोला कौन की आवाज़! उसे तो कोई आवाज़ नहीं आ रही। मैंने कहा वही आवाज जो हम लोगों तो कैम्प में आती थी। तब राज बोला नहीं उसने तो कभी कोई आवाज़ नहीं सुनी। फिर उसने विकेश को कल की और पूछा तो उसने भी किसी म्यूजिक या नगाड़ों की आवाज़ को नहीं सुना था। असल में पूरे कैम्प में किसी ने कभी ऐसा कुछ नहीं महसूस किया था।

यह सब सुन मैं परेशान हो गया। तब राज बोला तुम परेशान न हो, हो सकता ही की यह महेज़ एक भरम हो। बाता कॉफी पिएगा, मैं लाता हूँ कैन्टीन से। मूड ठीक होगा तेरा। मैंने हामी भरी। राज चला गया और मैं फिर कही खो गया।

फिर कुछ देर बाद राज ने मुझे हिला के जगाया। कॉफी पीते हुवे मैंने राज से कहा “तुम इतने समय से यहाँ पर खोज रहे हो ,पर तुम्हे कुछ नहीं मिला।”

राज बोला “हाँ! पर ये सब तुम इस वक़्त क्यों पूछ रहे हो?

मैंने कहा “ पर इस खोज के सरे पहलु झरने के पास है।”

राज कुछ नहीं बोला बस मुझे देखता रहा। कुछ देर बाद में सो गया। अगले दिन मुझे कुछ याद नहीं था। राज ने मुझे रात वाली घटना के बारे में बताया। राज बोला की तुम अभी सफर करने की हालत में नहीं हो, इसलिए तुम एक दो दिन रुक जाओ। मैं आज साइट पे जा रहा हूँ, पर विकेश आन वाला है। वो रुकेगा तुम्हारे साथ।

पर पता नहीं इतनी कमजोरी होने के बाद भी मैं खड़ा हुआ और साथ चलने की जिद की। पहले तो राज नहीं माना, पर फिर कुछ सोच कर उसने हामी भरी। कुछ घंटों के बाद हमारा ग्रुप फिर झरने के पास पहुँचा। सब इधर उधर देख रहे थे तभी राज ने मुझे पूछा की बताओ, यहाँ क्या हैं।

एकाएक मुझे पता नहीं क्या हुआ। मैंने कहा जो कुछ हैं इस झरने के पीछे है। झरने के पानी के पीछे गुफा हैं जो आगे एक मैदान में निकलती है। राज बोला “पर वहाँ जाएंगे कैसे!”

मैंने मुसकुरा के कहा “ मुझे रास्ता पता हैं। ऐसा कहकर मैंने झरने के पास की चट्टानें पार की और एक चट्टान को खोदने को कहा। कुछ देर बाद जब चट्टान टूटी तो सामने गुफा का रास्ता था। सभी मेरे पीछे -पीछे अंदर आ गए। टॉर्च की रौशनी से गुफा रोशन हो गई। गुफा की दीवारों पर तरह-तरह की पुरानी तस्वीरों बनी हुई थी। यहाँ वहाँ खुदाई से कुछ पुराने बर्तन और पत्थर हो चुके हथियार मिले।

राज ने मेरे पास आके पूछा “अमन कुछ और हो तो बताओ।”

मैं कुछ न बोला और गुफा के बाहर आने लगा। गुफा में एक तरफ मिट्टी उभरी थी। मैं रुक गया। दल ने सावधानी से मिट्टी को हटाया। उन्हें एक लाश मिली। पूरी तरह सुकड़ी हुई ,पर मांस से भरी हुई। लेकिन उसमें बदबू नहीं थी।

मैंने कहा राज “यह एक नगमा निगार था।”

राज ने पूछा “ये कितने वर्ष पुरानी बात हैं?”

मैंने कहा “’लगभग 5500 साल पुरानी। राज ने फिर पूछा “तुम और कच जानते हो?”

मैंने कहा राज इन चट्टानों के पीछे एक सदी सो रही है, खतम हो चुकी सक़ाफ़त दफन हैं यहाँ। गुफा के आगे जो मैदान हैं वहाँ तुमको बहुत कुछ मिलेगा।

सब लोग हैरान थे, तब विकेश बोला “अमन भी आप यह सब कैसे जानते हैं, और यह लाश किसकी है।”

मेरे मुंह से अचानक निकला “यह लाश मेरी ही हैं।”

सब हैरत से मुझे देख रहे थे। मैं गुफा से निकलता हुआ मैदान की तरफ चल दिया। ठंडक बढ़ रही थी। रात होने वाली थी। हर तरफ खामोशी थी। आज वो ढोल नगाड़ों की आवाज़ नहीं या रही थी। दिल अब सुकून से था, और तबीयत में बेज़ारी खतम हो चुकी थी। एक भारीपन स था मुझपे, पर अब सब कुछ ठीक था, शायद मेरी तलाश पूरी हो चुकी थी।


Saya Aur Mohabbat: A Mysterious Horror Story

Saya Aur Mohabbat: A Mysterious Horror Story

रमेश एक गरीब आदमी रहता है, जो ढोल बजाकर अपने परिवार का पेट पालता है। वो अपनी पत्नी रश्मि और बेटी पिंकी से बहुत प्यार करता है। वो ढोल बजाने के लिए अपने दोस्त बिरजू के साथ जंगल जंगल और गांव गांव जाता है।

एक दिन जंगल की एक हवेली में उसकी मुलाकात रागिनी नाम की लड़की से होती है, जो सफेद साड़ी में सिंदूर लगाए रहती है। आखिर कौन है ये रागिनी, रमेश से इसका क्या रिश्ता है, और क्यों वो रमेश के पीछे पड़ी रहती है। यह सब कुछ जानने के लिए हमें इस कहानी को पूरा पढ़ना होगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं –

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Amaan

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