Teri Ulfat Main | Mohabbat Aur Dosti Se Bhari Ek Dastaan | Part 01

Teri Ulfat Main Mohabbat Aur Dosti Ki Dastaan
तेरी उल्फत में | वह पहला दिन और ज़िंदगी भर की दोस्ती की शरुवात! | क़िस्त 01
यह दास्तान है, अर्सलान और कशिश की, उनकी मोहबात और नफरत की। उस नफरत के सायों के मिटने वाली दोसतीं की। जिस तरह आग को पानी शांत करता हैं, उसी तरह कशिश है, एक नफरत और घमंड में चूर लड़की, जिसकी ज़िन्दगी में दाखिल हो जाता है, समंदर सा गहरा और खुशमिजाज़ अर्सलान । कशिश को वह बिलकुल पसंद नहीं है, पर किस्मत उनको एक साथ ले आती है। अर्सलान कैसे संभालेगा इस घमंड में चूर लड़की को ! यह है इस कहानी का मज़ा, जिसमे उसके दोस्तों की ज़िन्दगी के भी रंग है, और नफरत और जाल साज़ी के कुछ पहलू.
पढ़िए यह खूबसूरत कहानी क़िस्त दर क़िस्त, आपको क़िस्त दर क़िस्त इस कहानी के किरदारों से मोहबत हो जाएगी।
वह पहला दिन और ज़िंदगी भर की दोस्ती की शरुवात!
“अपने आप को समझते क्या हो तुम. कितनी देर से हुमारे पीछे पीछे चले आ रहे हो. ज़यादा दिमाग़ खराब हो तो बताओ ? बुलाती हूँ अभी प्रिन्सिपल को.” बड़े ही गुस्से मैं बोली थी कशिश.
इतने मैं ज़ैन वहाँ आ पहुचा और बोला “क्या हुवा कशिश ? यह क्या तुम्हे परेशान कर रहा है. ” फिर वो अर्सलान की तरफ मुखातिब हुवा और काफ़ी ज़ोर से बोला, “क्यो बे किस लिए पीछा कर रहा था तू. कौन है. चल अपने रास्ते निकल.”
अर्सलान बोला “मैं अपने रास्ते ही जा रहा हूँ, यह मोहतार्मा भी उसी रास्ते जा रही हैं. यह मेरे आगे थी और मैं पीछे, इसका यह मतलब नही है की मैं इनका पीछा कर रहा हूँ. ”
इतना कह कर अर्सलान आगे निकल गया, और पीछे कशिश उसको घूर कर देखने लगी. फिर बोली “बड़ा बदतमीज़ शक़स है. पता नहीं कहाँ कहाँ से आ जाते है जाहिल लोग।”
इस पर ज़ैन बोला “अरे तुम परेशान ना हो, इसकी अकड़ निकल देंगे जल्दी ही.”
कशिश गुस्से से बोली “जल्दी नही आज ही निकालो इसकी अकड़. ताकि अगली बार हम से उँची आवाज़ मे ना बात करे.”
“आपका हुकुम सर – आँखों पर कशिश साहिबा, आज क्लास के बाद, इसको सीधा करता हूँ .” ज़ैन ने कहा. फिर वो भी अपने बाकी साथियों के साथ आगे बढ़ गए टेक्नालजी डिपार्टमेंट की तरफ.
कशिश यूनिवर्सिटी के सबसे बड़े ट्रस्टी और फिनांशल डोनर की बेटी थी. ज़रूरत से ज़्यादा घमंडी और बदतमीज़. एक लौटी औलाद होने की वजह से जयादा ही सिर चढ़ि भी थी. ज़ैन उसके फादर के पार्ट्नर का बेटा था, जो साथ ही पढ़ता था. वो एक बिगड़ा हुवा लड़का था.
क्लास मैं सब बैठे हुवे थे, जब प्रोफेसर शर्मा आए. वो अंदर आ कर सब से मुखातिब हो कर बोले. “आप सबको न्यू सेशन मैं देख कर खुशी होती है. अब जैसे की आप सब को पता है की हम सब का यह पहला दिन है तो आज मैं आपको कुछ ज़यादा परेशन नही करूँगा. बस जो कोर्स हमको कवर करना है उसका थोड़ा सा इंट्रो दूँगा और एक दो सवाल पूछूँगा.”
फिर मिस्टर. शर्मा उनको कोर्स के कंटेंट्स की डीटेल देने लगे, फिर उन्होने एक सवाल पूछा “जैसा की आप लोगों को पता है की हम इंडस्ट्रियल डिज़ाइन्स पढ़ेंगे आने वाले दिनों मे , उनके 3डी आंड 2डी मॉडेल्स बनाएँगे. इस लिए मैं आप से कलर्स से रिलेटेड एक सवाल करता हूँ, आप मे से कौन सॅचुरेशन को डिफाइन कर सकता है?”
पूरे क्लास मैं कोई कुछ नही बोला. सब शांत थे एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे. इधर कशिश मिस्टर शर्मा क्या कह रहे हैं इस पर ध्यान नही दे रही थी, वो तो मज़े से अपने मोबाइल से खेल रही थी. तभी मिस्टर. शर्मा की नज़र उस पर पड़ी। वो बोले “कशिश तुम बताओ. ”
कशिश खड़ी हो गयी, पर उसको सवाल तो पता नही था. वो इधर उधर देखने लगी.
मिस्टर शर्मा बोले “यहाँ वहाँ देखने से सवाल और उसका जवाब नही आ जाता है. तुमको तो शायद सवाल ही नही पता होगा. जिस वक़्त मैं सवाल पूच रहा था तब तुम मोबाइल पर बिज़ी थी.”
वो फिर बोले “बड़ी ग़लत बात है, आप मे से कोई भी नही जनता इस सवाल का जवाब.”
तभी पीछे से एक हाथ उठा, और आवाज़ आई “सर क्या मैं कोशिश करूँ ?”
मिस्टर. शर्मा बोले “हाँ ज़रूर। ”
“द सॅचुरेशन ऑफ आ कलर इस डेटर्मिन बाइ द कम्बिनेशन ऑफ लाइट इंटेन्सिटी एंड हाउ मच इट इस डिस्ट्रिब्यूटेड अक्रॉस द स्पेक्ट्रम ऑफ डिफरेंट वेव्लेंत्स. प्यूरेस्ट (मोस्ट सॅचुरेटेड) कलर इस अचीव्ड बाइ यूज़िंग जस्ट वन वेव्लेंत अट ए हाइ इंटेन्सिटी, सच आस इन लेज़र लाइट. इफ़ द इंटेन्सिटी ड्रॉप्स, देन आस ए रिज़ल्ट द सॅचुरेशन ड्रॉप्स. ”
मिस्टर. शर्मा “शाबाश, क्या बात है। बिल्कुल सही जवाब है बर्खुरदार. क्या नाम है आपका.”
“अर्सलान ख़ान” जवाब मैं अर्सलान ने अपना नाम बताया.
“तुमने अभी जॉइन किया है ना. यहाँ के तो नही हो.” मिस्टर शर्मा बड़ी गरम जोशी से बोले.
“जी सिर मैने हाल ही मैं जॉइन किया है.” अर्सलान ने जवाब दिया.
“बहुत अच्छे अर्सलान. इसी तरह ध्यान दो अपनी पढ़ाई पर.” मिस्टर शर्मा ने उसका हौसला बदाया.
“शुक्रिया सिर, मैं पूरी कोशिश करूँगा.” अरसलान ने जवाब दिया.
कुछ देर बाद मिस्टर शर्मा चले गये, और पूरा क्लास बाहर आ गया. सब इधर उधर ग्रूप्स बना कर खड़े हो गये. अर्सलान एक कोने मैं बैठा था. तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा, एक लड़का था जो मुस्कुरा रहा था.
“दोस्त क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ?” अर्सलान ने कहा “जी ज़रूर.”
वो लड़का उसके पास बैठ गया और बोला “मेरा नाम राज है, तुम नए आए हो यहाँ पर. सोचा थोड़ी जान पहचान कर लेता हूँ.”
अर्सलान बोला “शुक्रिया राज. आप से मिल कर खुशी हुई.”
इस पर राज बोला “खुशी ऐसे नही ज़ाहिर करो, चलो मैं तुम्हे अपने दूसरे दोस्तों से भी मिलता हूँ. और अब यहाँ अपने को अकेला नही समझ ना. तुम भी हुमारे साथ रहा करो.” राज उसको अपने साथ लेकर कॅंटीन मैं चला गया, जहाँ एक टेबल पर कुछ लोग बैठे थे.
राज बोला “दोस्तों हमारी चंडाल चौकड़ी मे इस्तिक़बाल करिए अर्सलान मिया का. जनाब उत्तर प्रदेश से तशरीफ़ लाए हैं. पढ़ने मैं काफ़ी ज़हीन हैं. अब यह अपने साथ रहेंगे. आप सब से गुज़ारिश है की इनको बिल्कुल भी अकेला ना महसूस होने दे।”‘
राज फिर एक साँस ले के बोला “अर्सलान , मैं तुम्हे इन सब का नाम बताता हूँ, यह चश्मिश जो दिख रहा है, इसका नाम तो साहिल है, पर इसको हम न्यूटन कहते है, जनाब बहुत बड़े पढ़ाकू हैं। इसके साथ बैठी जो ख़तरनाक सी बंदी है इसका नाम हिना है. इसका नाम हीना है, और इसका फॅवुरेट टाइम पास लड़ना है, लड़ने का बहाना चाहिए.”
तभी राज के चेहरे पर एक पेपर बॉल पड़ा. इस पर वो बोला “ देखा मिल गया ना इसको मौका. कॉलेज मे कोई लड़ाई हो इसको साथ ले जाना. लोग ऐसे ही भाग जाएँगे. इसके बगल मैं बैठा बंदा है रोहित. इसको पढ़ने से कोई मतलब नही रहता, यह सिर्फ़ खाता है, सोता है और जिम मे पाया जाता है, देखो अभी भी यह छोले कुलचे ही खा रहा है.”
तभी पीछे से एक लड़की की आवाज़ आई, “राज मुझे भूल गये?”
राज बोला “नही आप दिखी नही ना। हाँ तो भाई, मोहतरमा का नाम है सना। पर हम कहते हैं इनको, लेडी गूगल। इनको दुनिया की सारी खबर रहती है, कोई इश्यू हो कोई ज़रूरत हो, बस एग्ज़ॅम के पेपर्स को छोड़ कर सब इनके दरबार में सॉल्व हो जाते हैं। ”
अर्सलान बारी बरी सब से मिला. सब ने गरम्जोशी से उसका वेलकम किया. फिर अर्सलान ने बताया अपने बारे मे . और राज से बोला की “राज अपने बारे मे भी तो बता दो.”
इसपर हिना बोली “अरे इसके बारे में, मैं बताती हूँ. यह एक नंबर का फालतू इंसान है. बेढंगा. कोई काम वक़्त पर ना करने वाला.सिर्फ़ यहाँ वहाँ घूमता रहता है.”
इस पर सब हसने लगे और राज ने एक पेपर बॉल उठा कर हिना को मारा.
थोड़ी देर इधर उधर की बातों के बाद, राज बोला “यार अर्सलान तुम दूसरे शहेर से आए हो कोई दिक्कत हो तो बताओ. कोई शरम ना करना. ”
इस पर अर्सलान बोला “ हाँ एक ज़रूरत है. मैं हॉस्टिल मे नहीं रहना चाहता. असल मैं स्टडीस के साथ कोई जॉब भी करना चाहता हूँ. हॉस्टिल मे तो पासिबल नही हैं.”
राज बोला “परेशान ना हो, लेडी गूगले जी की शरण में चले जाओ. सना , अपना नेटवर्क का इस्तेमाल करिए.”
सना बोली “अर्सलान, कल तक तुम्हारा काम हो जाएगा। वैसे मैं तो हॉस्टल में ही सेटिंग करवा सकती हूँ. यहाँ के वार्डन अच्छे हैं। पार्ट टाइम जॉब के लिए मन नहीं करेंगे।
अर्सलान बोला “शुक्रिया सना। बस जॉब करने को मन न करें तो हॉस्टल ही सही रहेगा।”
साना बोली “शुक्रिया रखो अपने पास, हम दोस्तों के बीच यह सब नही चलता. इस बात का ध्यान रखना.”
इस पर सब हॅसने लगे. इसी तरह पूरा दिन निकल गया, और अर्सलान सब से अलग हुवा, न्यूटन उसके साथ हो लिया, क्यों की वो भी हॉस्टिल मैं रहता था. दोनों एक साथ बात करते हुवे चल दिए।
कॉलेज राइवलरी
वो लोग कुछ ही दूर आगे चले थे कि रास्ते में ज़ैन अपने कुछ साथियो के साथ वहां आकर खड़ा हो जाता है। और अरसलान का रास्ता रोक लेता है। उसके साथ वहां पर कशिश भी थी। न्यूटन और अरसलान आगे बढ़ने लगे तो उतने में ज़ैन बोला, “क्या मिया कहां चले जा रहे हो? ज़रा हमसे भी तो मिलते जाओ। सुबह तो आप बड़ी ऊंची आवाज में बात कर रहे थे, अब क्या हुआ?”
अरसलान बोला “सुबह मैंने गलत फ़हमी दूर कर दी थी बस। और मैं बातों को तूल नहीं देना चाहता। इसलिए आप सब हमारा रास्ता छोड़िए और हमें अपने रास्ते जाने दीजिए।”
कशिश “गलत फहमी तो हम तुम्हारी दूर करेंगे। सुबह बड़े होशियार बन रहे थे न क्लास में तुम। किसने तुमसे कहा था कि तुम टीचर के सवाल का जवाब दो। तुम्हारे जवाब देने से मेरी कितनी बेइज्जती हो गई है।”
अरसलान बोला “मोहतर्मा मुझे जो पता होगा वह मैं बोलूंगा। इसके लिए मुझे किसी से इजाज़त लेने की कोई ज़रूरत नहीं है और दूसरी बात मैं यहां पर पढ़ने के लिए आया हूं। वह तो करूंगा। अब इससे आप की इंसल्ट हो तो मैं इसमें कुछ भी नहीं कर सकता।”
इसपर न्यूटन बोला “देखो ज़ैन अरसलान यहां पर किसी से लड़ने झगड़ने के लिए नहीं, बल्की पढ़ाई करने के लिए आया है। और तुम बिला वजह बात का बतंगड़ बना रहे हो। जो तुम कर रहे हो वह बिल्कुल ठीक नहीं है।”
इसपर कशिश बोली “ओह आते ही चमचे भी बना लिए तुमने। हां छोटे लोगों को छोटे लोग जल्दी मिल जाते हैं। और फिर ग्रुप भी बना लेते हैं। क्यों ज़ैन! सही कहा ना मैंने।”
इसपर ज़ैन और उसके साथी सब मिलकर ज़ोर-ज़ोर से हसने लगे। फ़िर ज़ैन बोला “क्यूं बे साहिल, तेरे बहुत चरबी चढ़ गई है। लगता है तेरी सारी चर्बी उतारनी पड़ेगी। अभी बताता हूं मैं तुझे। इस नमूने से पहले हम तेरे को ही सीधा करते हैं।”
ज़ैन ने उसे मारने के लिए अपना हाथ साहिल की तरफ उठाया, पर एक दसरे हाथ ने उसे रोक लिया और अपनी गिरफ्त में ले कर मोड़ दिया। ज़ैन ने हाथ के मलिक को देखा, तो इतने में गुर्रा कर बोला, “तेरी ये हिम्मत…।”
ज़ैन के साथी भी उसी तरफ बढ़े, तो अरसलान गुर्रा कर बोला, “अगर किसी ने मुझे या साहिल को हाथ भी लगाया, तो इस कार्टून का हाथ ऐसा तोड़ूंगा कि दुनिया का कोई भी डॉक्टर इसका हाथ नहीं जोड़ पाएगा। और तुम में से जो भी मुझे पहले हाथ लगाएगा, उसका तो मैं पूरा जियोग्राफिया ही बदल कर रख दूंगा। चुप चाप यहां से भागो तुम लोग। वरना इसका हाथ आज शहीद हुआ।”
ज़ैन दर्द से तड़पने लगा। अरसलान के तेवर देख कर उसके दोस्तों की भी हिम्मत जवाब दे गई।
वो सब अरसलान के गुस्से को देखकर डर कर वहां से भाग लिए। कशिश बस वहां पर खड़ी रह गई। अरसलान ने ज़ैन को एक तरफ़ किया। फिर साहिल से कहा “चलो साहिल, ये बड़े लोग हम लोगों की तरह खाने में अनाज, सब्जी और गोश्त नहीं खाते, ये ब्रेड बटर के बने हुए लोग हैं, और सिर्फ झुंड में ही रहते हैं। अकेले इनके बस का कुछ भी नहीं होता।
फिर वो कशिश से मुखातिब हुआ “मोहतर्मा बिना वजह चीजो को तूल न दीजिए। मैं यहां लड़ने के लिए नहीं आया हूं। और हां एक और बात इंसान छोटा या बड़ा अपने कर्म से होता है। फाइनेंशियल स्टेटस से नहीं। आपका कार्टून नीचे पड़ा काफी देर से ज़मीन सूंघ रहा है। देखिये उसे आप।”
इतना कह कर वो दोनो, हॉस्टल की तरफ चल पड़े। कशिश उसे ज़हर बुझी निगाहों से घूरती रही।
हॉस्टल में अरसलान अपने रूम में पहुंचा, और अपनी किताबें एक तरफ रख कर अपने बिस्तर पर आराम करने के लिए लेट गया। अभी वह थोड़ी देर ही लेटा था कि उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। अरसलान दरवाजा खोलने के लिए अपने बिस्तर से उठा। जब उसने दरवाजा खोला तो न्यूटन अपना सामान लिए वहां पर खड़ा था। दरवाजा खुलते ही वह अंदर रूम में दाखिल हो गया।
दूसरे बिस्तर पर बैठे हुए वह अरसलान से बोला, “यार तुम्हारे रूम के दूसरे बंदे का तो अभी कोई भी आता-पता नहीं है। तो इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न मैं तुम्हारा रूम शेयर कर लूं। इसलिए मैंने हॉस्टल के मैनेजर से बहुत रिक्वेस्ट की, तो उन्होंने मुझे तुम्हारे साथ इस रूम में शिफ्ट कर दिया। अब कम से कम इस बात की तसल्ली है कि हम लोग एक साथ एक रूम में रहेंगे तो कोई तुम्हें परेशान नहीं कर पाएगा।”
इस पर अरसलान न्यूटन से बोला “मुझे या फिर तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा।”
न्यूटन बोला “यार एक ही बात है न। जब तक तुम यहां पर इस कॉलेज में हो, तब तक हम दोनों एक साथ एक ही रूम में रहेंगे। ठीक है न? अरसलान बोला ठीक है।”
फिर दोनो ने आपस में बैठकर काफ़ी बातें की और उसके बाद एक साथ मिलकर अपने कमरे को सही किया। और फिर दोनों डिनर के लिए बाहर चले गए।
क्लास में सब बैठे थे कि मिस्टर शर्मा दाखिल हुए। मिस्टर शर्मा ने क्लास को देखा। अरसलान के साथ न्यूटन बैठा था। मिस्टर शर्मा बोले “कशिश अपनी जगह से उठो, और अरसलान के पास बैठो। यहां सामने बैठोगी तो नजर में रहोगी। न्यूटन तुम जरा, राज के साथ बैठो।”
कशिश न चाहते हुए भी अरसलान के पास बैठ गई। अरसलान ने उसकी तरफ देखा तक नहीं। पर कशिश उसे खा जाने वाली नजरों से देख रही थी। अरसलान ने पूरी क्लास में उसपर तवज्जो ना दी, जब क्लास खत्म हुई। अगली टीचर मिस रूबी दूर पर आ गई। मिस्टर शर्मा ने मिस रूबी को ग्रीट किया और कहा “आइए मैडम, माफ़ी चाहता हूं कि क्लास थोड़ी लंबी खिंच गई।”
मिस रूबी बोली “अरे नहीं सर, कोई बात नहीं, वैसे कैसी गई आपकी क्लास, सब पुराने स्टूडेंट्स है या कुछ नए भी हैं।”
“जी सिर्फ़ एक लड़का नया है, काफ़ी हुनहार है। मुझे उम्मीद है कि अच्छा करेगा, वैसे मैंने कशिश को आज उसके साथ बैठा दिया है, ताकि वह अपने पुराने दोस्तों के साथ मिलकर क्लास में तफरीह न करती रहे।” मिस्टर शर्मा ने जवाब दिया।
मिस रूबी बोली “आपने बिल्कुल बाजा फरमाया। मैं खुद इससे और कुछ स्टूडेंट्स से परेशान हूं।”
फिर वह अंदर आ गई। कशिश उठकर अपनी जगह जाने को हुई तो मिस रूबी ने उसे रोका और कहा “कशिश तुम यहीं बैठो।” कशिश फिर मन मारकर बैठ गई।
ममता की छांव!
मिस रूबी क्लास से मुखातिब हुई, “मैं आपको इंडस्ट्रियल आर्ट्स का मॉड्यूल पढ़ाऊंगी। यह मॉड्यूल बहुत इंट्रेस्टिंग होता है। जब आगे चल कर आप लोग बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स करेंगे तो आपके काफ़ी काम आएगा, जो आपने यहाँ सीखा। लेकिन आज क्योंकि यह पहली क्लास है, तो मैं कोर्स से हट कर आप को एक वर्क देती हूं। आप सब एक ऐसी तस्वीर बनाइए जो आपके दिल के करीब हो। कुछ ऐसा जो आप शिद्दत से पाना चाहते हो। शुरू हो जाइए।”
पूरी क्लास काम में लग गई। सब कुछ न कुछ बनाने लगे। थोड़ी देर बाद मिस रूबी ने कहा “देखा जाए की आप सब ने क्या बनाया है। वह न्यूटन के पास गई, तो न्यूटन ने अपने आपको बड़े से घर के आगे खड़ा किया हुआ था। फिर रोहित की पेंटिंग में वह एट पैक एब्स बनाए हुए था। इस तरह वह एक एक करके सबकी आर्ट्स देखती हुई कशिश के पास आई। कशिश की पेंटिंग में एक सीनरी थी जो कि अधूरी थी। फिर उन्होंने अरसलान से पेंटिंग मांगी।
अरसलान ने अपनी पेंटिंग में रंग नहीं भरे थे। सिर्फ पेंसिल से एक मां-बाप और बेटे को पोर्ट्रे किया था, मां-बाप का चेहरा खाली था। सिर्फ खाका था। बेटे के चेहरे पर मुस्कान थी।
मिस रूबी बोली “यह क्या बनाया है तुमने?” तो अरसलान ने कहा, मैम “आपने कहा था कि जो मैं शिद्दत से चाहता हूं, वह पोर्ट्रे करूं। मैं यही चाहता हूं। अपने मां बाप की गोद में बैठा हूं। इन पलों को चाहता हूं मैं।”
इस पर कशिश बीच में बोली “तो जाओ और बैठो न अपने घर पर, यहां पेंटिंग किस लिए बना डाली।” और वह ज़ोर ज़ोर से हसने लगी। साथ में उसके दूसरे साथी भी हसने लगे।
मिस रूबी ने सबको डांट कर चुप किया, और अरसलान से बोली “पर आप तो बचपन में खूब खेले होंगे, आप अभी भी यही करना चाहते हैं?”
अरसलान ने बड़ी संजीदगी से जवाब दिया “मेरे मां और बाप एक एक्सीडेंट में गुजर गए। इसलिए मेरा यह अरमान अच्छे से पूरा नहीं हुआ।”
मिस रूबी काफी संजीदगी से बोली “ओह आई एम सॉरी अरसलान। मुझे पता नहीं था, प्लीज दिल पे मत लेना।”
अरसलान बोला “अरे कोई बात नहीं मैम, आपने जान कर नहीं किया। ना ही मेरे अरमानों का मज़ाक बनाया।” यह कहते हुए उसने कशिश और ज़ैन को देखा। कशिश चुप चाप सिर नीचे करके बैठ गई।
फिर मिस रूबी बोली “अच्छा यह बताओ कि आपने अपने मां-बाप के चेहरे क्यों नहीं बनाए? “
इस पर अरसलान ने जवाब दिया “क्योंकि मैंने उनको सही से देखा ही नहीं था। मैं उनको पहचान पाता उससे पहले ही वो जा चुके थे। मैं एक साल का भी नहीं था, जब ये हादसा हुआ।”
इतना कहकर अरसलान चुप हो गया, मिस रूबी को भी कुछ ना सूझा। तभी क्लास ओवर हो गई और सब बाहर चले गए। मिस रूबी अरसलान को देखती रही। फिर वह भी उसके दोस्तों के पीछे चली गई।
Kuch logon ko naseeb hi kab hoti hai Mamta Ki Chanv..
गैलरी में अरसलान को उसके दोस्त घेरे हुए थे। वह ज़बरदस्ती मुस्कुरा रहा था। तभी मिस रूबी ने उनके पास आकर अरसलान को आवाज दी। सब उठकर उनके पास चले गए। फिर वह बोली “अरसलान, मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहती थी, असल में सब अनजाने में हो गया। जो हुआ उसे याद करके परेशान न हो।”
अरसलान बोला “मैम आप मुझसे माफ़ी मांगकर मुझे शर्मिंदा ना करिए। आप मुझसे बड़ी हैं।”
इस पर राज बोला “भाई तुम अपने को अकेला न समझना। यहां जितने भी लोग खड़े हैं, मैं गारंटी लेता हूं, सब तेरी फैमिली हैं। तू दिल छोटा ना कर, और रही गोद में बैठने की बात तो आ मैं तुझे बिठा लेता हूं। कर ले अरमान पूरे।”
सब लोग खिलखिला के हसने लगे। अरसलान भी हंसे बिना न रह पाया।
फिर हिना बोली “अच्छा रूबी आपा, आप कब बुला रही हैं हम लोगो को अपने घर। कसम से आपके हाथ की चाय और पकोड़ियां खाने का बड़ा दिल कर रहा है।”
रूबी बोली “आज ही आ जाओ शाम को। अरसलान तुम भी आना।”
अरसलान बोला “जी मैम आऊंगा।”
रूबी बोली “मैम मैं क्लास में होती हूं। ऐसे तुम्हारे सारे दोस्त मुझे दीदी या आपा कहते हैं। तुम भी अगर यही कहो तो मुझे अच्छा लगेगा।”
अरसलान बोला “जी रूबी आपा।”
फिर रूबी वहां से चली गई और वह सब लाइब्रेरी चले गए।
न्यूटन की शादी और रोज़गार
उस शाम सब रूबी के घर में आराम से सोफे पर बैठे हुए थे। वो सब मज़े से रूबी के हाथ की बनी हुई चाय और पकोड़ियां खा रहे थे। साथ ही वो रूबी की तारीफ भी कर रहे थे।
इतने में हिना बोली “रूबी आपा बा खुदा, ऐसा लगता है, ये चाय और पकोड़ियां अल्लाह मिया ने फरिश्तों के हाथ सीधे जन्नत से हमारे लिए भेज दी हैं। दिल करता है बस खाती ही रहूं, खाती ही रहूं।”
सना बोली “बिल्कुल सच बात है दीदी, रूबी बहन कमाल की कुक है। उनसे अच्छा कुक तो कोई हो ही नहीं सकता। जितना अच्छा वह बनाती है, कोई नहीं बना सकता। दिल करता है आपके हाथ चूम लूं।” न्यूटन, रोहित, राज और अरसलान भी मज़े से पकोड़ियां खा रहे थे।
इतने में सना बोली “वैसे एक बात तो है, शायद न्यूटन पढ़ाई के अलावा सिर्फ खाते वक्त ही इतना संजीदा रहता है। रोहित तो खाने के लिए ही इस दुनिया में पैदा हुआ है, और राज का क्या बताया जाए, जब तक ये पकोड़ियां हैं, तब तक इसका लाउडस्पीकर भी बंद है।”
ये सुन कर हिना और रूबी दोनों खूब हसने लगे। तब इस पर राज बोला “मैं कोई भी अच्छा काम करते हुए किसी भी फालतू काम पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता। वैसे अरसलान पर कोई डायलॉग नहीं मारा आपने।”
“हम जनवरों की तारीफ कर रहे थे, इंसानों की नहीं।” हिना के इस जवाब से सब लोग ज़ोर-ज़ोर से हसने लगे।
रूबी बोली “अरसलान तुम इतना चुप चुप से क्यों हो? सब लोग यहां पर हंसी-मज़ाक कर रहे हैं, तुम भी तो कुछ बोलो।”
अरसलान बोला “कुछ नहीं आपा, बस मैं अपने लिए एक अदद जॉब के लिए सोच रहा हूं।”
“ओह तो तुम परेशान बिल्कुल भी न हो, अगर तुम चाहो तो एक जॉब तो तुम्हें न्यूटन ही दिलवा देगा।” रूबी बोली।
अरसलान ने कहा “न्यूटन, पर कैसे?”
इस पर रूबी बोली “अरे न्यूटन कॉलेज के पास एक कोचिंग सेंटर में पढ़ने जाता है। उसका उसके ऑनर से बहुत अच्छे तालुक हैं। उनसे बात करके एक से दो क्लास तो वह आराम से तुम्हें दिला सकता है। जब तक कोई मुस्तक़िल काम नहीं मिलता, तुम यही काम शुरू कर दो। क्यों न्यूटन, सही कहा न मैंने?”
न्यूटन ने कहा “हां यह तो मैं कर ही सकता हूं। अगर तुम कहो तो मैं कल ही कोचिंग के मालिक से इस बारे में बात कर लूंगा। तुम्हें पढ़ाने से कोई दिक्कत तो नहीं है अरसलान?”
अरसलान बोला “नहीं यार इसमे कौन सी दिक्कत। पढ़ाना तो बहुत ही अच्छा काम है। यह काम तो मैं बहुत ही अच्छे से कर लूंगा। तुम बस करवा दो मेरा यह काम।”
इस पर सना बोली “तो समझो बस हो गया तुम्हारा काम। क्योंकि कोचिंग का ऑनर, न्यूटन की किसी भी बात को नहीं टाल सकता। मेरे कुछ खास करीबियों से मुझे पक्का खबर मिली है कि कोचिंग के ऑनर की एक लौती बेटी है और वह उसे न्यूटन के साथ सेट करने के चक्कर में लगे हुए हैं। अब कोई अपने होने वाले दामाद को कैसे मना कर सकता है। है न न्यूटन।”
इस पर न्यूटन बोला “ये क्या बकवास कर रही हो तुम सना? ऐसा कुछ भी नहीं है।”
तो इतने में रोहित बोला “बेटा ये सना की खबर है। झूठ तो कहीं से हो ही नहीं सकती। वैसे सुना है लड़की काफी अच्छी है उसकी। तो तुम्हें क्या परेशानी है?”
इतना सुनते ही न्यूटन ने रोहित पर छलांग लगा दी और उससे गुत्थम गुत्था हो गया। बाकी सब ज़ोर-ज़ोर से हसने लगे। इस तरह उन सबकी वह शाम भी हंसी-मजाक के साथ बीत गई और अरसलान के लिए एक अच्छी खबर भी ले आई।
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