तेरी उल्फत में | अफवाहें, मोहब्बत और दर्द का अनकहा पहलू | क़िस्त 06

Afwahe Mohabbat Aur Dard Ka Unkaha Pehlu

अफवाहें, मोहब्बत और दर्द का अनकहा पहलू

“तेरी उल्फत में” की छठी किस्त एक गहरी और जज़्बाती किस्त है, जो अफवाहों, मोहब्बत और गलतफहमियों के इर्द-गिर्द घूमती है। न्यूटन पर लगे झूठे इल्ज़ामों ने उसकी ज़िंदगी में तूफान ला दिया, यहां तक कि उसने अपनी जान लेने की कोशिश की।

दूसरी तरफ, अलविना, जो इन अफवाहों का हिस्सा बनी, उसे अपनी गलती का एहसास होता है। वह न्यूटन के प्रोजेक्ट के लिए एक्सटेंशन दिलाकर अपनी खता को सुधारती है। कहानी में मोहब्बत और इंसानियत की गहरी झलक मिलती है, जहां गलतफहमियां मिटकर सच्चाई सामने आती हैं।

“तेरी उल्फत में” सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि रिश्तों और इमोशंस की जटिलताओं का एक आइना है, जो दिल को छू जाता है।



अलविना और न्यूटन की गलतफहमियां

उस दिन हिना परेशान सी खड़ी थी रोड के किनारे। कोई टैक्सी नहीं आ रही थी। ऊपर से मोबाइल भी स्विच-ऑफ हो गया था। लाइब्रेरी से निकलते हुए उसे देर हो गई थी। वह परेशान सी खड़ी थी कि एक कार उसके पास रुकी। कार में अलविना थी “हाय, आप कुछ परेशान लग रही हो, क्या मैं कुछ मदद करूं?”

हिना बोली “असल में लाइब्रेरी से निकलते हुए देर हो गई, अब टैक्सी नहीं मिल रही। फोन भी डेड है। क्या आप मुझे अपना फोन एक कॉल करने के लिए दे सकती हैं। मैं किसी को बुला लेती हूं।”

अलविना बोली “वाय नॉट, वैसे जाना कहां है आपको?”

“मोती महल लॉन के पास रहती हूं मैं।” हिना ने जवाब दिया।

“ओह देखिये मैं उसी साइड जा रही हूं, आप जब तक किसी को यहां बुलाएंगी, तब तक मैं आपको सिटी में पहुँचा दूंगी। वहां से आपको टैक्सी मिल जाएगी।” अलविना ने सलाह दी। हिना भी सोचते हुए कार में बैठ गई और बोली “थैंक्स, आपका नाम क्या है और क्या आप भी घर जा रही हैं?”

अलविना बोली “हां घर ही जा रही हूं, असल में कॉलेज के हॉस्टल में ही रहती हूं, वीकेंड्स में घर जाती हूं। असल में रोज़ के अप-डाउन में टाइम वेस्ट होता है। पेरेंट्स मेरे यहां रहते नहीं, घर में अकेले बोर होने से अच्छा है हॉस्टल में फ्रेंड्स के साथ रहूं। वैसे माई नेम इज अलविना शाहबाज खान, डिपार्टमेंट ऑफ़ फाईन आर्ट्स।”

हिना कुछ शॉक्ड सी हुई, क्योंकि न्यूटन का नाम अलविना से जुड़ा था। वह बोली “हिना ताहिर। डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज। ”

हिना के चेहरे पर आए अजीब से तसूरत अलविना से छुपे नहीं, और वह बोली “मुझको लगता है कि मेरे नाम को जो कुछ वक्त से कॉलेज में उस बेगैरत लड़के साथ जोड़ा जा रहा है, उससे हैरान हो। पर यकीन करो, कुछ नहीं हुआ। मैंने तो उसे पहले दिन ही सीधा कर दिया था, पर वह पता नहीं क्या – क्या बातें फैला रहा था!”

हिना बोली “मुझे नहीं लगता कि न्यूटन ऐसा कुछ करेगा, तुमको गलतफहमी हुई है। न्यूटन तो काफ़ी सुलझा हुआ लड़का है।”

अलविना बोली “तुमको बड़ा यकीन है न्यूटन पे, जानती हो क्या उसको!”

हिना बोली “हां, मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, और मेरे साथ वह जॉब भी करता है। असल में हम सब दोस्त एक साथ वर्क करते हैं। पर उसके साथ काफ़ी बुरा हुआ है। हम सब परेशान हैं। उसका प्रोजेक्ट खराब हो गया है। ऊपर से उसे एक्सटेंशन भी नहीं मिल रही। डिपार्टमेंट हेड ने कोई मज़बूत वजह बताने के लिए कहा है। और वह कुछ बोल भी नहीं रहा। उसके रैंक पे भी असर पड़ेगा। हमेशा वह अच्छे ग्रेड्स लाता है।”

कुछ देर कार में कोई कुछ नहीं बोला। फिर शहर आ गया। अलविना ने कार रोक दी “वो मेन सिटी पहुंच चुके थे। अलविना बोली “उसके साथ जो हुआ सही हुआ, मैं समझ सकती हूं, आपको बुरा लग रहा है, क्योंकि वह आपका दोस्त है। पर ऐसे लोगों के साथ ऐसा ही होना चाहिए। आपको यहां से टैक्सी आसानी से मिल जाएगी।” हिना अलविना के अंदाज का रूखापन साफ ​​महसूस कर रही थी। वह कार से उतर के बोली “लिफ्ट का बहुत – बहुत शुक्रिया अलविना, पर मुझे अपने दोस्त पे पूरा यकीन है। वह इतनी गिरी हुई हरकत नहीं कर सकता।”

अलविना ने सुना और चली गई। हिना ने टैक्सी की और घर आ गई। घर पे सना और उसके पापा डॉ. ताहिर उसका इंतजार कर रहे थे। सना बोली “हिना कहां रह गई थी। मैं कब से इंतजार कर रही हूं।”

"झूठी अफवाहों के साए में, इश्क़ बेजुबां हो गया,
दिल तो अपना सच्चा था, पर जहाँ बेमहरबां हो गया।"

“हां बेटा क्या हुआ, ये न्यूटन का सुन कर यकीन ही नहीं आता। न्यूटन ऐसा कुछ नहीं कर सकता। उसने झूठी अफवाह को दिल पे लगा लिया है।” डॉ. ताहिर परेशान होते हुए बोले।

“अंकल, अफवाह तो थी ही, उस पर से उसी का बेस बना के उसे एक्सटेंशन नहीं मिला है। वह अंदर से टूट गया है। स्टडीज को बहुत सीरियसली लेता है।”

हिना बोली “पापा, आपके कॉन्टैक्ट में कोई ऐसा है जो कुछ कर सके। प्लीज देखिए ना!”

डॉ. ताहिर ने तसल्ली दी “बेटा मैं कल डिपार्टमेंट हेड से मिलने जा रहा हूं, साहिल के बारे में बात करने के लिए। उसके पिता की मौत के बाद, उसकी मां ने तो अलग घर बसा लिया, पर उसके सौतेले बाप ने उसको कभी अपनाया नहीं, बस कुछ पैसे हर महीने दे देता है। उसके पिता मेरे करीबी दोस्त थे। यह मेरा फ़र्ज़ है।”

“चलो तुम लोग भी डिनर करके आराम करो। मैं जरा नर्सिंग होम हो के आता हूं।” डॉ ताहिर ये कहते हुए वहां से चले गए। उनके जाने के बाद हिना ने सना को अलविना से मुलाक़ात और अपनी बातें बताई। सना बोली “यार, मुझे लगता है कि अलविना का हाथ है इसमें।”

हिना बोली “मुझको भी लग रहा है। पर न्यूटन कुछ बोल ही नहीं रहा। उसके बताए बगैर, क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा।”

तभी फोन की रिंग ने उनकी बातों के सिलसिले को तोड़ा। सना ने फोन उठाया “हैलो!”

दूसरी तरफ रोहित था “सना, हिना को ले के फ़ौरन अंकल के नर्सिंग होम पहुंचो। न्यूटन ने सुसाइड अटेम्प्ट की है। “सना और हिना सुन कर एकदम घबरा गईं। फिर दोनो जल्दी – जल्दी घर से निकलीं।

नर्सिंग होम में न्यूटन आईसीयू में था। रोहित, राज और अरसलान बाहर बैठे थे। हिना और सना भागी हुई उनके पास पहुंची। “न्यूटन कैसा है। वह ठीक तो है। क्या हुआ और कैसे हुआ।”

“उसने अपनी कलाई की नस काट ली है। हम तीनो हॉस्टल में थे। हम सबने उसके मूड को हलका करने के लिए कहा कि चलो बाहर चलते हैं खाना खा के आते हैं। वह बोला ठीक है और नहाने चला गया। हम लोग भी बाहर गार्डन में आ के इंतजार करने लगे। जब देर हुई तो अरसलान ऊपर देखने गया तो दरवाजा बंद था। जब आवाज देने पर न्यूटन ने जवाब नहीं दिया, न तो दरवाजा खोला, तो घबरा कर दरवाज़े को तोड़ा तो सामने न्यूटन बेहोश मिला, हाथ से खून बह रहा था। अगर जरा सी भी देर होती तो…” इतना कहते हुए राज रोने लगा।

सभी दोस्त एक दूसरे को संभाल रहे थे। कुछ देर में रूबी और जावेद भी पहुंच गए। मेजर शेखर भी वहीं मौजूद थे। सभी एक दूसरे को संभाल रहे थे। तभी डॉ. ताहिर उनके पास आए और बोले “अगर जरा सी देर हो जाती तो पता नहीं क्या होता…. लेकिन अभी भी खतरा टला नहीं है। 12 घंटे तक क्रिटिकल है। मैं जरा कुछ टेस्ट के रिजल्ट्स देखकर आता हूं। आप लोग अभी अंदर मत जाइए।” सब परेशान थे। सभी वहीं लॉबी में बैठे थे। सिमरन भी अब उनके साथ ही थी। वह राज और बाकी लोगो को संभाल रही थी। घड़ी की सूई को तो जैसे इल्म ही नहीं था कि उसे चलना भी है। सब बस घड़ी ही देख रहे थे। रात कटने का नाम ही नहीं ले रही थी।

अगली सुबह न्यूटन को होश आ गया। सब उसको घेरे हुए थे। पर वह अभी भी चुप था। आंखें पथरा गई थीं उसकी। डॉ. ताहिर ने भी सबको कहा कि अभी इसको आराम करने दें। अभी कुछ बोलना या बात करना सही नहीं होगा। सब नर्सिंग होम से लौट आए, पर दिल तो उसी में अटका था सबका।

अफवाहों की ढूंढ छटने लगी

उस दिन कॉलेज में भी सिर्फ यही चर्चा था। सब न्यूटन के ही बारे में बात कर रहे थे। अलविना अपने हॉस्टल की तरफ जा रही थी। गैलरी के एक कोने से उसे कोमल की आवाज आई। वह कुछ बोलती उससे पहले ही, उसे किसी लड़के की भी आवाज आई। उसे गौर से सुना।

“देखो ज़ैन, तुमने जैसे प्लान किया मैंने वैसा ही किया। तुमने न्यूटन और अलविना की झूठी न्यूज कॉलेज में फैलाकर न्यूटन और उसके दोस्तों को मजा चखा दिया। मैने तुम्हारे कहने पे अलविना के कान भरे। और उसने तुम्हारा काम कर दिया। अभी तक किसी को शक भी नहीं हुआ है। पर अगर न्यूटन को कुछ हुआ तो क्या करेंगे।” कोमल कुछ परेशान लहजे में बोली।

ज़ैन ने कोमल को समझाया “अरे तुम परेशान ना हो, मैं सब संभाल लूंगा। मजा आ गया है। अरसलान और उसके दोस्तों को तकलीफ दे के मुझे बड़ा मजा आया। लेकिन तुम्हारी दोस्त का भी थैंक्स करने का दिल कर रहा है। जो बिना सच को परखे न्यूटन को ही गलत मान बैठी। न्यूटन तो बिल्कुल सीधा साधा गधा है।”

यह सुन दोनों हंसने लगे और आगे बढ़ गए। उन्हें अलविना की मौजूदगी का एहसास भी नहीं हुआ।

अलविना को अपने कानों पर यकीन भी नहीं हुआ! वह कितनी आसानी से इतने बड़े प्लान का मोहरा बनी थी। उसने अपने सबसे करीबी दोस्त कोमल से धोका खाया था। उसे याद आया कि हिना ने कहा था कि न्यूटन ऐसा कुछ नहीं कर सकता। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। उसकी आंखों से अफसोस के आंसू टपकने लगे। वह अपने रूम में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। वह न्यूटन के बारे में सोचने लगी। उसने क्या कर दिया। सबसे ज़्यादा दुख और नुकसान उसी को हुआ है। उसको कुछ समझ नहीं आया तो उसने अपनी मॉम को फोन किया “मॉम, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है।” “क्या हो गया बेटा” दूसरी तरफ से उसकी मॉम ने पूछा। जवाब में अलविना ने सब बता दिया। वह बता रही थी और रो रही थी।

तब उसे मॉम ने उसे समझाया “देखो बेटा, आपसे गलती हुई है, जिसकी सजा कोई दूसरा उठा रहा है। अंजाने में ही सही आपसे भूल बहुत बड़ी हुई है। बेटा हम चाहते हैं कि आप इसे अपने हिसाब से सुधारिये। बस इसका ध्यान रखिएगा की उस लड़के को और परेशानी ना उठानी पड़े। अब चुप हो जाओ और सब सही करो। तुम एक अच्छी बच्ची हो और हमको यकीन है कि तुम सब सही करोगी।”

"जो ग़लतफहमियां थीं, वो टूट गईं एक पल में,
मोहब्बत ने साबित किया, सच्चाई छुपती नहीं धड़कन में।"

अपनी मॉम की सलाह ने अलविना पे जादू का असर किया। वह चुप हो गई और सोचने लगी। फिर एक फैसला लेकर वह अपने रूम से मैनेजमेंट सेक्शन की तरफ चल दी। कुछ देर बाद वह डिपार्टमेंट हेड को सबकुछ बता चुकी थी। डिपार्टमेंट हेड गुस्से से बोले “आपको पता है जो गलती आपने की है उसका कितना बड़ा असर हुआ है। न्यूटन ने सुसाइड करने की कोशिश कर डाली है। अगर आपने खुद ये सब करने की बजाए कॉलेज मैनेजमेंट से बात की होती तो ऐसा मसला नहीं होता।”

अलविना ने सर झुका के कहा “मुझसे गलती हुई है। आप कोई भी एक्शन ले लीजिए। पर आप न्यूटन को एक्सटेंशन दे दीजिए।”

डिपार्टमेंट हेड बोलें “अगर मैंने एक्शन लिया तो आपका साल खराब होगा। फाइनल सेमेस्टर है आपका भी। और जो कुछ आपने बताया है अगर वह सही है तो आप भी कहीं न कहीं अंजाने में यह कर बैठी हैं। मुझे न्यूटन पे गुस्सा सिर्फ उसकी झूठी गॉसिप्स के लिए था, वह इतना लपरवाह हो गया कि… खैर मैं अपने लेवल पे इस पूरे मसले पर गौर करूंगा। मुझे न्यूटन के एक्सटेंशन का लेटर भी इश्यू करना है।”

“सर क्या वह लेटर आप मुझे दे सकते हैं?” अलविना ने रिक्वेस्ट की।

“हम्म्म वाय, माफ़ी मांगनी है उससे?” डिपार्टमेंट हेड ने टाइप करते हुए पूछा।

“माफ़ी का सवाल है ही कहां। इतनी बड़ी गलती के बाद। बस मैं यह चाहती हूं कि मेरी वजह से न्यूटन को सिर्फ़ परेशानी हुई है। शायद इस लेटर से मैं उसे थोड़ी सी खुशी दे दूं। “अलविना ने धीरे से कहा।

“ठीक है, न्यूटन अभी लाइफ-लाइन नर्सिंग होम में। तुम लेटर वहीं दे देना उसे।” डिपार्टमेंट हेड मुस्कुराते हुए बोले।

“थैंक्स यू सर! आपका बहुत – बहुत शुक्रिया, सर” अलविना उनसे बस यही कह पाई।

अफवाहों के बीच मोहब्बत की कहानी

“क्या मैं अंदर आ सकती हूं न्यूटन” अलविना खूबसूरत फूल का गुलदस्ता लिए न्यूटन के कमरे के दरवाजे पे खड़ी थी।

“जी, आ जाइए। अब क्या किया है मैंने जो आप यहां भी आ गई। “न्यूटन ने नाराज़गी से कहा।

अलविना ने काफ़ी सलाहियत से कहा “मुझे पता है, तुम मुझे देखकर कभी खुश नहीं होगे, पर मैं यहां तुमसे कुछ जरूरी बात करने आई हूं।”

“जी बताइए, अब क्या गलत किया मैंने। और पुलिस को आपने बाहर खड़ा रखा है या कुछ देर बाद फोन करके बुलाएंगी! “न्यूटन के लहजे में तंज ही तंज था।

“मैं समझ सकती हूं तुम्हारे गुस्से को, और तुम्हारा गुस्सा जायज भी है। मेरी गलती की वजह से तुमको जो तकलीफ हुई है उसी से मैं खुद से भी नराज हूं। “अलविना ने गुलदस्ता न्यूटन के साइड टेबल पे रखते हुए कहा।

“अच्छा, बड़ी जल्दी आपको आपकी गलती का एहसास हो गया, यहां मेरी पूरी मेहनत खराब हो गई, करियर पर सवालिया निशान लग गए।”

“हम्म .. न्यूटन, अपनी गलती को कुछ हद तक मैंने सुधार लिया है। यह लो तुम्हारा एक्सटेंशन लेटर, तुम्हारे डिपार्टमेंट हेड ने एक्सटेंशन दिया है। यह शायद तुमको एहसास दिला दे कि मैं सच में काफ़ी शर्मिंदा हूं।” अलविना ने न्यूटन को लेटर देते हुए कहा।

“क्या सच में मुझे एक्सटेंशन मिल गया है!” न्यूटन खुशी से बस इतना ही कह सका।

“हां, जब मैंने उनको जाकर अपनी गलती के बारे में बताया तो, तुम्हारा एक्सटेंशन मंजूर कर लिया। अब तुम्हारे पास एक पूरा हफ्ता है। तुम आराम से अपना प्रोजेक्ट सबमिट कर सकते हो। मेरे अगेंस्ट एक्शन हो सकता है। लेकिन कोई नहीं, देख लूंगी वो सब” अलविना ने हल्की सी मुस्कुराहट भरे लहजे में कहा।

“शुक्रिया अलविना जी, आपने जो किया है उसको मैं कभी नहीं भूलूंगा। मेरी जिंदगी में दोबारा जान आ गई है।”

“मेरी गलती थी जो मुझे सुधारनी थी। मैने वही किया। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। और जो तकलीफ तुमको हुई है उसके आगे यह कुछ नहीं है। बस हो सके तो मुझे माफ करना।”

“आपने जो मेरे लिए किया है, वह बहुत बड़ी बात है। वरना आप सब कुछ छुपा सकती थी। अब अगर आपके खिलाफ कोई बड़ा एक्शन हुआ तब।”

“हम्म… उसे छोड़ो, बाद की बात है। पर तुमने मेरा नाम क्यूं नहीं लिया। अगर तुम शुरू में मेरा नाम बता देते शायद यह बात इतनी बढ़ती ही नहीं। “अलविना ने ने न्यूटन से कहा।

“हां, पर मैं ऐसा नहीं कर सकता था, एक तो वैसे ही पूरे कॉलेज में मेरी और आपके रिलेटेड फलतू की बातें फैली थीं। उस दिन मैंने महसूस किया था कि आप कितनी ज़्यादा हर्ट हो। मेरे ऐसा करने से बात और बढ़ती। वैसे गुस्सा मुझे बहुत आया, पर अपने गुस्से के लिए मैं किसी को इतना हर्ट नहीं कर सकता। इससे आपकी और मेरी दोनों की बदनामी होती है।” न्यूटन ने मुस्कुराते हुए कहा।

“मैंने तुमको मारा, दो बार। इतना कुछ कहा, फिर भी तुमने मेरा नाम नहीं लिया, कमाल के बंदे हो तुम, न्यूटन। तुमने सच ना ​​बोल के इतना बड़ा कदम उठा लिया।” अलविना ने हैरान होते हुए कहा।

“अलविना जी, इंसान की इज्जत बड़ी चीज होती है, जिंदगी से भी ज़्यादा। बस मैं अपनी या किसी भी सही इंसान की बेज्जती नहीं देख सकता।” न्यूटन ने संजीदगी से कहा।

अलविना हैरानी से न्यूटन को देख रही थी, उसे यकीन नहीं आ रहा था कि कोई इंसान इतना सीधा और शरीफ भी हो सकता है। “न्यूटन तुम बहुत इनोसेंट हो। काफ़ी ज़्यादा सुलझे हुए इंसान हो। तुम ऐसे ही रहना। दुनिया में तुम्हारे जैसे लोगों की कमी है।”

“ओह! सच में, वैसे आप कुछ लेंगी इस इनोसेंट से इंसान के साथ, टी ऑर कॉफी, देखिए मेरे पास सब अवेलेबल है।” न्यूटन ने दो फ्लास्क दिखाते हुए पूछा।

“हम्म… तुम्हारी मर्ज़ी जो पिला दो।” अलविना ने भी मज़े से कहा।

“कॉफी पीते है, रूबी आपा के हाथ की कॉफी कमाल की होती है।” न्यूटन ने कॉफी कप में निकालते हुए कहा।

"हर अफवाह में कहीं न कहीं सच का हिस्सा है,
मगर मोहब्बत का रंग, सबसे गहरा किस्सा है।"

“न्यूटन, वैसे तुमको एक बात बताना जरूरी है, ये सब जो फालतू की बाते फैलाई गई, सब कुछ ज़ैन और मेरी दोस्त कोमल का करा धरा है। मेरी सबसे क्लोज फ्रेंड ने मुझे धोखा दिया, और मैंने आसानी से उसकी बातों में आकर इतना बड़ा कदम उठा लिया। सोचा भी नहीं।” अलविना ने कॉफी पीते हुए कहा।

“यह ज़ैन और उसके दोस्त, पता नहीं हम लोगों से क्या इश्यू है उसका।” न्यूटन ने सोचते हुए कहा।

“ज़ैन और कोमल को इसका जवाब तो देना ही होगा।” अलविना ने थोड़ा गुस्से से कहा।

“नहीं अलविना, कुछ मत करना, अभी सेमेस्टर्स का एंड है, अगर यह बात फैली तो मेरे दोस्त बिना कुछ सोचे-समझे ज़ैन के पीछे पड़ जाएंगे। इससे बात और बिगड़ सकती है। वैसे भी डिपार्टमेंट हेड ने जब कहा है कि वह छानबीन करेंगे, तो अभी रहने दो।” न्यूटन ने अलविना को शांत करते हुए कहा।

“तुम सिर्फ दूसरों की क्यों सोचते हो, अच्छा है पर अपना भी तो सोचो।” अलविना ने हैरान होते हुए कहा।

“दूसरे नहीं, मेरे अपने हैं सब। तुम मेरे दोस्तों को अभी नहीं जानती, मेरा अपना कोई सगा नहीं है। पर मुझे कभी सगों की कमी नहीं होने दी है मेरे दोस्त ने।” न्यूटन ने बताया।

“हम्म… हिना से मैं मिल चुकी हूं। तुम पे बहुत यकीन है उसे। तुम शायद सही हो न्यूटन, जैसे अच्छे तुम हो, वैसे अच्छे तुम्हारे दोस्त हैं।” अलविना मुस्कुराते हुए बोली।

न्यूटन ने भी अलविना की इस बात पे मुस्कुरा दिया।

“अच्छा मैं तुम्हारे लिए यह लैपटॉप लायी हूं। तुम्हारा लैपटॉप जो मैंने तोड़ दिया था…” अलविना एक न्यू लैपटॉप न्यूटन को देते हुए बोली।

“नहीं अलविना यह क्या कर रही हो। मैं खुद ले लूंगा। मैं इतना महंगा लैपटॉप नहीं ले सकता” न्यूटन ने इंकार करते हुए कहा।

“देखो न्यूटन, अगर तुम यह नहीं लोगे तो मैं यही समझूंगी कि तुम अभी भी मुझसे नराज हो।” अलविना ने ज़बरदस्ती करते हुए कहा।

“अरे मैं नहीं हूं नाराज़। बट यह काफ़ी कॉस्टली है। प्लीज़ अलविना समझो बात को।” न्यूटन ने समझाते हुए कहा।

“ओके, ठीक है। जब तुम न्यू ले लेना तब मुझे लौटा देना। अभी तो रख लो। जस्ट फॉर मी, मेरी खतिर! प्लीज़!” अलविना ने फिर ज़ोर दिया।

“अच्छा ठीक है, अलविना पर एक शर्त है, मैं इसका पूरा पेमेंट करूंगा। और तुम मना नहीं करोगी।” न्यूटन लैपटॉप लेते हुए बोला।

अलविना ख़ुशी – ख़ुशी बोली “मंज़ूर है। पर अभी नहीं जब तुम ठीक होके, जॉब करने लगोगे तब।” न्यूटन ने सिर्फ सहमती से सर हिलाया। कुछ देर बाद अलविना वापस चली गई और न्यूटन भी सो गया।

"जिन रास्तों पर चलाईं अफवाहों की चालें,
वहीं मोहब्बत ने लिख दी अपनी मिसालें।"

न्यूटन की दर्द भरी कहानी.. एक दर्द भरा पहलू

न्यूटन जल्दी ही रिकवर हो के वापस हॉस्टल आ गया। मेहनती तो वह था ही। बस जल्दी ही उसने अपना प्रोजेक्ट भी सबमिट कर दिया। सभी लोग अब खुश थे। आखिर न्यूटन फिर से पहले जैसा हसमुख जो हो गया था। जिंदगी फिर से खुशनुमा हो गई थी।

उस दिन न्यूटन लाइब्रेरी में बैठा था कि अलविना उसके पास आई। “कैसे हो न्यूटन?”

“बस ठीक हूं, फाइनल सेमेस्टर के पेपर्स की तैयारी चल रही है।” न्यूटन ने जवाब दिया।

“कितना पढ़ते हो तुम, जब देखो किताबो से चिपके रहते हो! थकते नहीं हो तुम।” अलविना ने मुस्कुराते हुए पूछा।

“थकता हूं, पर कोई चारा भी नहीं है। अच्छे ग्रेड्स लाने हैं। अगर अच्छे ग्रेड्स नहीं आएंगे तो करियर पे असर पड़ेगा। और वैसे भी मेरे पास करियर बनाने के लिए यही एक मौका है। अगर अच्छे नंबर नहीं आए तो, वही थ्री इडियट्स वाली बात हो जाएगी, बैंक क्रेडिट कार्ड नहीं देगा, कोई बाप अपनी बेटी नहीं देगा। और मैं सारी जिंदगी अकेला नहीं रहना चाहता।” न्यूटन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

“ओह तो आप सेटल होना चाहते हैं, मतलब इतनी मेहनत किसी लड़की के लिए हो रही है। कौन है। जिसके बाप को इंप्रेस करने के लिए चिपके हो बुक्स में।” अलविना ने न्यूटन की टांग खींची।

“आप भी कहां की बात करने लगी अलविना जी! मेरे जैसे लड़के की गर्लफ्रेंड। सोच कर देखिये। मेरे जैसे लड़के की गर्लफ्रेंड्स नहीं होती। हमारे जैसे लड़के सिर्फ़ इग्नोर किए जाते हैं। मुझे तो लगता ही नहीं कभी मेरी जिंदगी में कोई लड़की आएगी या मेरी शादी भी होगी।” न्यूटन ने मुस्कुराते हुए कहा।

“क्यूं, ऐसा क्या सोचते हो, क्या प्रॉब्लम है तुम में। अच्छे इंसान हो। दिखने में भी क्यूट हो।” अलविना ने कहा।

“बस अलविना जी, तजुर्बा है।” न्यूटन ने ज़बरदस्ती मुस्कुरते हुए कहा।

“तजुर्बा, बड़ा तजुर्बा है तुमको! अगर तुम किसी को पसंद करते हो तो उसे जा के बोलो तो। उसे ख्वाब थोड़े ही आएगा। मुझे तो नहीं लगता कि कोई लड़की तुमको इंकार करेगी। जब तक अपने दिल की बात नहीं कहोगे तब तक कैसे बात बनेगी।” अलविना ने अपनी बात रखी।

"वो जो सबसे करीब था, वही सबसे दूर हो गया,
सच तो यह है, इश्क़ हर दर्द से भरपूर हो गया।"

उसकी दलील सुन के न्यूटन ने अपनी किताब बंद की। अपनी आंखें बंद की। गहरी सांस ली, फिर बोला “उसका नाम फ़िज़ा था … BBA फ़ाइनल ईयर में मेरे साथ पढ़ती थी। कॉलेज मिड टर्म में ज्वॉइन किया था। तो पढ़ाई में मुश्किल हो रही थी। इसी चक्कर में उसकी और मेरी जान पहचान हो गई। मैं उसकी हेल्प करने लगा। हमारी दोस्ती बढ़ने लगी। वह पूरे दिन मेरे साथ ही रहती थी। कैंटीन हो या क्लास। शॉपिंग हो या मूवी, हर जगह मेरे साथ। यहां तक ​​की कपड़े भी मुझसे सेलेक्ट करवाती थी। हमेशा बस एक बात कहती थी, कि मेरे बगैर अपने को अधूरा और अकेला समझती है।” इतना कह के न्यूटन चुप हो गया।

“फिर क्या हुआ?” अलविना ने पूछा। “उस दिन मेरी सालगिरह थी। मैं फ़िज़ा को बर्थडे ट्रीट देने के लिहाज़ से एक रेस्टोरेंट ले गया था। मैं फ़िज़ा को पसंद करने लगा था। और चाहता था कि उसे उसी दिन प्रपोज करूं। तो जब डिनर के बाद उसने मुझसे पूछा कि गिफ्ट क्या लोगे तो मैंने कहा कि थोड़ी देर बाद बताउंगा। रेस्टोरेंट के पास एक पार्क था। हम अक्सर वहां जाते थे।

वहां पहुंच के मैंने उसे अपने दिल की बात कह दी। मेरी बात सुनकर उसके चेहरे का रंग बदल गया। फिर बस मुझे इतना याद है कि मेरे गाल पर दो तमाचे पड़े थे। उसने मुझसे कहा कि, अपनी शकल देख के बात करो। तुम हो ही क्या। मैं जरा देर तुमसे अच्छे से बात करने क्या लगी तुम मुझसे यह एक्सपेक्ट करने लगे कि मैं तुमसे प्यार करती हूं। अरे तुम्हारे जैसे लड़कों को तो मैं भाव भी नहीं देती। वह तो तुम मेरी स्टडीज में हेल्प कर रहे थे तो मैं भी तुमसे अच्छे से पेश आ रही थी। और तुम्हारी इतनी हिम्मत बढ़ गई कि तुम मुझसे मोहब्बत के ख़्वाब देखने लगे।

तुम दो कौड़ी के मिडिल क्लास लोगों को मुंह लगाना ही नहीं चाहिए। यह कहकर वह वहां से चली गई। मैं वहीं खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा। ना जाने कब तक वहीं खड़ा रहा। आँखों से आँसू रुक नहीं रहे थे। मैं टूट गया था उस दिन। पहली बार किसी को सच्चे दिल से चाहा था।” इतना कह के न्यूटन चुप हो गया। उसकी आंखें नम थीं।

अलविना ने कहा “सॉरी न्यूटन, मैंने बिना वजह तुम्हारी पुरानी यादें ताजा कर तुमको हर्ट कर दिया। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। बस मैं मजाक में…. प्लीज मुझे माफ करदो।” अलविना जानती थी कि अंजाने में उसने न्यूटन की जिंदगी का एक दर्द भरा पहलू छेड़ दिया था। उसे बहुत अफसोस हो रहा था।

न्यूटन फिर ज़बरदस्ती अपने चेहरे पे मुस्कान लाते हुए बोला “कोई बात नहीं अलविना जी। बस पता नहीं कैसे मैं ये सब आपको बता गया। खैर अब चलता हूं, मुझे ऑफिस भी जाना है। हॉस्टल में अरसलान वेट कर रहा होगा।” न्यूटन उठते हुए बोला। अलविना उसे जाते हुए देखती रही। वह यह सोच रही थी कि कोई इतने अच्छे लड़के के साथ ऐसा कैसे कर सकता है। फ़िज़ा की वजह से न्यूटन का भरोसा ही उठ चुका है मोहब्बत से।

"उसकी नफ़रत में भी एक छिपी मोहब्बत थी,
पर वक्त ने उसे दिखाने की मोहलत दी।"
Fear and Love: The Untold Tale of an Lucknow's Old Haveli | दर-ए-इश्क़: मोहब्बत और खौफ़ की दास्तान

एक और दिलचस्प और रोमांचक कहानी पढ़िए!

लखनऊ की एक पुरानी हवेली का राज़

लखनऊ के पुराने मोहल्ले में एक हवेली थी जिसे लोग “दर-ए-मोहब्बत” कहते थे। इस हवेली की दीवारों पर वक़्त की गर्द जम चुकी थी, लेकिन इसके हर कोने में किसी की इंतजार करती खामोशी गूंजती थी। हवेली की कहानियां लोगों की जुबां पर थीं, लेकिन उस खौफ के साथ जिसे सुनकर रूह कांप जाती थी। कहते थे कि वहां एक रूहसुर्खाब, का साया है, जो अपनी अधूरी मोहब्बत के दर्द में कैद है।

आशेर, एक होशियार और जुनूनी नौजवान, देहली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के बाद छुट्टियों में लखनऊ आया। बचपन से वह पुरानी इमारतों और उनकी कहानियों से मोहब्बत करता था। उसे हमेशा यकीन था कि हर दास्तान के पीछे एक सच्चाई होती है। हवेली के बारे में सुनकर, उसका दिल बेचैन हो गया।

“आशेर, इस हवेली से दूर रहो। ये कोई आम जगह नहीं है।”
उसके दोस्त यूसुफ़ ने समझाने की कोशिश की।
“डर और सच के बीच का फासला बस हिम्मत है, यूसुफ़। मैं इसे देखना चाहता हूं।”
यूसुफ़ ने मना किया, लेकिन आशेर ने ठान लिया कि वह हवेली के अंदर जाएगा।

चांदनी रात थी, जब आशेर और यूसुफ़ हवेली के पास पहुंचे। हवेली के बड़े, जर्जर गेट पर कुरान की आयतें और यह इबारत लिखी थी:

“इश्क़ यहां सो रहा है। उसे जगाना मत, वरना हमेशा के लिए सो जाओगे।”

Amaan

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