तेरी उल्फत में | इज़हार-ए-मोहब्बत | क़िस्त 05

Izhaar E Mohabbat

इज़हार-ए-मोहब्बत

इज़हार-ए-मोहब्बत” तेरी उल्फत में नावेल का एक नया औरदिलचस्प चैप्टर, जो राज और सिमरन की मोहब्बत पर रोशनी डालती है। राज के दिल में सिमरन के लिए गहरी मोहब्बत है, मगर वो अपने जज़्बात का इज़हार करने में झिझकता है। दोस्तों के कहने पर, वो एक लव लेटर लिखता है जो उसकी मोहब्बत का पहला कदम साबित होता है।

पहले सिमरन गुस्से में रिएक्ट करती है, मगर धीरे-धीरे उसे राज के सच्चे एहसासात का अंदाज़ा होता है। यह कहानी प्यार और दोस्ती के साथ-साथ उन जज़्बातों की भी बात करती है, जो किसी रिश्ते को खूबसूरत बनाते हैं।

अखिर में, राज और सिमरन की मोहब्बत को एक नई मंज़िल मिलती है, और उनकी कहानी मोहब्बत के जज़्बे की जीत को बयान करती है।


राज का झिझक भरा इज़हार-ए-मोहब्बत “दिल की बात को लफ्ज़ों में पिरोने का अनोखा अंदाज़।”

अगले दिन ऑफिस में भी सबके दिमाग में शादी के फंक्शन का ही प्लान था। तभी सिमरन ने आकर उनको कुछ क्लाइंट्स की फाइल्स दी। वो सब कुछ समझा रही थी कि क्या करना है।

उसके जाने के बाद न्यूटन बोला “राज कुछ आगे बढ़ेगा या नहीं। कब हम सिमरन को अपनी भाभी घोषित करेंगे।” राज बोला “उसमे टाइम लगेगा। इंतजार करो।”

सना बोली “तेरे को वह पसंद है कि नहीं, यह बता।” राज ने कहा “हां, बहुत। मुझे तो अब उसके ख्वाब भी आते हैं।”

हिना बोली, “तो और कितना इंतजार करोगे। कह दो ना दिल की बात?”

राज बोला “नहीं यार पता नहीं क्या सोचेगी। अभी हम लोग मिले ही कितना हैं। यह सही नहीं होगा।”

अरसलान बोला “मेरे दोस्त, पहली नज़र का प्यार है तेरा। तेरी आंखों में मोहब्बत देखी है, और महसूस किया है कि सिमरन भी तुमको पसंद करती है। देख भाई, इज़हार कर दे। फैसला ऊपर वाले पे छोड़ दे।”

राज सवालिया लहजे में बोला “और अगर इनकार कर दिया तो?”

अरसलान मुस्कुराते हुए बोला “तो क्या हुआ, मोहब्बत है, कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं कि दोनों की रजामंदी हो। तू इज़हार कर। भाई हर मोहब्बत पूरी नहीं होती, लेकिन मुझे यकीन है कि तेरी मोहब्बत पूरी होगी।”

तो भाई यह भी बता दो कि इजहार ए मोहब्बत कैसे करा जाए? राज ने पूछा।

इसपर हिना बोली “कमबख्त, तो अरसलान को ही पटा भी लेने दे और वही शादी भी कर लेगा। तू कुछ ना कर, दिमाग इस्तेमाल कर और दुनिया का ऑल्डेस्ट मैथड ट्राय कर लव लेटर वाला।”

राज बोला “पर वह कैसे लिखते हैं?” न्यूटन बोला “गूगल से हेल्प ले गधे।” राज बोला “सना, बताओ तुम कुछ।” सना बोली “यार असली गूगल की बात हो रही है। मेरी नहीं।”

राज बोला “ओ मुझे लगा, तुम्हारी बात की जा रही है। खैर मैं करता हूं कोशिश।”

फिर सब अपने काम में लग गए, और राज ने भी हिम्मत करके किसी तरह एक लव लेटर लिख ही दिया। फिर उसे एक एनवेलप में रखकर, चुप-चाप सिमरन की टेबल पर रख आया।

थोड़ी देर बाद, सिमरन गुस्से में लाल हुई राज के पास आई और बोली, “आप जरा मुझसे मीटिंग रूम में आकर मिलिए अभी।” उसकी आंखें लाल थी।

राज घबरा गया और चुप-चाप मीटिंग रूम में चला गया। बाकी सब भी घबरा गए थे।

मीटिंग रूम में पहुंच कर, राज बोला “जी सिमरन क्या हुआ?” सिमरन लेटर दिखाते हुए बोली “यह आपने लिखा है?”

राज डरकर फिर हकलाने लगा “जी जी जी वह ….. मैं …..” “हकलाना बंद करिए और हां या न में जवाब दीजिए” सिमरन ने बहुत धीरे से कहा।

राज ने हिम्मत बटोर के कहा, “जी मैंने ही लिखा है।” सिमरन ने कहा “आपने क्या सोच कर यह हरकत की। क्या समझते हैं आप अपने आपको?”

राज बोला “वो..वो मैं…. मुझे लगा, मतलब….मतलब, सबने कहा कि मैं आपको पसंद करता हूं, तो मैंने लव लेटर लिख दिया……” राज हकलाते हुए बताता है।

सिमरन बोली “तो मतलब आप मुझे पसंद नहीं करते, बस लोगों ने कहा और आपने लेटर लिख दिया।”

“नहीं – नहीं, ऐसी बात नहीं है, मैं आपको पसंद करता हूं। वह बस….. ओह मैं यह क्या बक रहा हूं। देखिए आई एम सॉरी। प्लीज इसको इग्नोर करिए।”

सिमरन बोली “क्या कहा आपने, मैं इग्नोर कर दूं। क्या इग्नोर कर दूं, यह लेटर या आप मुझे पसंद नहीं करते।”

राज बोला “जस्ट… जस्ट फॉरगेट एवरीथिंग। सोचिए यह कभी नहीं हुआ। मैं भी उन सबकी बातों में आ गया और सब गड़बड़ कर डाली।”

सिमरन ने मुस्कुराते हुए कहा, “ओह ऐसी बात है, मतलब मिस्टर राज आप मुझे पसंद नहीं करते और न ही मुझे प्यार करते हैं?”

राज बोला “नहीं सिमरन ऐसा नहीं है मैं आपको प्यार करता हूं…। ओह शिट फिर मैं गड़बड़ बोल गया। देखिए प्लीज मुझसे गलती हो गई। मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं…..मैं जाता हूं।”

राज पलट कर दरवाजे की तरफ मुड़ा, इसपर सिमरन बोली “अगर प्यार करते हो तो माने क्यों नहीं?”

राज रुक गया और पलटा। सिमरन खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी।

"दिल की धड़कन, सांसों का सरमाया हो तुम,
हर ख्वाब, हर चाहत का साया हो तुम।
जिंदगी में बहार बन के आई हो,
राज की मोहब्बत का जवाब हो तुम।"

राज फिर बोला “मैं…. मैं……। ”

“यह मैं – मैं करना बंद करो और सच – सच बता दो, क्या तुम मुझे पसंद नहीं करते। क्या मैं इतनी बुरी हूं?” सिमरन राज के करीब आकर बोली।

अब राज को थोड़ी सी हिम्मत आई। और बोला “मैं सच में तुमको पसंद करता हूं, और प्यार करता हूं।”

सिमरन ने मुस्कुराते हुए कहा “जरा सही से प्रपोज करो। फीलिंग नहीं आ रही।”

राज तब उसके पास आ के बोला “मुझे लगा कि मेरे नसीब में कभी खुदा ने बहारे नहीं बख्शी, दिल में हर तरफ पतझड़ ही तो था, फिर आपके आने से ऐसा लगता है कि तुम आए हो जिंदगी में मेरी बहार बन के… .. सिमरन क्या आप मेरी जिंदगी में उस बहार की तरह रहेंगी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।”

सिमरन ने मुस्कुरा के सिर्फ़ रजामंदी में आंखे झुका ली।

फ़िर सवालिया अंदाज़ से पूछा “जब इतनी मोहब्बत है तो, इतनी देर क्यों लगा दी इज़हार करने में?” राज बोला “मैं असल में सही वक्त का इंतजार कर रहा था।”

सिमरन हंसती हुई बोली “तुम्हारे सही वक्त के चक्कर में कोई और मुझे ले जाता, तब क्या करते!” राज मुस्कुरा कर बोला “फिर मैं किसी और को लेटर लिखता।”

सिमरन बोली “अगर लिखते तो बहुत जूते मिलते। लेटर में बहुत स्पेलिंग मिस्टेक हैं, और ऐसा लग रहा है कि लव लेटर ना हो के, तुम जॉब के लिए एप्लीकेशन दे रहे हो।” यह कह कर वह खिलखिला कर हंसने लगी। राज बोला “असल में पहली बार लिखा है ना, प्रैक्टिस नहीं है। अगली बार ठीक से लिखूंगा।”

सिमरन ने उसे घूरते हुए कहा “हाथ तोड़ दूंगी अगर किसी और को लिखा।” राज हंसने लगा। फिर बोला “क्या मैं यह मान लूं कि आप भी मुझे पसंद करती हैं?”

सिमरन ने अदा से कहा “अब जब अप्लाई किया ही है तुमने, तो मना करके मैं तुम्हारा दिल नहीं तोड़ने वाली। मुझे पता है कि तुम्हें कोई और लड़की तो पूछेगी नहीं। मैं ही मान जाती हूं।”

राज बोला “ओह…. जब इतना पसंद था तो इतना गरम क्यों हो रही थी?” सिमरन हंसती हुई बोली “वह तो मैं मज़े ले रही थी। कसम से तुम्हारी हालत देखने वाली थी। इतना डरे हुए थे कि अगर ड्रामा थोड़ा और चलता तो पता नहीं क्या हो जाता।”

राज बोला “तुम बहुत ज़ालिम हो, बच्चे की जान निकाल दी तुमने।” सिमरन हंसने लगी और बोली “अरे मेरा मासूम बच्चा! कितना डरता है।”

फिर राज बोला “अच्छा संडे को क्या आप फ्री हैं?” सिमरन हंसती हुई बोली “हैं ! क्या मुझे डेट पे ले जा रहे हो।”

राज बोला “नहीं, छोटा सा फंक्शन है। रूबी आपा की दोबारा शादी करवा रहे हैं। आप भी आइए। सबसे मिल लीजिएगा।”

सिमरन हंसती हुई बोली “वाह पहली डेट सीधे घर में। वो भी सबके साथ। मजा आ गया। पर मुझे डेट पर भी तो ले जाओगे या इसी तरह निपटा दोगे! मुझे बड़ा क्रेज है कि कोई मुझे भी डेट पे ले जाए। ”

राज बोला “जी सब होगा। आपके सब सपने पूरे होंगे, बस देखती जाइए।” सिमरन बोली “संडे डन है। मुझे पिक कर लेना।” “जी ज़रूर पिक कर लूंगा” राज ने कहा।

फिर दोनो खुशी – खुशी बाहर आ गए। राज मस्कुराते हुए अपनी सीट पे आकर बैठ गया। सब उसे घेर कर बैठे गए। हिना बोली “राज क्या हुआ। जल्दी बता?”

राज मस्कुराते हुए बोला “तुम लोग अब सिमरन को अपनी भाभी घोषित कर सकते हो।” यह सुन कर सभी बहुत खुश हो गए।


रूबी और जावेद का रुखसती का खुशनुमा दिन “खुशियों की रोशनी से सजा हर कोना”

संडे का दिन बहुत खुशनुमा था, वह अपने साथ रूबी और और जावेद के लिए एक नई जिंदगी का तोहफा लेकर आया था। मेजर शेखर का घर फूलों और छोटे छोटे बल्ब से रोशन था। गार्डन में एक खूबसूरत सा स्टेज बना था। अरसलान, राज, न्यूटन, रोहित दौड़ दौड़ कर सब तैयारियां कर रहे थे। सना और हिना रूबी को तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थीं।

तभी राज का फोन रिंग किया, उसने देखा कि सिमरन का कॉल था। उसने आंसर किया।

सिमरन बोली “कैसे हो माई डियर बेबी?”

राज ने जवाब दिया “ठीक हूं स्वीटू, बस तैयारी में थक गया हूं। तुम तैयार हो। मैं आता हूं तुमको लेने।”

सिमरन ने जवाब दिया “हाय मेरा सोना साजन, मेरी कितनी फ़िक्र है! मैं तो खुशी से पागल हुई जा रही हूं। पर तुम बहुत थक गए हो लो यह जूस पी लो। ताकत आ जाएगी।

राज के सामने एकदम से सिमरन जूस का ग्लास लेकर आ गई। उसे एकदम से देखकर राज हड़बड़ा गया और बोला “तुम… तुम यहां कब आई?”

सिमरन ने हंसते हुए कहा “कोई दो घंटे हो गए हैं, मैं तो पापाजी और हिना के साथ खाने का इंतज़ाम कर रही थी। तभी मैंने अपने स्वीटु जानू को थका हुआ, मुरझाया हुआ देखा, तो कसम से रहा ना गया। बस आ गई मैं तुम्हारे लिए! और तुम ऐसे घबरा रहे हो जैसे कोई भूतनी देख ली हो!

तभी मेजर शेखर भी आ गए और बोले “सिमरन बेटा, क्या हुआ? इस नमूने ने कुछ कहा तो नहीं ना”

सिमरन बिल्कुल भोली बनकर बोली “देखिए ना पापाजी, मैं इतनी देर से जूस लिए खड़ी हूं, पर यह ले ही नहीं रहे।”

इसपर मेजर शेखर बोले “यह क्या हरकत है राज, बच्ची इतनी मेहनत से तेरे लिए जूस लायी है और तू नखरे कर रहा है?”

राज के कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, सिमरन ने एक घंटे में मेजर शेखर को अपना पापा बना लिया था और वह अब उसके लिए राज की खिंचाई कर रहे थे। उसने झट से जूस का ग्लास लिया और एक सांस में पी डाला। सिमरन ने फिर टांग खींची “पापाजी, देखिए कैसे जानवरों की तरह पी रहे हैं। इनके कपड़ों पे भी गिर गया जूस”

“बिल्कुल बिगड़ गया है यह जानवर हो गया है। पता नहीं यह बचपना और जानवरों की आदत कब जाएगी” मेजर शेखर बोले।

इसपर सिमरन ने कहा “आप परेशान ना होइए पापाजी। मैं सब संभाल लूंगी।” “हां बेटा अब बस तेरे पे ही भरोसा है, और तुम राज इसे परेशान नहीं करना। कितनी अच्छी और प्यारी बच्ची है। ख्याल रख इसका, बेचारी कब से कामों में हलकान हो रही है।” यह कह के मेजर शर्मा चले गए दूसरे कामों को देखने।

उनके जाने के बाद सिमरन बोली “How are you feeling now, Sweetheart? All well!”

राज अभी तक सकते में था “मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि अभी-अभी जो इंसान यहां से गए हैं वह सच में मेरे ही पापा है? दो घंटे में उनको मेरे ही खिलाफ कर डाला। तुम क्या चीज हो यार।”

“हम नाचीज़ हैं मेरी जान” सिमरन ने अदा से कहा, तो राज ने कहा “मुझे लग रहा है कि मैंने तुमको प्रपोज करके कहीं गलती तो नहीं कर दी। कुछ घंटे में यह हाल है तो आगे क्या होगा?”

सिमरन ने बनावटी गुस्से से बोला “बुलाओ अभी पापाजी को!” तो राज बोला “अरे बुरा ना मानो क्यूं मुझे जूते खिलवाने पे उतारू हो।” फिर दोनों हंसने लगे और दूसरे कामों में लग गए।

कुछ देर में न्यूटन दौड़ता हुआ आया और बोला “जावेद भाई आ गए! जावेद भाई आ गए!” इसपर रोहित बोला “भाई बारात आ गयी कहते हैं।” न्यूटन बोला “भाई इसको एक्साइटमेंट कहते हैं।”

फिर थोड़ी देर में काज़ी साहब रूबी और जावेद का दोबारा से निकाह पढ़ा रहे थे। निकाह के बाद सबने रूबी और जावेद को मुबारकबाद दी। मुबारकबाद देने वालों में शमशेर खान और मिस्टर शर्मा भी थे। कुछ देर बाद जावेद और रूबी चांडाल चौकड़ी से घिरे हुए थे। वो सब ख़ूब मज़े कर रहे थे। सिमरन भी अब उसी ग्रुप में शमिल हो गई थी।

मेजर शेखर और मिस्टर शर्मा एक साथ खाने का लुत्फ उठा रहे थे। तभी मिस्टर शमशेर उनके पास पहुंचे और बोले “शेखर साहब, आपको बेटी की शादी की दिल से मुबारकबाद।”

मेजर शेखर बोले “खान साहब सब ऊपर वाले का करम है, मुझे बेटी नहीं दी पर बेटी को रुखसत करने का सवाब दे दिया। साथ में मुझे लगता है कि एक बेटी परमानेंट आने भी वाली है!”

“वाह मिया क्या बात है” दोनों हाथ में लड्डू। राज के लिए लड़की देख ली क्या?” अब की बार मिस्टर शर्मा बोले।

“वाह भाई हमको भी तो बताओ कि किसको चुना है आपने राज के लिए।” गरम जोशी से शमशेर खान बोले।

“खान साहब, आप तो जानते ही हैं, बच्ची को, सिमरन! बड़ी ही प्यारी बच्ची है। जी थोड़ी देर में दिल जीत लिया। लगा ही नहीं कि अपनी बेटी नहीं है।”

“वाह क्या बात है, सिमरन बहुत ही प्यारी बच्ची है। सच्ची और जिंदादिल, कोई दिखावा नहीं है। दोनो की जोड़ी बहुत ही अच्छी है। अब तो बस अब इंतजार ना करिए। “शमशेर साहब ने भी अपनी रजामंदी दे डाली।

“हां, सही कहा आपने, राज का फाइनल ईयर है, इसके बाद थोड़ा बहुत सेटल हो जाए, बस मैं दोनों की शादी कर दूंगा।” मेजर शेखर बोले

“थोड़ा सेटल तो वह है ही, इंशा अल्लाह जिस तरह ये बच्चे काम कर रहे हैं, मैं तो इन्हें फुल-टाइम जॉब देने की सोच रहा हूं। बस यह बात अभी ज़ाहिर नहीं करिएगा!” शमशेर खान बोले

इस बात पे मिस्टर शर्मा और मेजर शेखर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

“कशिश कहीं नहीं दिख रही शमशेर साहब। वह नहीं आई।” मिस्टर शर्मा बोले।

“नहीं जनाब, लड़की ने मुझे परेशान कर दिया है। ज़िद्दी हो गई है। समझ नहीं आता क्या होगा आगे? कोई ज़िम्मेदारी नहीं उठा सकती है। इसकी आदत कौन सुधारेगा? गलती मेरी है, मैंने ही ज़्यादा लाड प्यार से पाला जो है।” जवाब देते हुए शमशेर खान ने बताया।

अरे साहब अभी उम्र ही क्या है उसकी, बच्ची है! जब जिम्मेदारी मिलेगी तो निभा भी लेगी। मेजर शेखर ने तरफदारी वाले लहजे में कहा।

मिस्टर शर्मा कुछ सोचते हुए बोले “एक राय दूं मैं, खान साहब?” शमशेर खान बोले जी “शर्मा साहब पूछने वाली क्या बात है?” मिस्टर शर्मा फिर बोले “कशिश को ऑफिस ज्वाइन करवा दीजिए, काम तो उसे सीखना ही है, ऑफिस जाने से जिम्मेदारी का भी एहसास हो जाएगा। इससे आपका भी बोझ कुछ कम हो जाएगा।”

“यह राय तो कमाल की है, वैसे मुझे लगता नहीं उसमे कुछ बदलाव आएगा, पर कोशिश करने में क्या हर्ज है। रही बात मेरे बोझ की, वह बढ़ जाएगा उसके आने से।” शमशेर खान के यह कहने पर सब खिलखिला के हंस पड़े।

कुछ देर बाद रूबी को सबने खुशी-खुशी रुखसत किया। कार में बैठने से पहले उसे सबने मुबारकबाद दी। फिर जावेद और रूबी अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए आगे बढ़ गए। सब बहुत खुश थे।

अगली सुबह

मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है कशिश। सुबह ब्रेकफास्ट टेबल पे शमशेर खान ने कशिश से कहा।

जी पापा बोलिए “तुम्हारी स्टडी कैसी चल रही है” शमशेर खान ने पूछा।

“अच्छी चल रही है” कशिश ने जवाब दिया

“आगे क्या करना है?” शमशेर खान ने मुस्कुराते हुए पूछा।

“पापा मुझे क्या करना है, इतना कुछ तो है हमारे पास। बस मुझे तो जिंदगी के मज़े लेने हैं, काम तो सब ज़ैन ही करेगा। आखिर हम दोनों की शादी जो होनी है” कशिश एक रॉ में सब बोलती चली गई।

शमशेर खान कुछ नाराज़ होते हुए बोले “तुमको ज़ैन पसंद है? कशिश बेटा, बचपना छोड़ो, शादी कोई खेल नहीं होती, पूरी जिंदगी का सवाल है। और ज़ैन की कॉलेज की हरकतें देखने के बाद, मैं हज़ार बार सोचूंगा।”

कशिश भी नराज होते हुए बोली “पापा हम दोनों बचपन से साथ खेलते हुए बड़े हुए हैं, आपने पहले कभी भी नहीं कहा ऐसा। उस दो टके के अरसलान और उसके दोस्त के नाटक पर आपको यकीन है। आपने तो उन लोगों को ज़्यादा ही सर चढ़ा रखा है। उनकी औक़ात ही क्या है!”

शमशेर खान गुस्से से बोले “अपनी जबान को संभालो, कशिश, इंसान को पहचानो, मैंने जिंदगी तुमसे ज़्यादा देखी है। वह मुझे वारगला नहीं सकती इतनी आसानी से। अरसलान और उसके दोस्त मेहनती हैं। जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं। मैंने उनको सर पे नहीं चढ़ाया, जो हासिल कर रहे हैं, उनकी मेहनत है। वो उसी कॉलेज में पढ़ते हैं, जहां तुम। कॉलेज की पढ़ाई और साथ में इंटर्नशिप, आसान नहीं होती। उसके बावजूद, उनके रिज़ल्ट और काम की प्रोग्रेस देखो। अगर तुम मेरी बेटी नहीं होती तो शायद आज फाइनल सेमेस्टर में बैठ भी नहीं पाती।”

कशिश गुस्से से उठकर जाने लगी। शमशेर खान ने कहा “जाने से पहले, एक बात सुनती जाओ, अपनी स्टडीज पे ध्यान दो। रोज़ शाम को ज़ैन के साथ घूमना आज से बंद, आप रोज़ कॉलेज के बाद घर आएंगी, यहाँ बाकी काम करके डेली आप अब कम से कम दो घंटे के लिए ऑफिस आएंगी। और ध्यान रहे कि सीडब्ल्यूएस की बिल्डिंग और उसके आस पास भी मुझे ज़ैन आपके साथ नहीं दिखना चाहिए। ज़ैन को कैसे डील करना है, आपका मसला है।”

“पर पापा…” कशिश के कुछ बोलने से पहले, शमशेर खान उठकर खड़े हो गए दरवाजे पर रुकते हुए बोले “कशिश अगर हमने जो कहा है वह आपने नहीं किया तो हमको सख्ती करनी पड़ सकती है।”

अफवाहों का बाजार “गलतफहमियों का शोर और दोस्तों का सहारा”

न्यूटन सुबह – सुबह जॉगिंग करते हुए जा रहा था, उसे जल्दी – जल्दी हॉस्टल पहुंच कर, तैयार होने की फ़िक्र थी। उसी चक्कर में उसका ध्यान भटक गया, बिना देखे वह रोड क्रॉस करने लगा, तभी उसके सामने कार तेजी से रुकी, बहुत तेज़ी से ब्रेक लगाने पर भी वह न्यूटन के काफी पास आ के रुकी। न्यूटन गुस्से से लाल हो गया और कार की ड्राइविंग सीट की खिड़कियों पे मुक्का मार कर गुस्से से बोलता है “बाहर निकल, दिखता नहीं है तुझे, आंखें नहीं हैं…….” इतना कहते ही – कहते न्यूटन की आवाज बंद हो जाती है, वह घबरा जाता है।

ड्राइविंग सीट पे एक लड़की थी। जो अपनी बड़ी – बड़ी स्याह आँखों से न्यूटन को घूर रही थी। उसके गुलाबी गाल गुस्से से और लाल हो गए थे। न्यूटन झट से कार के दरवाज़े से अलग हुवा। तभी लड़की ने ज़ोर से दरवाजा खोला। न्यूटन उसकी ठोकर खा के गिर पड़ा।

लड़की बाहर निकली, न्यूटन खड़ा हुआ। लड़की उसके पास पहुंची और न्यूटन को एक जोरदार तमाचा जड़ा। फिर गुस्से में बोली “दिखता तुझे नहीं है जोकर। गधों की तरह खुद रोड पे चल रहा है और मुझे अंधा कह रहा है। अगर ब्रेक ना मारती तो तू किसी हॉस्पिटल में पड़ा होता। समझे?” यह कहकर लड़की उसे घूरते हुए कार में वापस बैठकर चली गई।

न्यूटन उसकी कार को जाता देखता रह गया। वह चुप चाप, हॉस्टल आ गया। जब वह नहा के बाहर आया तो, रोहित और अरसलान, रूम में बैठे थे। न्यूटन को देख के दोनो ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे।

न्यूटन बोला “क्या हुआ, क्यों बावलों की तरह हंस रहे हो। क्लास में नहीं चलना।”

रोहित बोला “भाई तू क्लास को मार गोली, यह बता इतना बड़ा काम करने की प्रेरणा कहां से मिली? एक लड़की का गिरेबान पकड़ लिया तूने!”

न्यूटन बोला “यार मुझे क्या पता था कि कार में कौन है!” “हां और जब पता लगा तो काफ़ी ज़ोर का लगा। क्यूं? न्यूटन सर” अरसलान ने टांग खींची।

यार हो गया “उसने मुझे मारा भी तो! इंसल्ट हुई है मेरी और तुम मज़े ले रहे हो!”

रोहित बोला “भाई, इंसल्ट, तुझे पता भी है तू किससे मार खा के आया है। भाई तू इस कॉलेज के मजनू का नया हीरो हो गया है। तेरी चर्चा पूरे कैंपस में है।”

अरसलान ने कहा “वाह भाई वाह, क्या बात है न्यूटन सर।” “यार चुप करो फ़िज़ूल की बात!” न्यूटन झल्लाते हुए बोला

“अलविना शाहबाज खान, टॉपर स्टूडेंट। कॉलेज हॉकी टीम की कैप्टन, लड़के उससे बात करने को तरस्ते हैं और तुझे उसने थप्पड़ मारा है। किसी को भाव नहीं देती वह! अब अगर तू उससे पंगा लेगा तो भाई सब तेरी पूजा ही करेंगे। रोहित ने पूरा खुलासा किया। फिर दोनों न्यूटन की खिंचाई करते रहे।

शाम तक पूरे कॉलेज कैंपस में अफवाहें फैल चुकी थी। दूसरे दिन अलविना सुबह, अपनी टीम के साथ प्रैक्टिस कर रही थी। तभी उसकी एक दोस्त ने उसे बताया “यार, तुमने जिस लड़के को कल थप्पड़ मारा था, उसने तो हद कर दी है। पूरे कॉलेज कैंपस मैं ढिंडोरा पीट रहा है कि उसका तुम्हारा चक्कर है, और कल जो हुआ वह तुमने उसे ब्रेक करने के लिए बहाने से किया है! ”


“तुम पागल हो क्या कोमल, वह तो बिल्कुल बेवकूफ सा लगता है” अलविना ने कहा। “इसपर तुम क्या जानो लड़कों को, ये बिगड़े हुए, लड़कियों का आकर्षण पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं” कोमल ने समझाया। कुछ अफवाह और कुछ लोगों के बार – बार के सवालों ने अलविना को गुस्सा दिला दिया। शाम तक वह गुस्से से तप रही थी। उसे यही लगा कि सब कुछ न्यूटन का ही करा हुआ है।

“कोमल यह लड़का पागल है, इसको समझाना ही पड़ेगा। मेरे फोन तक पे सिर्फ इसी से रिलेटेड मैसेज आ रहे हैं। मैंने आज तक अपने को फलतू की चीजों से दूर रखा, और यह पागल अपने फायदे के लिए मेरा नाम खराब कर रहा है। अलविना गुस्से से बोली।

“पर हम क्या करेंगे!” कोमल ने कहा तो अलविना ने जवाब दिया “सर तोड़ूंगी इसका मैं। दिमाग तभी ठिकाने आएगा। तभी इसे समझ आएगा और फिर कभी किसी लड़की को बदनाम नहीं करेगा। चलो देखते हैं कि यह नमूना है कहां।”

“नाम साहिल है इसका, पर सब इसे न्यूटन कहते हैं। फाइन आर्ट्स सेक्शन का है। रोज़ रात में पढ़ने का बहाना करके, कॉलेज के पास वाली झील के किनारे जाता है। वहीं सब सीखते हैं।” कोमल ने जदीद इन्फोर्मेशन शेयर की सारे ग्रुप में।

कुछ देर बाद वो सब झील के पास थीं। न्यूटन वहीं था। अपने लैपटॉप पे आंखें डाले, मसरूफ। उसे पता भी नहीं था कि उसकी शामत आ गई थी।

पढ़ाई का ढोंग बंद कर बत्तमीज इंसान, यह तूने क्या फलतू की बातें फैला रखी हैं कैंपस में। न्यूटन आवाज़ की तरफ़ मुखातिब हुआ तो देखा अलविना अपने ग्रुप और दो पुलिस कांस्टेबलों के साथ खड़ी थी। वह गुस्से से न्यूटन को घूर रही थी।

पुलिस कांस्टेबल ने कहा “तुमको शर्म नहीं आती इतनी बेहुदा बातें किसी लड़की के लिए कैंपस में फैलाते!”

न्यूटन ने सफाई देनी चाही “देखिए आपको गलतफहमी हुई है, मैंने ऐसा नहीं किया है। मैं तो खुद परेशान हूं।”

“झूट बोलते हो तुम, तुम्हारे जैसे लड़कों की वजह से ही हम सब लड़कियों का जीना मोहाल हो जाता है। तुमको तो जूते पड़ने चाहिए। कोमल ने इतना कहकर, न्यूटन को थप्पड़ मार दिया।

उसके बाद पुलिस ने न्यूटन पर अपने हाथ साफ कर दिए, अपने को बचाने में न्यूटन गिर पड़ा और उसका लैपटॉप भी चिटक कर गिर गया।

इस बार तो हम तुझे ऐसे ही समझा रहे हैं, पर अगली बार लॉकअप में बंद करके केस बना देंगे। गलती से भी किसी लड़की को छेड़ा या कोई गलत बात हुई तो तू अंदर गया लड़के।

पुलिस वाले और अलविना के साथी वापस चले गए। न्यूटन चुप चाप वहीं बैठा रहा। उसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई थी। लैपटॉप न्यूटन की जान था, उसका फाइनल ईयर प्रोजेक्ट था उसमें, जो उसको अगले कुछ दिन में सबमिट करना था, वह घबरा गया। उसकी मेहनत पे पानी फिर गया था। ऊपर से मार से वह बेज्जत भी हो गया। वह अपने टूटे हुए लैपटॉप को लेकर हॉस्टल चला गया। अरसलान, ने उसे देखा तो वह घबरा गया।

वह अंदर से बिल्कुल टूटा हुआ था, अरसलान ने जैसे ही उसके कंधे पे हाथ रखा, वह उसके गले लग कर रो पड़ा। रोते हुए बोला “भाई, मैं फेल हो जाऊंगा, मेरा लैपटॉप टूट गया है। मेरा प्रोजेक्ट… ” इतना कहते ही – कहते वह बेहोश हो गया। फेल होने के डर ने उसे अंदर से तोड़ दिया था, ऊपर से बेज्जती जो हुई वह झेलना बड़ी बात थी, किसी भी शरीफ इंसान के लिए।

कुछ देर बाद न्यूटन को कॉलेज के मेडिकल रूम में होश आया, वह अंदर से बुझा हुआ था। अरसलान, रोहित, राज, सना और हिना सब उसके पास थे। सना बोली “न्यूटन क्या हुआ ये, कैसे हुआ!”

न्यूटन ने बूझी-बुझी आवाज में कहा “मैं झील के पास गिर गया था।” वह शर्म से सच नहीं बोल पा रहा था।

“और ये चोटें कैसे लगीं, गिरने की तो नहीं लगती है” हिना ने सवालिया अंदाज से पूछा।

“हां न्यूटन, बता भाई तू, किसने मारा है तुझको, उसकी बैंड बजा दूंगा भाई।” राज ने गुस्से से कहा।

“मुझको किस्मत ने मारा है, मेरी पूरी मेहनत मिट्टी में मिल गई। कुछ दिन में प्रोजेक्ट सबमिट करना है। मैं यहां पलंग तोड़ रहा हूं। और मैं कुछ नहीं बोलना चाहता, बेकार के फसाने बनेंगे फिर से। प्लीज मुझे तन्हा छोड़ दो।” न्यूटन का ऐसा लहजा किसी ने नहीं सुना था आज तक, सब सकते में थे। नर्स ने सुना तो उसने भी सबको जाने को कहा।

सब वहां से निकल के, हॉस्टल रूम में आ गए। हिना बोली “न्यूटन बहुत डिस्टर्ब है। हम लोग अब क्या कर सकते हैं? “रोहित बोला,” यार लैपटॉप उसकी जान था, उसने काफ़ी मेहनत से लिया था। बहुत बुरी तरह से डैमेज हुआ है। लेकिन उम्मीद है। अगर हार्ड-डिस्क नहीं डैमेज हुई तो स्कोप है। बट उसके लिए कल सुबह तक वेट करना पड़ेगा। अगर डाटा मिल गया तो वह हमारे किसी के भी लैपटॉप पे प्रोजेक्ट कंप्लीट कर सकता है। बस हमको उसे थोड़ा सा एक्सटेंशन दिलवाना पड़ेगा।”

“हम लोग कल मिस्टर शर्मा से बात करते हैं।” अरसलान ने राय दी। सबने हामी भरी।

“वो तो सब ठीक है, पर ये बात मुझे खटक रही है कि न्यूटन को किसने मारा, और वह छुपा क्यूं रहा है।” हिना ने संजीदगी से कहा। सब इस बात पे गौर करने लगे हैं।

अगले कुछ दिनों में रोहित की मेहनत रंग लायी और डाटा आखिर बच गया पर मिस्टर शर्मा की कोशिश के बावजूद, न्यूटन को एक्सटेंशन नहीं मिल पाया। डिपार्टमेंट हेड ने साफ इंकार कर दिया। कहा, अगर न्यूटन को एक्सटेंशन दिया गया, तो फिर कॉलेज के सभी स्टूडेंट्स हेल्थ इश्यू के बहाने के साथ एक्सटेंशन लेने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा किसी को नहीं पता कि सही में क्या हुआ, अगर लैपटॉप डैमेज भी हुआ है तो किसकी गलती से? और वैसे भी न्यूटन आजकल स्टडीज से ज़्यादा तो दूसरी बातों में मसरूफ है। अफवाह का बाजार यहां तक गर्म​​ था। मिस्टर शर्मा ने काफ़ी कोशिश की पर बात नहीं बनी। सब दोस्त मयूस हो गए।


Amaan

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