Raj Aur Simran Ki Haseen Nok Jhok
सिमरन और राज की मोहब्बत की क़िस्त में जहाँ नाराज़गी है, वहीं हंसी-ठिठोली भी। पहली डेट का खास इंतज़ाम और दोस्तों की मज़ेदार खिंचाई कहानी को और रंगीन बनाती है। “तेरी उल्फत में” सिर्फ एक कहानी नहीं, मोहब्बत और जिंदगी के हर छोटे-बड़े लम्हे को महसूस करने की दास्तान है। सिमरन और राज की मज़ेदार हसीन नोक झोंक की मोहब्बत भरी क़िस्त। पढ़ें कैसे रोमांस और दोस्ती से भरी ये क़िस्त दिलों को छू जाती है। जानिए उनकी पहली डेट का खास अनुभव।
“यह क़िस्त दिल से दिल का रिश्ता जोड़ने की कोशिश है, जिसमें रोमांस, दोस्ती और थोड़ी मस्ती शामिल है।”
तेरी उल्फत में: हसीन नोक झोंक
सिमरन शाम को राज के घर पहुंची। ” हैलो! पापाजी, राज कहाँ है?” उसने लॉन में बैठे मेजर शेखर से पूछा।
मेजर शेखर ने जवाब दिया “वह तो टेरेस पे बैठा है। और तुम इतने दिनों बाद आई हो और आते ही राज को पूछ रही हो। अपने पापा के लिए टाइम नहीं है क्या।”
सिमरन बोली “अरे पापा जी क्या करूँ, काम इतना है। और मेरे पास आपके लिए टाइम ही टाइम है, बस ऑफिस का कुछ जरूरी काम है, जिसको निपटाने के लिए राज की मदद चाहिए।”
मेजर शेखर बोले “काम पहले, जाओ ऊपर, फिर बाद में बात करते हैं। मैं चाय ऊपर भेजवाता हूं तुम दोनों के लिए।”
“ओह थैंक्स पापाजी, सच में चाय का बड़ा दिल कर रहा था पीने को” सिमरन ने टेरेस की तरफ रुख करते हुए कहा।
राज टेरेस पे ही था। उसने सिमरन को देखा पर बात नहीं की। बस आसमान में तारे देखता रहा। सिमरन उसके बगल में आकर बैठ गई। राज ने फिर भी कुछ नहीं बोला। सिमरन ने उसके हाथ पर हाथ रखते हुए बोला “नराज़ हो मुझसे!” राज कुछ नहीं बोला।
“ओके जानू आई एम सॉरी, मैं कभी ऐसा मजाक नहीं करूंगी। पक्का वाला प्रॉमिस।” सिमरन ने राज को मनाते हुए कहा।
“मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी, सिमरन कि तुम सबके कहने में आ जाओगी। हां मैं मानता हूं कि हम आज तक कहीं नहीं गए, पर वजह तुम जानती हो। लाइफ कैसी बिजी चल रही है।” राज ने अपनी चुप्पी तोड़ी।
“अरे मैं तो बस मजाक कर रही थी, मुझको भी पता है।” सिमरन ने कहा।
“क्या हमारा रिश्ता सिर्फ एक डेट का मोहताज है। क्या मुझे अपने प्यार को प्रूव करने के लिए तुमको डेट पे ले जाना और घुमाना फिराना जरूरी है। बिना इसके क्या तुमको यही लगता है कि मैं तुम्हें धोखा दे रहा हूं।” राज ने अपनी नाराज़गी बयां करी।
सिमरन बोली “नहीं राज, तुम गलत समझ रहे हो। वो सब तो बस एक मज़ाक था, जो हम सबने किया था। तुम सबसे नराज़ हो गए। अब आइडिया तो मेरा था। नाराज़ होना है तो मुझसे हो बाकि लोगों से क्यों नराज़ हो। आज सब ऑफिस में परेशान थे।”
नहीं सिमरन, मुझको लगता है कि शायद यह डेट और आउटिंग ज़रूरी होती हैं। मुझको तुमको ले के जाना चाहिए था। शायद ये सब मेरे प्यार को प्रूव कर देते। सिमरन रुआसी हो गई और बोली “नहीं राज, प्लीज यह मत कहो। मुझे तुम्हारे प्यार पर भरोसा है। ये सब तो मैं बस ऐसे ही बोल रही थी। लेकिन आगे से कभी नहीं कहूंगी।”
कमीने अगर अब तूने यह ड्रामा ज़्यादा खींचा तो मैं तुझको नीचे धक्का दे दूंगी। सना ने टेरेस पे आते हुए कहा।
सिमरन को कुछ समझ नहीं आया। उसने राज को देखा तो वह मुसकुरा रहा था। तभी न्यूटन, रोहित, अरसलान और हिना भी आ गए। बंद कर यह ड्रामा, अब क्या सिमरन को रुलाएगा। सिमरन कभी राज को देखती, कभी बाकी लोगों को। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
हिना बोली “सिमरन तुम परेशान ना हो, यह राज कोई नाराज़ नहीं है। यह तो सिर्फ तुमसे ऑफिस वाली खिंचाई का बदला ले रहा है। और राज अब तुम कुछ बोलोगे या बस अपनी स्टुपिड सी स्माइल ही देते रहोगे।”
“ओके… ओके सिमरन असल मे मैं तुमसे नाराज़ होने का नाटक कर रहा था। वो सब नराज़गी, एकदम से तुम सबसे नराज़ होना सब नाटक था।” राज सिमरन के पास जा के बोला।
“नाराज़गी का सफर जब मोहब्बत में ढलता है,
हर खामोशी का जवाब सिर्फ हंसी बनता है।”
तेरी उल्फत में: दोस्ती और प्यार का संगम
सिमरन अभी भी कुछ नहीं समझी थी। राज बोला “अरे! जैसे तुमने इन सबको अपने प्लान में शामिल किया, वैसे ही मैंने भी किया। तुम खुद सोचो कि क्या मैं तुमसे इतनी छोटी सी बात पर नाराज़ हो सकता हूं।”
“मतलब, ये सब ड्रामा था?” सिमरन को अब समझ मे आया। “यस माय जान” राज ने कहा।
“जान के बच्चे, तुमको पता है कि मैं कितना परेशान हो गई थी। मुझे यह बात खाए जा रही थी कि मेरी वजह से तुम अपने दोस्तों से भी नाराज़ हो गए हो।” सिमरन ने राज को घूरते हुए कहा।
इसपर राज खिलखिला के हंसने लगा।
“मेरी जान निकाल के तुमको बड़ी हंसी आ रही है, रुको अभी बताती हूं।” सिमरन राज को मारने लपकी तो राज भाग लिया। टैरेस पर राज और सिमरन के बीच पकड़ा-पकड़ी शुरू हो गई। बाकी सब हंस – हंस के मज़े लेने लगे।
“अरे यार सिमरन से कोई मुझको बचाओ, वरना आज सच में यह मेरी जान निकाल देगी। राज ने सिमरन से बचते हुए कहा।
“आज अगर कोई बीच में आया तो उसकी खैर नहीं।” सिमरन ने धमकी भरे अंदाज में कहा तो अरसलान बोला “हां, सिमरन, तुम लगी रहो, इसको छोड़ना नहीं। हमको राज ने जिस काम से बुलाया था वह तो हम कर ही चुके। अब हम लोगों का यहां कोई काम भी नहीं है। हम चलते हैं।”
“अबे क्या कर रहे हो तुम लोग, मुझे यहां अकेला छोड़कर कहां जा रहे हो!” राज ने अपने को बचाते हुए कहा, पर तब तक सभी हंसते हुए वहां से चलते बने।
“आज तुमको कोई नहीं बचा पाएगा राज” यह कहते हुए सिमरन ने बास्केट बॉल खींच के राज को मारा।
बॉल सीधा राज की पीठ पे लगा और वह गिर पड़ा “ओह आह मर गया यार।” राज करहाने लगा।
यह देख सिमरन घबरा गई। वह भागकर राज के पास आई और बोली “ओह सॉरी राज, जोर से लग गया क्या? मैं तो बस तुमको डरा रही थी। दिखाओ मुझे कहां लगा है?” सिमरन राज के पास आकर उसकी चोट देखने लगी।
“आह सिमरन, बहुत दर्द हो रहा है” राज ने बड़ी मासूमियत से कहा। “कहां लगी है बताओ” सिमरन उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोली। “सिमरन मैं घायल हूं, तुमने मुझे घायल कर दिया” राज ने कहा।
“हां सॉरी राज, मुझे ज़ोर से नहीं मरना चाहिए था।” सिमरन राज की पीठ सहलाते हुई बोली।
“हां सिमरन पर बॉल ने नहीं, मुझे तो तुम्हारे हुस्न ने घायल किया है।” “क्या मतलब” राज के यह कहने पर सिमरन ने उसे देखा, राज फिर मुस्कुरा रहा था।
“मतलब, तुम फिर मज़ाक कर रहे थे?” सिमरन ने पूछा तो राज ने हंसते हुए अपना सर हिलाया। तभी सिमरन ने राज का हाथ पकड़ा और उसे मोड़ दिया। राज अबकी बार सच में गिर पड़ा। “बॉल से तो बच गए तुम अब बताओ, अब दर्द हो रहा है ना।” सिमरन राज का हाथ मोड़ते हुए बोली।
“हो रहा है, ज़ोर का हो रहा है। प्लीज छोड़ दो सिमरन।” राज ने कहा तो सिमरन ने उसका हाथ छोड़ दिया। फिर दोनों एक दूसरे को देखकर हंसने लगे और वहीं बैठ गए।
“चांद को देखकर अब जलन सी होती है,
तेरी आँखों के जलवे से रोशन रात जो होती है।”
कुछ देर दोनों चुपचाप आसमान को देखते रहे, फिर राज बोला “सिमरन, मैं तुमको कुछ दिखाना चाहता हूं।” “क्या” सिमरन ने पूछा तो वह खड़े होते हुए बोला आओ मेरे साथ। राज सिमरन को टेरेस के दूसरे तरफ ले के आया। वह हिस्सा फूलों और छोटी – छोटी लाइट्स से डेकोरेटेड था। बड़ी ही खूबसूरती से एक टेबल बीच में रखी थी, जिस पर करीने से खाना लगा था। बीच में दो खुशबुदार मोमबत्तियों से माहौल और रुमानी हो गया था। राज ने वहां रखे म्यूजिक प्लेयर को ऑन करते हुए सिमरन से पूछा “कैसा लगा आपको अपनी पहली डेट का इंतज़ाम।”
सिमरन हैरान होकर बोली “ये सब तुमने किया!”
“दोस्तों की हेल्प से किया है, आखिर तुम्हारी पहली डेट का सवाल था। खास होना जरूरी था, जैसे आप मेरे लिए खास हो।” राज मुस्कुराते हुए बोला।
“ये सब बहुत खूबसूरत है राज। मुझे नहीं पता था कि तुम इतने ज़्यादा रोमांटिक हो सकते हो।” सिमरन ने कहा। फिर वह राज के पास बैठ गई। राज ने उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया। दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगे। आसमान खुशगवार था, चांद का हुस्न अपने पूरे उरूज पे था। पर आज चांद अपने हुस्न पे नहीं, दोनों की पाक मोहब्बत की खुशी में कुछ ज़्यादा ही खुशगवार लग रहा था।
कशिश और अर्सलान: फिर एक नोक झोंक
“अरसलान मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। फ्री हो तो बताओ।” कशिश अरसलान के सामने खड़ी थी।
“जी बोलिए, क्या बात है।” अरसलान ने इतमीनान से पूछा।
“यहाँ नहीं कैफेटेरिया चलो।” कशिश ने कहा तो अरसलान ने जवाब दिया “चलिए”। और वह अपनी जगह से उठ गया। कुछ देर बाद दोनों कैफेटेरिया में बैठे थे।
कशिश बोली “देखो, मुझको ऑफिस के किसी काम का आइडिया नहीं है। ऊपर से पापा ने मुझे प्रोजेक्ट में तुम लोगों के साथ काम करने को बोल दिया है। मैं चाहती हूं कि तुम मुझे थोड़ा बहुत समझा दो काम के बारे में।”
“हम्म, वह तो मेरा काम है, और कोई बात।” अरसलान ने हामी भरी।
“हां, एक बात का ख्याल रखना, इस फेवर को कोई एहसान न समझना हम पर। इसके एवज मे जितना पैसा या कुछ और चाहिए ले लेना। असल में पापा ने ज़ैन को यहाँ आने से मना कर दिया है। वरना हमको तुमसे कहना ही नहीं पड़ता।”
अरसलान को गुस्सा तो बहुत आया पर उसने अपने पे काबू करते हुए कहा “हर चीज़ पैसे से नहीं तौली जाती। आपको गाइड करना वैसे तो मेरे जॉब का हिस्सा है। अगर ना भी होता तो मैं आपकी हेल्प करता। इंसान को एक दूसरे का साथ देना चाहिए। जिंदगी तभी चलती है।”
“देखो ये फालतू के डायलॉग ना मारो, मुझे पसंद नहीं हैं। मैंने तुमसे एक फेवर मांगा है, जिसके बदले मैं तुमको उसकी कीमत दे रही हूं। अभी नहीं लेना, कोई नहीं। जब ज़रूरत लगे बता देना।” इतना कह के कशिश वहां से उठकर चली गई। अरसलान उसे जाते हुए देखता रहा और फिर सोचा “इसका कुछ नहीं हो सकता।”
“यह जो तकरार है हमारी,
असल में इश्क़ का इज़हार है सारी।”
तेरी उल्फत में: न्यूटन की अनजान मोहब्बत
न्यूटन अपनी डेस्क पे बैठा था कि तभी उसका फोन बजा। उसने फोन उठाया और बोला “हैलो”
दूसरी तरफ से आवाज आई “कैसे हैं आप साहिल।”
“मैं ठीक हूं। आप कौन?” न्यूटन उस अंजान आवाज को पहचान नहीं पाया।
“मैं वही हूं, आपकी अंजान मोहब्बत।” दूसरी तरफ से जवाब आया।
“देखिए, मुझे नहीं पता कि आपको क्या अच्छा लग गया मुझमें। पर मैं आपको अभी बताता हूं, कि मुझे ये प्यार मोहब्बत में कोई दिलचस्पी नहीं।” न्यूटन ने जवाब दिया।
“हां तो क्या हुआ, आपको नहीं मुझे तो है। और जल्द ही मैं आप में भी यह जज्बा पैदा कर दूंगी। और आप इतने अच्छे और क्यूट तो हैं, कोई भी लड़की आपसे मोहब्बत कर सकती है।”
दूसरी तरफ से जवाब आया। “देखिए मुझे यह सब पसंद नहीं। और मैं तो आपको जानता ही नहीं। क्यों मेरा खून पी रही हैं आप।” न्यूटन ने जरा गुस्से से कहा।
“वाओ आप कितनी क्यूट बातें करते हैं, और आप मुझे नहीं जानते तो क्या हुआ, जान जाएंगे। वैसे बता दूं, मैं देखने में काफ़ी ख़ूबसूरत हूं। कॉलेज के कई लड़के ट्राई कर चुके हैं।” दूसरी तरफ से हंसती हुई आवाज आई।
“तो उनमें से किसी को चुन लीजिए, क्यों मेरा खून पीने पर तुली हुई हैं आप। ना नाम का पता ना इंसान का पता, इश्क करने चल दी आप।” न्यूटन ने फिर गुस्से से बोला।
“मैं तो आपका नाम जानती हूं, और भी बहुत कुछ जानती हूं। और आप भी तो मुझे जानते हैं। फिर हम अंजान कैसे हुए।”
दूसरी तरफ से फिर परसुकून लहजे में जवाब आया। “मैं कब आपको जनता हूं, मोहतरमा।” न्यूटन ने पूछा।
“अरे, साहिल मैं आपको चाहने वाली चुड़ैल हूं।” दूसरी तरफ से हंसने की आवाज आई।
“देखिए अगर आप कोई मजाक कर रही हैं, या आपने अपने दोस्तों में शर्त लगाई है कि कैसे किसी लड़के को आप पागल बना सकती हैं, तो आप बेकार में अपना वक्त खराब कर रही हैं। किसी और को ढूंढिए। मैं नहीं आने वाला आपकी बातों में। “न्यूटन ने जवाब दिया।
“आप गलत सोच रहे हैं साहिल, मैं दिल से आपको पसंद करती हूं।” दूसरी तरफ से जवाब आया।
“आप बहुत ढीठ हैं, शायद पागल भी। आपको समझाना बेकार है।” यह कह के न्यूटन ने फोन रख दिया।
अरसलान काम में मसरूफ था। तभी कशिश उसके पास आके बैठ गई और बोली “हां, तो कहां से शुरू करना है।” “शूरु से शुरू करना ही बेहतर रहेगा। आप अपना लैपटॉप स्टार्ट कीजिए मैंने आपको कुछ फाइल्स मेल की हैं, उन्हें देखिये और बताइए कि आपको क्या समझ आ रहा है।”
“ओके, मैं चेक करती हूं।” कशिश ने जवाब दिया। फिर दो मिनट बाद बोली “यह फाइल खुल ही नहीं रही है।”
अरसलान ने पूछा “क्या हुआ, कोई एरर आ रहा है क्या।”
“पता नहीं, हमको क्या पता। डबल क्लिक करने पर कुछ हो ही नहीं रहा, बस ओपन विद आ रहा है।” कशिश ने परेशान होते हुए कहा।
“कशिश वो पीडीएफ फाइल्स हैं। आपको पीडीएफ रीडर में ओपन करनी होंगी।” अरसलान ने समझाया।
“अब यह क्या होता है। तुम देखो जरा। हमको नहीं मिल रहा है यह रीडर।” कशिश ने लैपटॉप अरसलान को पकड़ा दिया। अरसलान ने लैपटॉप देखा तो उसमें पीडीएफ रीडर ही नहीं, ऑफिस का पैकेज भी नहीं था। कोई भी जरूरी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल्ड नहीं था। सिर्फ गेम्स और गाने भरे हुए थे।
“आपके लैपटॉप में जरूरी सॉफ्टवेयर्स तो हैं ही नहीं। इंस्टॉल करने होंगे।” अरसलान ने लैपटॉप देखते हुए कहा।
“ओह ओके, तो कर दो। आज लैपटॉप रेडी कर दो, कल से हम तुमसे काम सीखना शुरू करेंगे।” कशिश उठते हुए बोली तो अरसलान उसे रोकते हुए बोला “आप यहीं रुकिए। मैंने आपके लिए डॉक्युमेंट्स का प्रिंट ऑलरेडी रखा है। जब तक आपके लैपटॉप में जरूरी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होते हैं, तब तक आप इन डॉक्यूमेंट्स से स्टडी कर लीजिए।
फिर अरसलान कशिश के लैपटॉप में इंस्टॉलेशन में लग गया। और कशिश ना चाहते हुए भी फाइल स्टडी करने लगी। कुछ देर में लैपटॉप भी रेडी हो गया। अब अरसलान और अच्छे से कशिश को सब कुछ समझाने लगा।
करीब दो घंटे बाद अरसलान बोला “आज के लिए इतना काफ़ी है। आप इन सबको और स्टडी कीजिए। अगर ज़रूरत पड़े तो आप मुझसे पूछ लीजिएगा।”
तेरी उल्फत में: गेम और जिंदगी की बातें
जब कशिश चली गई तो राज अरसलान के पास आकर बोला “क्या बात है मियां, कशिश जी पहले आपसे अकेले में मिलती हैं, वह भी कैफेटेरिया में, फिर आप उनको घंटो काम समझाते हैं, क्या बात है!
“अबे चुप करो, दिमाग ना पकाओ। अभी काफ़ी ख़र्च हुआ है। चलो कॉफी पीने। बाकी सब कहां हैं!” अरसलान ने राज से पूछा।
“हम सब तो यही हैं, आप ही कहीं और मसरूफ हैं।” सना करीब आते हुए बोली।
“तुम सबका दिमाग फिर गया है। मैं चला” अरसलान ने कैफेटेरिया का रुख किया। पीछे उसे हंसने की आवाज़ें आ रही थीं। कैफेटेरिया पहुंचा तो शमशेर खान साहब ने उसे पुकारा। अरसलान ने देखा तो शमशेर खान और कशिश एक तरफ खड़े थे। अरसलान उनके पास जा पहुंचा।
“आज की कॉफी हमारे साथ हो जाए बरखुरदार।” शमशेर खान ने कहा तो अरसलान मुस्कुरा दिया।
“तो कैसा चल रहा है।” शमशेर खान ने पूछा।
“जी सब सही चल रहा है प्रोजेक्ट में। प्रोजेक्ट के लिए हम सब बहुत मेहनत कर रहे हैं।” अरसलान ने जवाब दिया।
“अरे भाई हमको पता है इस बारे में। हम तो तुम्हारी जिंदगी के बारे में पूछ रहे हैं। काम और पढ़ाई के अलावा भी कुछ करते हो।” शमशेर खान बोले।
“टाइम ही कहां मिलता है।” अरसलान ने जवाब दिया।
“अरे भाई, तो वक्त निकालो। थोड़ा बहुत रिलैक्स करा करो। अभी नहीं करोगे तो कब करोगे। कोई गेम खेलते हो।” शमशेर खान ने कहा।
“जी क्रिकेट, टेनिस, बास्केटबॉल और पूल खेलता हूं। जब वक्त मिलता है।” अरसलान ने जवाब दिया।
“कॉलेज में खेलते हो या किसी क्लब में।” शमशेर खान ने पूछा।
“जी कॉलेज में दोस्तों के साथ।” अरसलान ने जवाब दिया।
“वैसे टेनिस और बास्केटबॉल तो कशिश भी अच्छा खेलती है। और पूल और शतरंज में भाई हम बड़े खतरनाक हैं। कभी आओ फुर्सत में घर फिर जरा एक-एक गेम खेलते हैं।” शमशेर खान ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ज़रूर आऊंगा” अरसलान ने मुस्कुराते हुए कहा।
“और हां, कशिश ऑनलाइन गेम्स में भी चैंपियन है। कौन से गेम हैं वो जो तुम खेलती हो कशिश?” शमशेर खान कशिश से मुखातिब हुए।
“पापा, Call Of Duty: Moder Warfare” कशिश ने बेदिल से कहा। उसे शमशेर खान का अरसलान से इतना बेतकल्लुफी से बात करना पसंद नहीं आ रहा था।
“हां वही, कशिश को जल्दी उसमें कोई हरा नहीं पाता।” शमशेर खान ने पूछा।
“ग्रेट, क्या यूजरनेम है आपका ऑनलाइन? मैं भी कभी-कभी खेलता हूं।” अरसलान ने फॉर्मेलिटी के लिए पूछा।
“डेडली गर्ल, के नाम से हूं।” कशिश ने जवाब दिया।
“ओह, वैसे कशिश आपका लास्ट वीक का टूर्नामेंट कैसा रहा था।” अरसलान ने मुस्कुराते हुए पूछा।
“पहली बार बेकार हुआ था। एक नये यूज़र ने हरा दिया।” कशिश ना चाहते हुए भी जवाब दे रही थी।
“जार्विस नाम था ना यूज़र का” अरसलान ने पूछा।
“अरे हां, यही नाम था, बड़ा बढ़िया खेला था वह। मैं भी उस दिन कशिश के कहने पर उसका गेम देख रहा था। क्या तुम जानते हो उस प्लेयर को।” शमशेर खान इस बार बोले।
“जी, इस नाचीज को ही जार्विस कहते हैं।” अरसलान ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ओह तुम हो जार्विस। बड़ा अच्छा खेलते हो। भाई मुझे तो ज्यादा आता नहीं, पर मजा बहुत आता है देखने में ये गेम्स।”
“तुम जार्विस हो। पर तुमको ग्रुप में कभी देखा नहीं” कशिश को भी हैरत हुई।
“हां, असल में मैं लखनऊ में यह गेम बहुत खेलता था। कॉलेज के पेज पे टूर्नामेंट डिटेल्स पोस्ट की थी, उसी से ग्रुप का पता चला। सोचा पुरानी यादें ताजा की जाएं।” अरसलान ने जवाब दिया।
“भाई ऐसा है कि यह बताओ कि तुम घर कब आ रहे हो। हमको भी तुम लोगों के ये गेम खेलने में मजा आता है, पर हम कशिश से हार जाते हैं। जरा हमको भी ट्रेन करो” शमशेर खान ने बड़े मज़े में कहा।
अरसलान बोला “लगता है आपको भी इन गेम्स का शॉक है।”
“बहुत ज़्यादा है।” शमशेर खान ने कहा। दोनों बड़ी बेतकल्लुफी से बिल्कुल हम उम्र लोगों की तरह बात कर रहे थे। कशिश को गुस्सा आ रहा था, एक तो अरसलान से शमशेर खान का इतना लगाव, दूसरा अरसलान का जार्विस होना जिसने उसको गेम में हराया था। ये दोनों बातें उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थीं। तभी एक और बात बम की तरह कशिश पे गिरी।
“अरसलान कल तो छुट्टी है ऑफिस की, कॉलेज में कोई जरूरी काम तो नहीं है कल?” शमशेर खान ने पूछा तो अरसलान ने जवाब दिया “नहीं, कल तो कॉलेज भी बंद है।”
“तो भाई, हम तुमको बुलाते रहेंगे और तुम आते रहोगे, चलो आज शाम हमारे यहां। रात का डिनर हमारे साथ। कोई रात का प्रोग्राम तो नहीं है तुम्हारा।”
“नहीं कोई खास नहीं” अरसलान ने जवाब दिया।
“हां तो बस, आज रात तुम हमारे मेहमान रहे।” शमशेर खान ने फैसला सुना दिया।
अरसलान ने रजामंदी दी तो शमशेर खान बोले “कशिश हम तो अभी निकल रहे हैं एक मीटिंग के सिलसिले में, तुम अरसलान को ले के आना घर। “यह कहकर शमशेर खान चले गए।
तेरी उल्फत में: दोस्ती और मज़ाक की हल्की सी झलक
“बड़े बेढंगे इंसान हो, मना नहीं कर सकते थे।” कशिश ने खा जाने वाली नजरों से अरसलान को देखा तो अरसलान ने इत्मीनान से कहा “सर इतनी मोहब्बत से बुला रहे थे, कैसे मना कर देता।”
“अरे कह देते कोई काम है, या दोस्तों के साथ का प्लान है।” कशिश गुस्से से बोली।
“मैं झूठ नहीं बोलता हूं।” अरसलान ने कहा तो कशिश बोली “हां एक तुम्ही तो सच्चे इंसान रह गए हो दुनिया में। और तुम हमेशा सच तो नहीं बोलते होगे।”
“सही कहा तुमने, मुझे मना कर देना चाहिए था पर फिर मैंने सोचा कि रोज- रोज मेस का खाना खा के बोर हो गया हूं, आज कुछ घर का खा लेता हूं।” अरसलान ने फिर चुटकी ली। कशिश फिर गुस्से से बोली “नदीदे इंसान हो तुम। और बेहद बेहुदा, पता नहीं पापा तुमको किस लिए पसंद करते हैं।”
अरसलान कशिश को देख मस्कुराने लगा तो कशिश बोली “अब मुझे क्यों घूर रहे हो, मुझे खाना है क्या।” ये सुन अरसलान की हंसी निकल गई वह बोला “पता नहीं क्यों मुझको तुम्हें गुस्सा दिलाने में और लड़ने में मजा आता है।”
कशिश के गाल गुस्से से लाल हो रहे थे “और मुझको तुम जैसे लड़कों का मुंह नोचने में बड़ा मजा आता है।” उसकी बात सुन के अरसलान फिर हंसने लगा।
कशिश गुस्से में उठने लगी तो उसका पैर चेयर में फंस गया और वो लड़खड़ा के गिरने लगी। अरसलान ने उसे संभाला। दोनों के चेहरे एक दूसरे के करीब थे। अरसलान मुस्कुरा रहा था और कशिश गुस्से से उसे देख रही थी।
अरसलान बोला “कशिश लोग देख रहे हैं।” यह सुन कशिश झट से अरसालान से अलग हो गई और दोबारा चेयर पे बैठकर फाइल ठीक करने लगी। अरसलान उसके बिखरे हुए पेपर्स उसको देते हुए बोला “तुम बार-बार मुझ पे ही क्यों गिरती हो। उस दिन हॉस्पिटल में आज यहां। बात क्या है।”
उसकी बात सुनके कशिश फिर गुस्से से उठने लगी तो अरसलान बोला “आज डिनर में क्या खिलाओगी।”
“ज़हर खिलाऊंगी” कशिश ने उठते हुए गुस्से से बोला तो अरसलान ने कहा “लजीज़ तो बनाओगी ना, उसे।” कशिश फिर वहां नहीं रुकी, उसका बस चलता तो वह अभी अरसलान को जान से मार देती।
"इश्क़ का रंग ऐसा चढ़ा है,
हर पल तेरा ख्याल बसा है।
चांद भी शर्मा जाता है देखकर,
तेरी आंखों में जो नशा है।"
Saya Aur Mohabbat: A Mysterious Horror Story
रमेश एक गरीब आदमी रहता है, जो ढोल बजाकर अपने परिवार का पेट पालता है। वो अपनी पत्नी रश्मि और बेटी पिंकी से बहुत प्यार करता है। वो ढोल बजाने के लिए अपने दोस्त बिरजू के साथ जंगल जंगल और गांव गांव जाता है।
एक दिन जंगल की एक हवेली में उसकी मुलाकात रागिनी नाम की लड़की से होती है, जो सफेद साड़ी में सिंदूर लगाए रहती है। आखिर कौन है ये रागिनी, रमेश से इसका क्या रिश्ता है, और क्यों वो रमेश के पीछे पड़ी रहती है। यह सब कुछ जानने के लिए हमें इस कहानी को पूरा पढ़ना होगा। – पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करिये