Kashish and Araslan Clash: The First Glimse
"ख़ामोशी से जवाब देते हैं जो,
उनके सब्र की कीमत कोई क्या समझे।"
“तेरी उल्फत में , की ये क़िस्त कशिश के ऑफिस में पहले दिन की है, जहाँ हर किसी के लिए उसकी एंट्री एक हंगामा साबित होती है। उसकी सख़्तगी और घमंड ने जहाँ स्टाफ को हैरान किया, वहीं अरसलान के सब्र और ख़ामोशी ने एक गहरी छाप छोड़ी। कहानी का असली रंग तब आता है जब कशिश और अरसलान के बीच टकराव और नफ़रत की परतें खुलने लगती हैं।
इसी ऑफिस के माहौल में एक रहस्यमयी मोहब्बत का पैगाम न्यूटन को मिलता है, जो उसे सोचने पर मजबूर करता है: ये अनजानी मोहब्बत किसकी है? क्या ये कहानी मोहब्बत और इगो के बीच सुलह का रास्ता दिखाएगी, या रिश्तों को और उलझा देगी?”
कशिश की एंट्री का असर
आज ऑफिस का महौल कुछ अलग था, कशिश जो ऑफिस आने वाली थी। सारे स्टाफ में उसी को ले के बातें हो रही थी। सभी यह सोच रहे थे कि उसके आने से कैसे बदलाव आते हैं। सभी को उसके घमंद और एटीट्यूड का पता था। कशिश कोई दोपहर तीन बजे ऑफिस में दाखिल हुई। दाखिल होते ही उसका सामना अरसलान से हुआ। वह और मोहित किसी नये प्रोजेक्ट पर डिस्कशन कर रहे थे।
“वेलकम कशिश, सर ने बताया था कि आप आज आने वाली हैं।” मोहित ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।
कशिश ने अरसलान को देखते हुए कहा “कशिश नहीं कशिश मैम बोलिए तो बेहतर होगा, मिस्टर मोहित। क्या आपको मालिक और नौकर का फर्क नहीं पता?”
फिर वह अरसलान से मुखातिब होते हुए बोली “तुमको सैलरी यहां काम करने के लिए मिलती है ना कि टहेलने की। और जब मालिक को देखो तो ज़रा रिस्पेक्ट देना सीखो! अब जाओ अपनी जगह और काम करो।”
यह कहकर कशिश एक केबिन में चली गई। सब उसकी हरकत को हैरानी से देखते रह गए। सब यही सोच रहे थे कि शमशेर खान ने तो कभी किसी से ऐसे बात नहीं की। कुछ देर बाद ऑफिस बॉय कशिश के लिए कॉफी ले के गया।
“यह क्या ले के आए हो तुम, इसको कॉफी कहते हैं? इसे जानवर भी नहीं पिएंगे जाहिल इंसान। तुम इसी वक्त यहां से निकलो। तुम्हारी नौकरी खत्म।” अंदर से कशिश की गुस्से से भारी आवाज आई। फिर केबिन से मायूस सा ऑफिस बॉय निकला। मिस्टर मोहित के पास आ के वह उनको देखने लगा। वह परेशान था।
मोहित ने तसल्ली देते हुए कहा “तुम अभी जाओ शंकर, और परेशान ना हो। मैं सर से बात करूंगा। तुम्हारी नौकरी बहाल हो जाएगी।”
शंकर उम्मीद लिए बाहर चला गया। शंकर एक अच्छा मुलाजिम था। शमशेर खान के साथ कई सालों से काम कर रहा था। पूरे ऑफिस में सन्नाटा छाया था, कि कशिश ने इंटरकॉम पे अरसलान को बुलाया।
अरसलान “जी मैम।”कशिश “हम्म, तुम कुछ काम वाम करते हो या सिर्फ यहां मुफ्त में सैलरी उठाते हो।”
अरसलान ज़ब्त के साथ जवाब देता है “मैम आप रिकॉर्ड्स देख लीजिए, आप मोहित सर से भी दरयाफ्त कर लीजिए, अगर आपको लगे कि मैं ठीक काम नहीं कर रहा।
कशिश बोली “ओह … उन सबको तुम बेवकूफ बना सकते हो मुझे नहीं, अरसलान खान। तुम में पता नहीं पापा को क्या दिखता है कि वह तुम्हें सर पे चढ़ाए हुए हैं। मेरा बस चले तो तुमको एक मिनट ना रहने दूं।” अरसलान को गुस्सा तो बहुत आया पर वह चुप रहा।
कशिश फिर बोली “एक काम करो, जा के ऊपर कैफेटेरिया से मेरे लिए एक हार्ड कॉफी ले के आओ। यहां आकर मेरा सर दर्द करने लगा है।”
"रिश्ते हैं दिलों के, नफरत से नहीं चलते,
झुकी नज़रें भी इज़्ज़त की दास्तां कहती हैं।"
अरसलान को गुस्सा तो आया पर फिर भी वह कॉफी लेने के लिए जाने लगा। “और हां, कॉफी अच्छी होनी चाहिए अरसलान।” कशिश ने कातिलाना मुस्कुराहत के साथ अरसालान को टोका।
थोड़ी देर बाद अरसालान एक कप कॉफी के साथ लौटता है।
कशिश ने फिर तंजिया लहजे में कहा “एक कप कॉफी लाने में इतना वक्त! तुम तो यहां चपरासी के काम के लायक भी नहीं हो। पता नहीं तुमको किस लिए यहां रखा गया है। खैर कॉफी अच्छी है।”
कशिश कॉफी पीते हुए अपने सिस्टम पे बिजी हो गई। अरसलान कुछ देर खड़ा रहा, फिर बोला “जी क्या अब मैं जा सकता हूं।”
कशिश ने उसे बिना देखे ही कहा “यहाँ खड़े – खड़े कोई तीर अगर ना मार रहे हो तो बेशक जाओ। वैसे भी अभी मुझे केबिन को सही करना है। सब फैला हुआ है। निकलो और मिस्टर मोहित को अंदर भेजो जरा जल्दी।”
कशिश ने मिस्टर मोहित को ऑर्डर दिया “मिस्टर मोहित मुझे जरा यह केबिन डेकोरेट करना है। किसी ढंग के डिजाइनर को बुलाएं।”
मिस्टर मोहित “जी मैम, मैं अभी कुछ अच्छे डिजाइनर से राब्ता करता हूं।”
कशिश ने केबिन में रखी फाइलों को देखते हुए कहा “हम्म, मुझे यहां का काम समझना है, इसलिए शुरू करने के लिए आप कुछ फाइलें भेजिए।”
“जी बेहतर है, मैं अभी कुछ फाइलें लाता हूं।” मिस्टर मोहित ने जवाब दिया और केबिन से बाहर चले गए।
अरसलान, अपनी सीट पे बैठा हुआ काम कर रहा था, उसका मूड सही नहीं था। सना उसके पास आके बोली, “यार यह कशिश तो किसी को इंसान ही नहीं समझती। पहले दिन ही मोहित सर को पियोन बना डाला है।”
“बेकार का घमंद है!” रोहित ने दोनो की बातों में दखल दी।
"मुझे आईना दिखाने की हिम्मत तो कर,
पर याद रहे, ये गुरूर मेरा नहीं, वक्त का असर है।"
“भाई, पैसा बोलता है। जब सब कुछ आसानी से मिलता है तब ज्यादातर ऐसा ही होता है।” राज भी शामिल हो गया।
तभी सिमरन वहां आई और बोली “तुम लोगों को आज कॉफी या चाय नहीं पीनी जो यहां बैठे हो। चलो कैफेटेरिया।” और फिर सब कैफेटेरिया की तरफ चल पड़े।
थोड़ी देर बाद जब सब वापस लौटे तो कशिश ने फिर अरसलान को बुलाया। अरसलान केबिन में दखिल हुआ और बोला “जी मैम”
कशिश ने फिर उसे देखे बगैर कहा “हम्म, अगर कैफेटेरिया की तफरी खत्म हो गई हो तो कुछ काम भी कर लो।”
अरसलान बोला “मैम, मैं ब्रेक पे गया था। हम सभी शाम को ब्रेक लेते हैं।”
कशिश बोली “ओह, सभी लेते हैं ब्रेक। पर वो काम करते हैं। टाइम पास नहीं करते तुम्हारी तरह।”
अरसलान फिर ज़ब्त कर गया।
“हम्म, अच्छा एक काम करो। मैं अब जा रही हूं, जरा ये फाइल उठाओ और मेरी कार में रखवाओ।” कशिश ने उठते हुए कहा।
अरसलान बहुत मुश्किल से अपने आपको संभाल रहा था। आज तक कभी किसी ने उसके साथ ऐसा बरताव नहीं किया था।
ऑफिस में सब अरसलान को फाइल्स उठाए कशिश के पीछे चलते हुए देख रहे थे। कोई कशिश के रवैये से खुश नहीं था।
कार के पास पहुंच के कशिश बोली “मैं अपना मोबाइल ऊपर भूल गई हूं, जरा उसे ले के आना जल्दी से।”
अरसलान फाइल्स कार में रखकर वापस चला गया फोन लेने के लिए। कुछ देर बाद वह फोन के साथ लौटा।
कशिश कार में बैठे हुए बोली “हम्म… चलो तुमने कुछ तो काम किया आज। एक बात का ध्यान रखना अरसलान, अब इस ऑफिस में हमारी तरह से काम होगा। इसलिए काम की आदत डाल लो, खुद भी और अपने बाकी के चमचों को भी समझा दो। वरना ऑफिस से बाहर करने में मुझे वक्त नहीं लगेगा, तुम्हारे जैसे दो कौड़ी के इंसान को।”
फिर कशिश वहां से चली गई। अरसलान गुस्से में तो था, पर अपने जप्त को काबू में रखना उसे आता था।
"ख़ामोशी से जवाब देते हैं जो,
उनके सब्र की कीमत कोई क्या समझे।"
फकत आपकी अंजान मोहब्बत
अगले दिन ऑफिस में न्यूटन अपने वर्कस्टेशन पे बैठा काम में मसरूफ था। तभी एक प्योन उसके पास आ के बोला, “सर आपके लिए यह पैकेट आया है।”
न्यूटन ने पूछा “कौन दे गया है यह पैकेट?” “सर, एक लड़की आई थी। कहा कि आपकी जान है।” प्योन ने जवाब दिया।
यह कहकर वह वहां से चला गया। न्यूटन सोचने लगा कि उसे कौन यह पैकेट दे गया। उसके सारे दोस्त तो यही हैं। न्यूटन ने पैकेट खोला। एक खूबसूरत से बॉक्स में एक ताजा गुलाब रखा था। उसके साथ एक कार्ड था। न्यूटन ने कार्ड को लिफाफे से निकाला। बहुत ही खूबसूरत कार्ड था अंदर। कार्ड के अंदर खूबसूरती से कुछ लिखा हुआ था।
“साहिल,
आप मुझे नहीं जानते, पर मैं रोज आपको फॉलो करती हूं। असल में आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। इसलिए रोज आपको कॉलेज से ऑफिस आते हुए फॉलो करती हूं। कॉलेज की लाइब्रेरी में भी जब आप किताबों में मसरूफ़ रहते हैं, तब मैं आपको देखने में मसरूफ़ रहती हूं। मुझे आपका हंसना, बात करना बहुत अच्छा लगता है। आज जो महरून शर्ट आपने पहनी है वह आप पर अच्छी लग रही है। पर आप काले रंग की शर्ट में ज़्यादा अच्छे लगते हैं।
जिस दिन मैंने आपको पहली बार देखा था, उसी वक्त मैंने अपनी सांसें रुकती हुई महसूस की। शायद मुझे आपसे मोहब्बत हो गई है। आप सोच रहे होंगे कि यह क्या बात हुई, या जान ना पहचान तू मेरा मेहमान वाली बात है। पर यक़ीन कीजिए मोहब्बत का कोई रूल नहीं होता, कब किससे हो जाए पता नहीं चलता। जल्द ही आपसे दोबारा राब्ता करूंगी।
खुदा हाफिज़! फ़क़त आपकी अंजान मोहब्बत
न्यूटन अजीब कश्मोकश में था। वह सोच रहा था कि यह कौन लड़की एकदम से उसे चाहने लगी। उसे रोज़ फॉलो करती है और ऊपर से उसे यह भी पता है कि वह आज क्या पहने हुए है। वह सोच ही रहा था कि तभी, कशिश ऑफिस में दाखिल हुई।
"एक अजनबी ख्वाब सा लगता है,
कहीं दूर से आया पैगाम सा लगता है।
इश्क़ की राहों में जो उलझा,
हर ख़ुशी अधूरी तमाम सा लगता है।"
“मोहित जी, मेरे केबिन के डेकोरेशन का क्या स्टेटस है?” आते ही उसने मोहित से पूछा।
मोहित ने जवाब दिया “जी मैम, काम शुरू हो गया है। आपको डिजाइन के सैंपल मैंने ईमेल कर दिए हैं। आप पसंद कर लिजिये।”
“कौन सा केबिन रेनोवेट हो रहा है यहां मोहित?” शमशेर खान ने ऑफिस में दाखिल होते हुए पूछा।
“सर, कशिश मैम का!” मोहित ने जवाब दिया।
हम्मम पर इतनी जल्दी क्या है, अभी कशिश को एक अलग केबिन देना बेकार है। अभी इसको काम तो सीख लेने दो। जब अलग केबिन के लायक होगी तो अलग केबिन मिल जाएगा।”
“पर पापा…” कशिश हैरान थी शमशेर खान की बात पे।
“देखो कशिश, तुम अभी यहां बिल्कुल नई हो, पहले यहां काम सीखो सबके साथ मिलकर और अपने आपको साबित करो फिर हम कोई बात करेंगे।” शमशेर खान ने मुस्कुराते हुए कहा।
“पापा हम मालिक हैं यहां के, अब क्या हमको मुलाजिमों के साथ काम सीखना पड़ेगा। ये सब मुलाजिम है हमारे, ये हमारी तौहीन है।” कशिश गुस्से और गुरूर से बोली।
“अपनी आवाज़ और लहजे को काबू में रखो। लोगों की इज्जत करना सीखो। ये सब लोग मेरे अपने हैं। मैंने इन्हें हमेशा अपने परिवार का हिस्सा समझा है। अपने दिमाग में एक बात बिठा लो, तुम यहां सीखने आई हो। इसलिए मेरी नज़र में तुम में और बाकी सब में कोई फर्क नहीं है।” शमशेर खान ने सख्त लहजे में सबको हैरान कर दिया।
सब लोग सकते में आ गए। शमशेर खान फिर बोले “मोहित एक जरूरी मीटिंग करनी है। अरसलान कहां है। उसे कहो कि अपने दोस्तों के साथ तीस मिनट में कॉन्फ्रेंस रूम में मिले। कशिश आप भी मीटिंग में शामिल होंगी।”
सब सही वक्त पर मीटिंग रूम में बैठे थे। शमशेर खान और मोहित कुछ देर बात करते रहे, सब खामोशी से बैठे थे। कुछ देर बाद शमशेर खान सबसे मुखातिब हुए। “हाल ही में हमारी कंपनी को एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला है। प्रोजेक्ट काफ़ी बड़ा है और उसमे काफ़ी लोगों की ज़रूरत है। प्रोजेक्ट शुरू होने में अभी वक्त है, लेकिन हमने मोहित के साथ मिलकर यह फैसला किया है कि हम लोग अपनी तैयारी जल्द ही कर देंगे।” इतना कह के शमशेर खान चुप हो गए। उन्होंने मोहित को इशारा किया।
मोहित बोला “जी सर मैं बाकी समझा देता हूं।” फिर वह बाकी लोगों की तरफ मुखातिब होते हुए बोला
“जैसा कि सर ने बताया कि प्रोजेक्ट काफ़ी बड़ा है और मैन पॉवर भी काफ़ी चाहिए। इसलिए हमने कुछ अहम फैसले लिए हैं। हमारी ट्रेनी टीम जिसमे आप सब लोग हैं, हमने आप लोगों की अभी तक की प्रोग्रेस को देखते हुए, फैसला लिया है कि इस प्रोजेक्ट के डिजाइन का पूरा काम आप लोगों को दिया जाएगा। मैं आपकी हेल्प के लिए हमेशा रहूंगा, पर सर चाहते हैं कि आप लोग पूरे प्रोजेक्ट को एक्जीक्यूट करें। यह एक काफ़ी बड़ा प्रोजेक्ट है, और आप लोग पर रिस्पांसिबिलिटी बहुत होंगी। हम सबको आप सबसे बहुत उम्मीदें हैं। इसलिए आप लोग अभी से तैयारी में लग जाएं।”
सब लोग एक दूसरे को देखने लगे, क्योंकि किसी ने नहीं सोचा था कि उन्हें इतनी जल्दी कोई इतनी बड़ी जिम्मेदारी का काम दे देगा।
उनके चेहरे देखकर शमशेर खान बोले, “मुझे पता है, तुम सब घबरा रहे होगे, पर मैंने और मोहित ने काफी सोच समझ के यह फैसला लिया है। हमको तुम लोगो की काबिलियत पे यकीन है। एक बात याद रखना, जिंदगी में हर चीज पहली बार होती है। यह आपका पहला बड़ा काम है। बस आप लोग अपना बेस्ट करिए। हमें यकीन है कि आप सब कामयाब होंगे। बाकी मोहित है, और दूसरे लोग हैं। कोई दिक्कत नहीं होगी।”
“जी सर, हम अपना बेस्ट देंगे, यकीन कीजिए।” रोहित बोला, तो सबने अपनी रजामंदी दिखाई।
“ओके चलो काम पे लग जाओ। अपने सेमेस्टर एग्जाम्स के साथ काम करिए, जहां तक हमको लगता है, प्रोजेक्ट शुरू होने में अभी तीन से चार मंथ लगेंगे। उस प्रोजेक्ट को हेड सिमरन करेगी। बाकी सब इसके साथ कॉर्डिनेट करेंगे। “मोहित ने मुस्कुराते हुए कहा।
फिर शमशेर खान बोले “एक जरूरी बात, आप सबके सेमेस्टर एग्जाम्स के बाद हम आप सबको फुल टाइम हायर करने की सोच रहे हैं। तो यह प्रोजेक्ट आपकी परमानेंट जॉब के लिए एक एग्जाम है। आप अपने को प्रूव कीजिए, और एक बेहतर मुस्तक़बिल की शुरूआत कीजिए हमारे साथ।”
सब बहुत खुश थे। और एक दूसरे को देख रहे थे। कशिश को लेकिन खुशी नहीं थी। वह अपने पापा के फैसले से ना खुश थी। क्योंकि उसे अरसलान और उसके दोस्त कतई पसंद नहीं थे।
तभी शमशेर खान बोले “कशिश, हम चाहते हैं कि आप भी इस प्रोजेक्ट में काम करें। इसमें आपको काफ़ी कुछ सीखने को मिलेगा। कल से आप सिमरन को रिपोर्ट करेंगी।”
कशिश कुछ बोलती उससे पहले ही मिस्टर मोहित बोले “अरसलान, मैं सोच रहा हूं कि कशिश की प्रोग्रेस का तुम और सिमरन खास ख्याल रखो।”
“हां बिल्कुल सही है मोहित, मैं खुद ऐसा सोच रहा था। अरसलान और सिमरन आप दोनों को यह काम भी देखना है।” शमशेर खान ने मोहित की राय पे मोहर लगा दी।
“जी सर, ऐसा ही होगा” सिमरन ने जवाब दिया। अरसलान ने भी हामी भर दी। कशिश का खून खौल रहा था। उसको इस वक्त मोहित और शमशेर खान पर गुस्सा आ रहा था। अरसलान जिसकी वह शक्ल भी नहीं देखना चाहती, उसे अब उससे ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी।
"तेरे गुरूर ने तुझसे ही सब छीन लिया,
ताजमहल भी तब तक है, जब तक इश्क़ जिंदा।"
कुछ देर बाद कैफेटेरिया में, राज और अरसलान बैठे बात कर रहे थे। न्यूटन परेशान हालत में उनके पास आया और बोला “यार बाकी सब कहां हैं! मुझे कुछ जरूरी बात करनी है!”
राज बोला “क्या हुआ न्यूटन, सना और हिना ऐज़ यूजुअल सिमरन के साथ हैं। और रोहित वह रहा काउंटर पे खाने का ऑर्डर दे रहा है। भाई हुआ क्या परेशान लग रहा है!”
“भाई परेशानी बड़ी है, पता नहीं कहां से एक लड़की मुझे पसंद करने लगी है। वह मेरा पीछा करती है। उसे मेरे बारे में सब पता है। इवेन मैं क्या पहन कर ऑफिस आया हूं, वह भी! यार वह कॉलेज में भी मुझे फॉलो कर रही है।” न्यूटन ने अपनी परेशानी बताई।
उसकी बात सुनकर राज हंसने लगा। अरसलान भी मुस्कुराने लगा। फिर राज अपने को रोक कर बोला “यार अजीब बंदे हो, एक लड़की तुमको फॉलो कर रही है और तुम ऐसे घबरा रहे हो जैसे कोई तुम्हारा कत्ल करने के लिए तुम्हारे पीछे लगा हो।”
न्यूटन को दोनों पे गुस्सा आया और बोला “यार तुम दोनों को पता है मुझे इन फलतू की बातों में दिलचस्पी नहीं है। मैं नहीं चाहता कि फिर मुझे वो सब झेलना पड़े जो मैं पहले भी झेल चुका हूं।”
अब राज और अरसलान सीरियस हो गए। राज बोला “भाई माफ करदे, हमको पता है तेरे बारे में, पर तू सिर्फ़ एक रिजेक्शन को ले के सारी जिंदगी नहीं बिता सकता।”
“हां न्यूटन, जो हुआ उसे भूल जाओ। वह लड़की तुझको डिसर्व ही नहीं करती थी। तू क्यों हमेशा उसे याद करता है।” अरसलान ने न्यूटन को समझाते हुए कहा।
अब तक रोहित भी आ गया था। वह बोला “भाई, हो सकता है कि यह लड़की सच में तुमको पसंद करती हो। भाई जिंदगी ने तुमको मौका दिया है। भाई लड़की खुद तेरे को सामने से आ के इजहार कर रही है।”
“और इसकी क्या गारंटी है कि वह जो कह रही है वह सच है। क्या पता ये सब एक भद्दा मज़ाक हो, भाई अब मेरे अंदर इतनी ताकत नहीं है कि मैं दोबारा से सब कुछ झेल पाऊं।” न्यूटन ने परेशान होते हुए अपनी बात कही।
“यार प्यार में गारंटी नहीं होती, कोई शॉपिंग करने निकला है क्या तू।” राज ने फिर न्यूटन को समझाया।
“यार तुम लोगों को समझ क्यों नहीं आ रहा, भाई तुम खुद सोचो, मुझे कोई क्यों पसंद करने लगेगा। क्या खास है मुझमें। ये सब एक फरेब है, और अब मैं फरेब में नहीं फसूंगा।” न्यूटन ने कहा।
“हां तो अब तुम क्या करोगे? पता नहीं क्या इश्यू हो गया है तुमको अपने आपसे। अच्छे खासे इंसान हो। शक्ल सूरत से भी, किरदार से भी, एक मतलबी लड़की ने रिजेक्ट क्या किया, अब तुमको लग रहा है कि सब तुम्हारे साथ ऐसा ही करेंगे। “रोहित ने गुस्से से कहा।
न्यूटन को गुस्सा आ गया इस बात पे और वह उठकर चला गया। अरसलान और राज उसको रोकते रहे पर वह नहीं रुका।
"एक गुलाब से आई पहचान,
दिल का हाल लिख गया कोई अनजान।"
"मुझे देखता है वो छुप-छुपकर कहीं से,
पर मोहब्बत की ये खुशबू छुपाई नहीं जाती।"
राज और सिमरन की कश्मकश
तभी वहां सना और हिना भी पहुंची। वो न्यूटन को गुस्से से जाते हुए देख चुकी थीं। हिना बोली “आज क्या किया है तुम लोगों ने। न्यूटन को फिर परेशान किया है क्या।” उन दोनों को लगा था कि रोज़ वाली खिंचाई है जो अक्सर उन लोगों में होती रहती थी।
“नहीं यार, इश्यू दूसरा है। न्यूटन को एक लड़की पसंद करती है।” फिर अरसलान सारी बात बताता चला गया। सना बोली “और न्यूटन अभी तक फ़िज़ा वाली बात को भूला नहीं है। सच में कुछ समझ नहीं आता कि क्या किया जाए न्यूटन का। न्यूटन उस बात को दिल पे लगा के बैठा है। उसे लगता है कि वह किसी लड़की को डिजर्व ही नहीं करता। “कुछ चीजो को वक्त पर छोड़ देनी चाहिए। वक्त में बड़ी ताकत होती है। बड़ी से बड़ी चोट भर जाती है।” सिमरन ने आते हुए कहा।
देखो मुझे लगता है कि समस्या को न्यूटन को खुद हैंडल करने दो, वह समझदार है। मुझे पता है कि तुम सबको उसकी फ़िक्र है। पर मुझे लगता है कि न्यूटन के अंदर जो घुटन है उसे वह खुद ही मिटा सकता है। सिमरन ने अपनी राय रखी।
“शायद यही सही रहेगा। आप सही कह रही हैं।” अरसलान ने कहा। बाकी लोग भी सिमरन की राय पे मुतमयीन थे। “सिमरन मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। फ्री हो अभी।” राज ने सिमरन से पूछा।
“आप क्या बात करोगे मिस्टर राज शेखर वर्मा, बात तो मुझे तुमसे करनी है। एक महीने से तुमसे कह रही हूं कि डेट पे ले जाओ, डेट पे ले जाओ। टाल रहे हो, धोकेबाज़ कहीं के। अभी यह हाल है तो आगे क्या होगा। सिमरन ने गुस्से से कहा, तो सब हंसने लगे।
“हां यार राज यह गलत बात है, तू हमारे साथ घूमता रहता है। कभी मूवी कभी डिनर, पर सिमरन को क्यों नहीं ले जाता।” रोहित ने साफ झूठ बोला। अरसलान कहां पीछे रहने वाला था “हां सिमरन, आज सुबह ही मुझसे कह रहा था कि चलो आज शाम कोई न्यू मूवी देखते हैं।”
“हां-हां, बिल्कुल जाओ, मेरी क्या ज़रूरत है। मैं ही पागल हूं ना जो तुमसे दिल लगा बैठी।” सिमरन फिर गुस्से से बोली। राज हैरान परेशान होते हुए बोला “अबे कमीनों मैंने कब कहा, कब मैं तुम लोगों के साथ घूमने गया हूं पिछले एक महिने में। यहां सांस लेने का टाइम नहीं है और तुम लोग मुझको मरवाने पे तुले हुए हो।”
“उनपे गुस्सा ना उतारो मुझसे बात करो। मुझे पक्का पता है कि ये सच ही बोले रहे हैं। वो तो खुद तुमको समझा रहे होंगे कि कभी मुझे भी कहीं बाहर ले जाओ। “सिमरन ने फिर कहा। “हां राज यह बिल्कुल सही बात नहीं है, हमको तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।” अब की बार सना ने धावा बोला।
हिना भी अब राज को घूर रही थी। राज हैरान था, कि यह हो क्या रहा है। तभी रोहित हंसने लगा, उसके साथ सभी हंसने लगे। हंसते – हंसते बोला “बस यार और कंट्रोल नहीं होता, इसकी ऐसी हालत देखकर मुझसे नहीं रहा जाता। बस करो भाई। और खिंचाई ना करो।”
राज फिर हैरान था। “यह हो क्या रहा है, कोई मुझको बताएगा।” “कुछ खास नहीं, बस हम सब मिलकर तुम्हारी खिंचाई कर रहे थे।” सिमरन ने हंसते हुए कहा।
“तो ये सब तुम लोग जानबूझ के कर रहे थे।” राज ने थोड़ी नाराज़गी से कहा।” सबने सिर्फ मुस्कुराते हुए हामी भरी। “यह गलत किया आज तुम सब लोगों ने, ऐसा मजाक! यह ठीक नहीं है।” राज के चेहरे पे नाराजगी साफ दिख रही थी। सब चुप हो गए। सिमरन ने उसे समझाना चाहा, पर उसे मना करके वह वहां से चला गया। सब लोग एक दूसरे को देखते रह गए।
Jalal Al Din Rumi: The Poet Of Love And Spirituality
फारसी साहित्य के महान लेखक जलालुद्दीन रूमी ने अपनी गजल और कविताओं से जो पहचान बनाई है, उसे मिटा पाना नामुमकिन है। यह महान मुस्लिम कवि, सूफी संत, इस्लामी विद्वान, धर्म विज्ञानी और न्यायवादी थे। वैसे तो इन्होंने हजारों कविताएं और गजलें लिखी हैं। लेकिन सबसे प्रसिद्ध काव्यात्मक कृति मसनवी है।
इस कृति में लगभग 50000 छंद हैं, जिसमें इन्होंने इंसानी जिंदगी को अच्छे से समझाया है। इनके द्वारा की गई रचनाओं से लाखों लोगों को जीने की नहीं राह मिली है। इन्होंने प्रेमियों के लिए भी कई गजल और कविताएं लिखी हैं। इसके अलावा यह एक समाजवादी इंसान भी थे। इन्होंने हमेशा समाज की भलाई के लिए कई काम भी किए हैं। इस पोस्ट के जरिए हम आपको जलालुद्दीन रूमी का जीवन परिचय (Jalal Al Din Rumi Biography) बताने वाले हैं।