My Name Is Kashish Kist 02 An Evening Full of Revenge
मेरा नाम कशिश है!..इन्तिक़ाम की एक शाम!
कशिश, एक घमंडी और दबंग लड़की, अरसलान से बदला लेने पर उतारू है क्योंकि वह उसे अपने गुरूर का दुश्मन मानती है। एक हादसे में कशिश अपनी नफरत की हदें पार कर जाती है और अरसलान पर हमला करती है। लेकिन अरसलान अपनी सूझबूझ से खुद को बचा लेता है, जबकि कशिश को उसकी गलतियों का एहसास होने लगता है।
अरसलान, हालांकि चोटिल है, लेकिन उसकी समझ और धैर्य उसे ऊंचा साबित करते हैं। वह बदले के बजाय, कशिश के खौफ़ को उसकी सज़ा बना देता है। उनके बीच की बातचीत में गहरी भावनाएं झलकती हैं, जहां नफरत और मोहब्बत के अनजाने से रंग धीरे-धीरे उभरने लगते हैं।
ग़ैर मुतवका मोड़!
कुछ दिन ऐसे ही मज़े में बीते। सब अच्छा चल रहा था। अरसलान और उसके दोस्त की स्टडीज, उसके बाद अरसलान और न्यूटन की जॉब सब कुछ अच्छा बीत रहा था। कुल मिला कर चंडाल चौकड़ी की जम रही थी। लेकिन ये सब ऐसे नहीं रहने वाला था। उस दिन सना और हिना, दोनो कैंटीन में पहुंची तो परेशान थीं। सब ने पूछा कि क्या हुआ? तो सना रोने लगी। यह देख अरसलान, राज, रोहित और न्यूटन उसे चुप कराने लगे और हिना से पूछने लगे कि क्या हुआ?
हिना बोली “मैं और सना आज मार्केट से आ रहे थे। रास्ते में जब हम यूनिवर्सिटी कैंपस के लिए मुड़े तो वह जो खाली रोड है उसपर ज़ैन के फालतू दोस्त खड़े थे। उन लोगों ने हम लोगों पर फब्तियां कसी और हम दोनो को स्कूटी से गिरा भी दिया। फिर उसमे से एक ने तो मेरे बाल भी खींचे। उस जगह को अड्डा बना लिया है ज़ैन और उसके लफंगे दोस्तो ने।”
ये कह के हिना भी रुसवा सी हो गई। अरसलान और उसके दोस्तों का खून खौल गया। अरसलान वहां से उठकर चला गया, पीछे-पीछे राज और बाकी सब भी थे। अरसलान ने कहा, “चलो आज ज़ैन की हीरो गिरी खत्म कर ही देते हैं।” इतना कह कर अरसलान तेज कदमो से यूनिवर्सिटी कैंपस से चला गया। पीछे पीछे बाकी भी हो लिए। थोड़ी दूर पर पेड़ के नीचे कुछ लड़के खड़े थे।
मिट्टी के शेर और असली शेर!
अरसलान और बाकी उनके पास पहुंचे, और बोले “क्या आप लोगों के अंदर शराफत बिल्कुल खत्म हो गई है जो आप लोग आने जाने वाली लड़कियों से इतनी बदसलूकी करते हैं?”
उनमे से एक बोला “हमारा दिल, हम कुछ भी करें। तेरे को लेक्चर देने को नहीं बोला। तू जानता नहीं क्या ज़ैन को। हम उसके दोस्त हैं। किसी में इतना दम नहीं जो हमसे ऊंची आवाज में बात करे, चल जा किस लिए अपनी शामत बुला रहा है। “
अरसलान बोला “पता है ज़ैन नाम का कार्टून कौन है, ज़रा ज़ैन से भी पूछो कि उसका हाथ कैसा है जो मैंने मोड़ा था। तुम सब उस कार्टून का दम भर रहे हो, जिसमे इतना दम नहीं कि अकेले किसी से आंख मिलाकर बात कर सके।”
इस पर एक दसरा लड़का बोला “ओह तो तू है वह नया हीरो! चल पता तो चले कितना दम है तेरे में। ज़ैन ने बताया था कि तेरी क्लास लेनी है, चल आज देखते हैं।” इतना कहकर उस लड़के ने चाकू निकाला और अरसलान पर हमला किया।
अरसलान ने उसके हाथ को बीच में ही रोका, और उसके गले को एक हाथ से पकड़ लिया। दोनो हाथो का ज़ोर लगाने लगा, एक कलाई पर और दूसरा गर्दन पर। अरसलान की गिरफ्त ज़बरदस्त थी। वह लड़का उसे छुड़ाने लगा। बाकी साथी आगे बढ़े तो राज, रोहित और न्यूटन भी पीछे ना रहे।
एक जोरदार लड़ाई शुरू हो गई। चाकू, ब्लेड, हॉकी सब इस्तेमाल हुए, लेकिन काम ना आए। मिट्टी के शेर असली शेरों के आगे बिखर गए, कुछ देर बाद वो लड़के जमीन सूंघ रहे थे। उनकी हॉकी स्टिक उन पर ही तोड़ डाली गई।
अरसलान बोला, “ये जो चाकू-छुरियां तुम दिखाकर हमको डरा रहे थे, एक गलती कर गए। अभी तक तुम लोगों का सामना मर्दों से नहीं हुआ। ये चाकू-छुरियां कोई भी रख लेता है, पर उसे किसी मर्द के आगे चलाना, तुम जैसे गिरे हुए लोगों के बस का नहीं। देख लो अपना हाल।”
राज बोला “चलो चला जाए। कूड़ा उठाने के लिए अब क्या रुकना।”
अरसलान बोला “रुको राज, वैसे ही इन लोगों की कोई इज्जत नहीं है, पर इनको पता चलना चाहिए की लड़की की इज्जत क्या होती है जो ये लोग सारे आम रोज उतारने की कोशिश करते हैं।”
रोहित बोला “अब क्या करना है? इतनी मार तो शायद इनके मां-बाप ने भी नहीं मारी होगी।”
अरसलान बोला “देखते जाओ, पर पहले इन नमूनों को बांध दो एक साथ, इस पेड़ से, जिसके नीचे ये अपना अड्डा बनाए हुए हैं।”
राज बोला “रस्सी कहाँ से लाए?”
न्यूटन बोला “इनकी शर्ट्स जो फट गई है, किस दिन काम आएगी?”
फिर क्या था आनान फानन में वो लड़के पेड़ से बंधे थे। फिर अरसलान ने उनके चाकू को उठाया, और उनके पास जाकर बोला “इसका एक इस्तेमाल मैं तुम्हें दिखाता हूं।”
फिर अरसलान ने उसी चाकू से उनका सर गंजा करना शुरू किया। उसे देख बाकी भी जुट गए। कुछ देर के बाद सब के सर गंजे थे और जिनकी मूंछें थीं, वो आधी थीं।
न्यूटन बोला “यार जरा सा मेकअप कर देते हैं।” फिर वो उन्हीं की बाइक्स का ग्रीस निकालकर, उनके चेहरे पर मलने लगा।
तभी वहां हिना और सना भी कुछ दूसरे स्टूडेंट्स के साथ आ गईं। उन लफंगों का ये हाल देखकर सब हसने लगे। तबी वहां से ज़ैन और कशिश कार से गुज़रे। ये देख वो लड़के चिल्लाने लगे “ज़ैन हमें छुड़ाव।” पर ज़ैन इतने सारे लोगों को देख वहां से चला गया। कशिश अरसलान को घूरती रही। उसका खूबसूरत और गुलाबी चेहरा और लाल होता चला गया।
ये देख अरसलान बोला “लो देख लो जिसका तुम दम भर रहे थे वो तो खुद भाग गया। ये सुन बाकी सब हसने लगे।” फिर अरसलान और बाकी लोग भी वापस आ गए।
दोस्ती और जज़्बात
थोड़ी के देर बाद वो सब एक साथ कैंटीन में बैठे हुए थे। सना ने अरसलान और सबसे कहा, आज मुझे तुम सबकी दोस्ती पर बहुत ज़्यादा फख्र महसूस हो रहा है। अरसलान, राज, रोहित और न्यूटन मैं तुम लोगों का किस मुंह से शुक्रिया अदा करूं कह नहीं सकती। आज तुम लोगों ने जो हमारे लिए किया है, उसका बदला हम दोनों चाहकर भी नहीं पूरा कर सकते।
हिना बोली हम दोनों के लिए तुम सब उन लफंगो से भिड़ गए। उन्हें सबक सिखाया। तुम्हें थोड़ी भी अपनी जान तक की फ़िक्र ना थी, थैंक्स गायिज़। थैंक्स अ लॉट। कोई और होता तो कभी हमारे लिए इतना नहीं करता, जितना तुम लोगों ने हमारे लिए किया है। इतना कहते ही उन दोनो की आंखें आंसुओं से नम होती चली गईं, और गला रुंध गया। और दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगीं।
इतने में अरसलान बोला “वह यार कमाल करती हो तुम दोनों भी। तुम लोगों ने ही उस दिन मुझसे कहा था कि हम लोगों के बीच कभी भी कोई थैंक्स या सॉरी जैसे शब्द इस्तेमाल नहीं होंगे। और आज तुम लोग ही ऐसी बातें कर रही हो। यह तो गलत बात है न। तुम दोनों थैंक्स बोलकर हमारी दोस्ती के रूल्स तोड़ रही हो। और हम लोगों ने कोई भी ऐसा बड़ा काम तो किया नहीं, बस वही किया जो सही था। और आगे भी वही करेगें जो सही रहेगा। इसलिए तुम दोनों कभी भी खुद को अकेला नहीं समझना, ठीक है?।”
हिना और सना मुस्कुराते हुए बोली “ठीक है, अगली बार से ऐसा कभी नहीं होगा”।
रोहित बोला “हां यार, और मेरी बॉडी भी तो काफी टाइम से जंग खा रही थी, कल सपने में मेरे अर्नोल्ड अंकल और सलमान भाई आए थे और कहने लगे कि यह बॉडी किसी काम भी ले आ। वो दोनों मुझसे बहुत ज़्यादा नराज थे। अब मैंने अपनी बॉडी का सही यूज़ किया है, इसी बहाने अब वो भी खुश हो गए होंगे।”
न्यूटन बोला “हां इसी बहाने मुझे भी थोड़ा हीरो गिरी करने का मौका मिल गया, वरना बार-बार ऐसा मौका कहां मिलता है, है न राज।” राज ने भी हां में हां में हां मिलाई।
फिर राज बोला “यार आज हमने तुम लोगों का बदला लिया है। अगर कभी भी कुछ लड़कियां हम जैसे स्मार्ट बंदो को छेड़ें तो तुम लोग भी बदला उतार देना।” इस पर सब लोग खुशी से खिलखिला कर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे।
तभी वहां पर गुस्से में कशिश पहुंची। और गुर्रा कर बोली “अरसलान खान, तुमने और तुम्हारे दोस्तों ने आज जो किया है, वह बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया। यह तुम लोगों ने खुले आम हम लोगों से लड़ाई मोल ले ली है। अब जल्द ही तुम सब इसका अंजाम भुगतने के लिए इंतजार करो। तुम अपने आपको बहुत स्मार्ट समझते हो न, तुम्हें लगता है कि तुम अपनी स्मार्टनेस से सब कुछ हासिल कर लोगे तो यह तुम्हारी गलतफहमी है। तुम्हारा सारा घमंड हम एक बार में ही चूर चूर कर देंगे, इतना याद रखना तुम।”
अरसलान बोला “मोहतरमा, हमने जो भी किया वह बिल्कुल सही किया, कोई भी शरीफ इंसान होता तो वह भी वही करता, जो हम लोगों ने किया। और रही बात अंजाम की, तो किसके भरोसे पर आप इतना दम भर रही हैं, उस कार्टून के भरोसे पर। जिसमें इतनी हिम्मत तक नहीं कि वह यहां हमारे पास खुद आ पाता, उल्टा आपको भेज दिया, हमसे भिड़ने के लिए। हमें धमकी देने का कोई फायदा नहीं है, जाओ आप अपने कार्टून को समझाओ जिसने गलत काम किया है।”
कशिश ने फिर से दहाड़ लगाई “हमको किसी के सहारे की जरूरत नहीं है, हम खुद तुम्हारी इस हरकत का मुंह तोड़ जवाब देंगे। तुम तो बस अब इंतजार करो, अरसलान, इंतजार करो।” फिर वह वहां से पैर पटकती हुई चली गई। अरसलान उसे मस्कुराते हुए देखता रहा।
इंसान की शक्सियत और किरदार
अगला दिन तूफ़ान लाया था। अरसलान, राज, रोहित और न्यूटन प्रिंसिपल ऑफिस में खड़े थे। साथ में थे शमशेर खान, कशिश के वालिद और कॉलेज के ट्रस्टी और सबसे बड़े डोनर। उनका कहा तो प्रिंसिपल भी मानते थे। साथ में कशिश और ज़ैन भी खड़े थे।
प्रिंसिपल बोले “शर्म आती है मुझे जो, मेरे यहां ऐसे लड़के पढ़ते हैं जो पढ़ाई में कम और लड़ाई में आगे रहते हैं। कल आप लोगों ने गुंडागर्दी की सारी हदें पार कर डाली। अच्छे भले लड़कों को मारा-पीटा और उसके बाद, जाने क्या-क्या।”
अरसलान बोला “पर सर ….” लेकिन उसकी बात बीच में काट दी, शमशेर खान ने “चुप रहिए, सफाई देने की जरूर नहीं है। ज़ैन और कशिश ने सारी बात बता दी है। आप लोगों ने ज़ाती दुश्मनी की वजह से ज़ैन के साथियों की पिटाई की है। और आपने यही ज़ैन को भी कहा है।”
“पर सर यह एकदम गलत है।” सब एक साथ बोले, तो शमशेर खान बोले, ”आप सबको कोई सफाई देने की जरूरत नहीं है, प्रिंसिपल साहब आप इन लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दीजिए। ताकि अगली बार ये कोई ऐसी हरकत करने से पहले सोचें।”
इधर ज़ैन और कशिश मुस्का रहे थे। “सजा किसको मिलनी चाहिए और किसको नहीं, यह फैसला अगर थोड़ी देर में हो तो बेहतर होगा। पहले जरा असल बात भी तो पता चले सबको।” यह आवाज़ रूबी की थी। साथ में सना और हिना भी खड़ी थीं।
प्रिंसिपल बोले “मिस रूबी आप कहना क्या चाहती हैं?”
“यही कि यहां जो कुछ भी बता दिया है, एक झूठी कहानी बना कर पेश की गई है। कैंपस आने वाली उस रोड पर रोज़ लड़कियों के साथ बदतमीजी हो रही थी। इसकी खबर जब आपसे की गई तो आपने कहा, कि यह कैंपस के बाहर का मामला है। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। कल वाली बात भी उसी से जुड़ी है, सना और हिना को कुछ लड़कों ने छेड़ा, बाल खींचे। इसपर इनके दोस्तों ने और कुछ दूसरे स्टूडेंट्स ने मिलकर उन लड़कों की पिटाई करी। उस ग्रुप में ज़ैन के दोस्त भी थे।
इसमें गलत क्या हुआ। खैर मुद्दे की बात यह है कि मैंने इसकी रिपोर्ट पुलिस में कर दी थी। जब पुलिस ने उन लड़कों को पकड़ा, तो उनमें से दो लड़के छंटे हुए बदमाश निकले, जिसमें से एक पर तो मर्डर का भी केस चल रहा है। अब ज़रा ज़ैन से यह पूछिए कि ऐसे लोगों से उनका क्या वास्ता है। वह इनके साथ क्या करते हैं?”
प्रिंसिपल बोले “जवाब दो ज़ैन। क्या यह बात सच है?” अब ज़ैन और कशिश को काटो तो खून नहीं। बुरी तरह घबरा गए दोनों।
“ये जवाब नहीं देंगे सर। इनके पास जवाब हैं ही नहीं। इनसे अब जवाब तलब कोई और करेगा।” मिस्टर शर्मा ने अंदर आते हुए कहा। प्रिंसिपल बोले “क्या कह रहे हैं आप मिस्टर शर्मा। खुल कर बताइए।”
मिस्टर शर्मा बोले “सर बाहर एक पुलिस इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबल खड़े हैं, ज़ैन के लिए। पुलिस लॉकअप में एक लड़के ने कहा है कि ये सब उन्होंने ज़ैन के कहने पर किया है। ज़ैन को कस्टडी में लिया जा रहा है। ज़ैन ने अरसलान और उसके दोस्तों को परेशान करने के लिए उन लड़कों को पैसे भी दिए थे।”
मिस्टर शमशेर गुस्से से बोले “ये सब क्या है ज़ैन ? कशिश तुमने तो हमें कोई और कहानी बताई थी। यहां तुम्हारे दोस्त सरे आम लड़कियों से बदतमीजी कर रहे हैं, और तुम हमें कुछ और बता रहे हो। ऐसे लड़कों के साथ उठना बैठना है तुम्हारा।”
मिस्टर शर्मा बोले “शमशेर साहब आपसे भी इंसान पहचानने में धोखा हो गया। जिन लड़कों को अभी आप सजा दिला रहे थे, वो मेरी क्लास के अच्छे स्टूडेंट्स में गिने जाते हैं।”
शमशेर खान बोले “आज हमसे कितना बड़ा गुनाह होते होते बचा है। हमको शर्म इस बात की है कि हमारी बेटी तक ने हमसे झूठ बोला। कशिश हमें यह उम्मीद न थी आपसे। सर शर्म से झुका दिया आपने हमारा।”
तभी वहां पुलिस आ जाती है, और ज़ैन को कस्टडी में ले लेती है। फिर प्रिंसिपल कहते हैं “आज जो हुआ उसने मेरा भी सर शर्म से झुका दिया। आप सब लोग अब जाइए। जो कुछ हुआ उसके लिए मैं माफी चाहता हूं।”
अरसलान बोला “इसमें माफ़ी की कोई बात नहीं है। हालात ऐसे बन गए थे। बस सर आपसे एक गुजारिश है कि, आप ईव टीजिंग के बारे में कुछ करिए।”
प्रिंसिपल बोले “हां जरूर करना है, और अब तुम लोगों से मिलकर ही इसका रास्ता निकालूंगा।” फिर वो सब बाहर आ गए।
मेरा नाम कशिश है!..इन्तिक़ाम की एक शाम!
अरसलान ने सोचा कि जाने से पहले लाइब्रेरी होता हुआ चलूं, वहां से उसे कुछ किताबें लेनी थी। अरसलान लाइब्रेरी जा ही रहा था कि रास्ते में कशिश ने उसका रास्ता रोक लिया।
कशिश बोली “जब से तुम यहां पर आए हो, तुमने हमको काफ़ी परेशान किया हुआ है। पहले किसी की इतनी हिम्मत नहीं हुआ करती थी कि हमको या ज़ैन को कोई कुछ कह भी सके। लेकिन जिस दिन से तुम यहां पर आए हो। बराबर हमारा रास्ता काट रहे हो। आज तुम्हारी वजह से ज़ैन की इतनी जिल्लत हुई है। हमको हमारे पापा के सामने शर्मिंदा करवा दिया तुमने। इसका बदला हम तुमसे जरूर लेंगे। इन सबका हिसाब जरूर देना होगा तुमको।”
अरसलान बोला “देखो कशिश न तो मैंने तुम्हारा रास्ता काटा है और न ही ज़ैन का, लेकिन जो हरकत तुमने की उसका जवाब देना जरूरी था। बाकी मैंने नहीं कहा था कि आप अपने फॉदर को इन सब चीज़ों में इंवॉल्व करिये। ये आपने खुद किया था, और उसके बाद हालात ने सच का साथ दिया। आपके दोस्तों ने जो किया वो बिल्कुल गलत था। अगर कोई किसी लड़की के साथ बदसलूकी करेगा, तो सजा तो उसे मिलेगी ही। और फिर सना और हिना तो मेरी दोस्त हैं। अगर कोई आपके साथ भी ऐसा करेगा, तो उसके साथ भी यही करुंगा मैं। बात को समझा करो। सही और गलत का फैसला करना सीखो।”
कशिश बोली “हमको न बताओ कि क्या सही है और क्या गलत है। तुम बस हिसाब देने के लिए तैयार रहना।” ये कह कर कशिश वहां से चली गई।
अरसलान सोचने लगा – अजीब पागल लड़की है। हमेशा गुस्से में ही रहती है। फिर वह भी वहां से लाइब्रेरी चला गया, और कुछ देर के बाद वह अपने कोचिंग सेंटर चला गया।
कोचिंग में उसने अपने क्लासेज पूरे किए तो कोचिंग के मालिक की रिक्वेस्ट पर उसने न्यूटन के कुछ स्टूडेंट्स के भी कुछ डाउट्स क्लियर करे। इस तरह कोचिंग से आते आते आज अरसलान को काफी देर हो गई थी। वह कैंपस की तरफ चला आ रहा था। कोई नहीं था उस सुनसान रोड पर।
तभी अचानक एकदम से एक कार की तेज हेडलाइट्स ने उसकी आंखे चुंधिया दी। और फिर उसे कार से एक ठोकर भी लगी। वह उछल कर दूर जाकर गिरा। अरसलान रोड की साइड में गिर पड़ा था। उसको काफ़ी चोटें भी आई थीं। उस कार से कशिश निकली और अरसलान के पास जा पहुंची।
कशिश बोली, “हमसे टकराने का अंजाम देख लो अरसलान। हम चाहते तो गाड़ी तुम पर भी चढ़ा सकते थे। लेकिन हमनें ऐसा नहीं किया। तुम्हारे लिए इतना ही काफ़ी है। लेकिन जाते जाते तुमको एक और चोट देंगे। तुमने भी हमें कई सारी चोटें जो दी हैं।” इतना कह कर कशिश कार के अंदर से एक बीयर की बॉटल निकाल कर ले आयी और फिर उसे अरसलान को दिखाते हुए बोली “इस बॉटल से हम तुम्हारे दिमाग को दुरुस्त करेंगे।”
अरसलान बोला “तुम पागल हो कशिश।”
कशिश ने बीयर की बॉटल खोलकर पीना शुरू कर दिया और फिर बोली हां हम पागल हैं, हम घमंडी हैं, क्योंकि हम कशिश हैं। कशिश शमशेर खान, जिसका रास्ता काटा है तुमने। हम अपने रास्ते को काटने वाले के साथ बहुत बुरी तरह पेश आते हैं। हमको याद रखना अरसलान, हम कशिश हैं।”
यह कहकर उसने वह बीयर की बॉटल अरसालान के सर पर मार कर तोड़ डाली। अरसलान दर्द से चीख पड़ा। कशिश हंसते हुए बोली “याद रखना अरसलान, हम कशिश हैं।” यह कह कर वह हंसते हुए अपनी कार की तरफ चली गई। फिर वह कार वहां से धूल उड़ाते हुए निकल गई। अरसलान उसे जाते हुए देखता रहा और दर्द की शिद्दत से बेहोश हो गया।
अरे ज़ालिम, लौट के आना ज़रूर!
अरसलान को जब होश आया तो उसने अपने आपको हॉस्पिटल में पाया। उसका सर दर्द से फटा जा रहा था, जगह-जगह चोटें लगी थीं, जिसमें दर्द हो रहा था। उसने इधर-उधर देखा तो कोई न था। उसने उठने की कोशिश की तभी दरवाज़े से रूबी अंदर आई।
“अरसलान उठना नहीं, डॉक्टर ने तुम्हें उठने से मना किया है।” रूबी ने उसे लिटाते हुए कहा।
“अल्लाह का शुक्र है कि तुमको होश आया। पूरे दो दिन बाद होश आया है तुमको।” रूबी ने कहा।
अरसलान “रूबी आपा मुझे यहां कौन लेकर आया?”
रूबी ने जवाब दिया “न्यूटन को तुम मिले थे। वही तुमको यहां लाया था। बाकी भी साथ ही हैं। मैं उन सबको बुलाती हूं। जब से तुम यहां आए हो, सब यहीं हैं। कोई भी घर नहीं गया।”
कुछ देर में राज, रोहित, न्यूटन, हिना और सना उसको घेरे बैठे थे।
राज बोला “यार क्या हुआ था, तेरी इतनी बुरी हालत कैसे हुई?”
“पता नहीं यार अंधेरा था, अचानक गाड़ी ने टक्कर मारी। फिर मैं रोड किनारे गिरा, एक कांच का टुकड़ा सर से टकरा गया।” अरसलान साफ झूठ बोल गया।
“कार किसकी थी, कोई नंबर वगैरह देखा?” रोहित ने पूछा।
“नहीं यार” अरसलान ने फिर झूठ बोला।
इसपर हिना बोली “अरे तुम लोग क्या सवाल-जवाब करने लगे। अरसलान को होश आ गया है, लेकिन अभी वह कमजोर है, अल्लाह का शुक्र अदा करो।”
“और नहीं तो क्या सब जेम्स बॉन्ड बनने लगे।” सना बोली।
तभी रूबी बोली “अच्छा अब तुम लोग घर जाओ, दो दिनों से यहीं हो। अब तो अरसलान को होश आ गया है। घर जाकर थोड़ा फ्रेश हो लो। कुछ खा के आ जाओ। तब तक मैं यहां हूं। और हां अब कोई एक या दो लोग ही यहां रुकेंगे। कौन यह तुम लोग तय कर लो।”
“ओके अरसलान हम लोग थोड़ी देर में आते हैं, तुझे कुछ खाने-पीने का दिल हो तो बता दे। लेता आऊंगा।” रोहित बोला।
अरसलान बोला “नहीं यार कुछ दिल नहीं कर रहा, तुम लोग जाओ, काफ़ी थके हुए हो मेरी वजह से।”
“यार तुम इतना तकल्लुफ न किया करो।” हिना ने बोला, तो सब हंसते हुए बाहर चले गए।
तभी डॉक्टर ने आकर अरसलान को कुछ इंजेक्शन दिए और बताया कि इससे उसका दर्द कफी कम हो जाएगा।
डॉक्टर के जाने के बाद अरसलान बोला “आपा आप भी जाइए, आप भी काफी थक गई हैं। इंजेक्शन से मुझे काफी आराम है।”
“इनमें से किसी को वापस आने दो।” रूबी ने कहा।
“आपा मैं ठीक हूं। कोई बात होगी तो नर्स को बुला लूंगा। आप परेशान न होइए।”
अभी अरसलान कह ही रहा था कि मिस्टर शर्मा और शमशेर खान अंदर दाखिल हुए।
“कैसे हो अरसलान?” शमशेर खान ने पूछा।
अरसलान ने कहा “ठीक हूं सर।”
मिस्टर शर्मा बोले “भगवान का धन्यवाद है जो तुम सही हो। हम सब तो घबरा ही गए जब तुम्हारे बारे में सुना। शाम को जैसे ही मैं घर पहुंचा, वैसे ही यहां आ गया। अब राहत मिली कि तुम ठीक हो।”
“हां, जैसे ही मिस्टर शर्मा से पता चला हम भी आ गए। अब कैसा लग रहा है।” शमशेर खान बोले।
अरसलान बोला “काफ़ी बेहतर लग रहा है। बाकी तो डॉक्टर्स जानें।”
“कैसे हो अरसलान?” उस आवाज़ की तरफ़ अरसलान ने देखा। सामने वह ज़ालिम खड़ी थी, अपने हसीन शफ़ाक़ चेहरे पर कातिल मुस्कुराहत लिए। हाथ में एक फूल का गुलदस्ता लिए।
अरसलान ने ज़बत के साथ जवाब दिया “बस ठीक हूं। आप यहाँ कैसे?”
कशिश बोली “कमाल करते हो अरसलान, हम एक साथ एक ही क्लास में पढ़ते हैं। मेरा इतना हक तो है न आप पर। देखो क्या हाल हुआ है तुम्हारा। अपना ख्याल रखा करो।”
शमशेर खान बोले “वैसे अरसलान बेटा क्या हुआ था?”
जवाब में अरसलान ने वही जवाब दिया जो उसने बाकी को दिया था।
जवाब सुनकर कशिश के होठों पर मुस्कुराहट खेल गई। अरसलान उसके सुर्ख होथों पर उस जहरीली मुस्कान को देखकर मुस्कुरा पड़ा।
“अच्छा तो अरसलान हम लोग चलते हैं, अपना ख्याल रखना।” मिस्टर शर्मा बोले।
“रूबी आपा, अब आप भी जाएं। मैं ठीक हूं।” अरसलान ने कहा।
“अच्छा ठीक है, अगर कोई बात हो तो फोन करना।” रूबी ने कहा। फिर वो सब चलने लगे।
तभी शमशेर खान बोले। “कशिश, अरसलान के पास एक ग्लास में पानी निकाल कर रख दो। और हां जरा कैंटीन से जाकर एक जूस का पैकेट ले आओ अरसलान के लिए। हम आपका गाड़ी में इंतज़ार करते हैं।”
कशिश न चाहते हुए भी कैंटीन की तरफ चली गई। फिर जब वह लौटी तो अरसलान अकेला था।
उसने पानी और जूस का पैकेट रखा।
अरसलान बोला “अच्छा लग रहा है, तुमसे खिदमत करवाते हुए।”
कशिश ने उसको घूर कर देखा तो अरसलान मुस्कुरा पड़ा।
कशिश जाने लगी तो अरसलान बोला “जूस ले आई हो तो एक ग्लास पिला भी देती तो सही रहता।”
कशिश ने जल भुनकर एक ग्लास जूस निकाल कर उसे देते हुए बोली “मेरा बस चले तो तुम्हें जहर पिला देती।”
अरसलान ने ग्लास पकड़ते हुए हस्ते हुए कहा “तुम्हारे हाथ लगाने से तो यह ऐसे ही जहर हो गया है। कोई और पिए तो तड़प कर मर जाता। वह तो मैं सख़्त जान हूं इसलिए बच गया। वैसे क्या देखने आई थी कि कहीं कोई कसर तो नहीं छूटी।”
कशिश बोली “अच्छा किया कि जो तुमने किसी को सच नहीं बताया। लगता है अपना अंजाम देखकर समझ आ गई। वरना बेकार में दोबारा यहां पड़े होते।”
अरसलान ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया “कशिश मुझे पता चला है कि जिस बॉटल से तुमने मुझे मारा था वह पुलिस को मिल गई। और वो उसके फिंगर प्रिंट्स मिला रहे हैं। कुछ लोगों के बयान से तुम्हारा भी नाम शक के दायरे में है। अब मैं बोलूं या न बोलूं, पुलिस तो तुमसे मिलने आएगी। अब तुम तो बस ज़ैन के पास जाने की तैयारी कर लो।”
कशिश के चेहरे का रंग बदल गया वह बोली “ये..ये सच नहीं है।”
अरसलान ने इतमीनान से जूस पीते हुए कहा “क्यों नहीं हो सकता। गुनाह छुपता तो है नहीं। वैसे अब पता नहीं कब तुमसे मिलना हो, लेकिन जेल में मैं जरूर आऊंगा। मेरा भी हक है इतना। वैसे इस अनार के जूस के लिए शुक्रिया। बिल्कुल सुर्ख है खून की तरह और तुम्हारे होंठों की तरह। ”
कशिश की हालत खराब थी। वह बोली “अरसलान क्या सच में पुलिस मुझे ले जाएगी?”
“हां, इसमें नई बात क्या है, अटेंप्ट टू मर्डर का केस बनेगा। कम से कम 10 साल।” कशिश और परेशान हो गई।
तब अरसलान बोला “तुम्हे पता है मैंने की को सच क्यों नहीं बताया! इस लिए नहीं बताया क्यूंकि तुम एक बुजदिल हो और बुजदिल की सजा तो खुद उसका खौफ़ होता है। तुमको तो वैसे ही इतना खौफ़ है, फिर मैं और क्या सजा दूँ तुम्हें। जाओ, आराम करो और सुकून की सांस लो, मैंने अभी जो कुछ कहा सब झूठ है। कोई पुलिस नहीं आने वाली, कुछ नहीं होने वाला तुम्हे।”
कशिश गुर्रा कर आगे बढ़ी “मैं तुम्हारा खून पी जाऊंगी अरसलान।” यह कह कर वह आगे बढ़ी तो लड़खड़ा कर अरसलान पर जा गिरी। अरसलान ने उसके चेहरे को देखा, गुस्से से लाल हो रहा था, पर उसके चेहरे पे गुस्सा भी ख़ूबसूरती ही बिखेर रहा था। उसके घने काले बाल महक रहे थे। सुर्ख होंठ जो उसके अरसलान के चेहरे के काफ़ी पास थे।
दोनों की सांसें एक दूसरे के चेहरे से टकराने लगीं। पहली बार अरसलान ने उसकी खूबसूरती को निहारा। उसकी झील जैसी आंखों में देखते हुए बोला “अब क्या सच में मेरा खून पीना है। किसी ने देख लिया तो क्या समझेंगे। यही कि तुमको इतना भी सब्र नहीं है। अब मैं ज़्यादा देर तुमको नहीं बर्दाश्त कर सकता। अगर कहीं मैं दर्द से चीख पड़ा तो इस बार तुम पक्का फंसोगी।”
कशिश हड़बड़ा के अलग हुई और बोली “निहायत बदतमीज शख्स हो तुम। तुम्हें देख लूंगी मैं।” कशिश पलट कर जाने लगी।
अरसलान ने हंसते हुए बोला। “कल फिर आना। हो सके तो एक जूस का पैकेट लेती आना। साथ में अपने घर से कुछ पका के भी लेती आना। साथ मिलकर खाएंगे। ”
कशिश उसे घूरते हुए कमरे से निकल गई। गुस्से से उसका चेहरा सुर्ख हो गया था। उसे अरसलान पर तेज गुस्सा आ रहा था।
अरसलान ने फिर हंसते हुए कहा “जालिम पलट कर आना ज़रूर।” फिर कशिश नहीं रुकी।
ज़ख़्मों की परवाह किसको है!
कुछ दिन बाद अरसलान हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुआ। सब दोस्तों के साथ रूबी ने उसे अपने घर बुलाया। वो उसकी सलामती के लिए बहुत खुश थे। इसलिए उन सबने मिलकर एक छोटी सी दावत की थी। सब दोस्त रूबी के घर पर मौजूद थे। वहां पर काफी अच्छा माहौल था। मिस्टर शर्मा और शमशेर खान को भी उस दावत में बुलाया गया था। कशिश भी न चाहते हुए वहां आई थी। सब काफ़ी खुश थे उस दिन। अरसलान भी बहुत खुश था।
“और लो अरसलान, कुछ खाओगे नहीं तो कमज़ोरी कैसे दूर होगी तुम्हारी।” रूबी ने अरसलान की प्लेट में बिरयानी डालते हुए कहा।
“अरे आपा क्या आज ही सब खिला देंगी आप। कितना तो खा चुका हूं। आपा मैं तो आता ही रहता हूं आपके घर। फिर कभी खा लूंगा। ले देके आपके अलावा मैं जाता ही कहां हूं।”
राज बोला “हां हम सब तो तेरे लिए गैर है न बेटा, हमारे घर कहां आएगा तू। जब तेरे को बोलो घर आने को तो कोई न कोई काम निकल आता है तेरा।”
“नहीं यार ऐसा नहीं है। अब जब तू कहेगा तब मैं तेरे साथ चलूंगा।” अरसलान बोला।
“हां अब बारी-बारी सबके घर आना है तेरे को। अब कोई भी बहाना नहीं चलेगा। जब देखो तकल्लुफ करता रहता है।” हिना बोली।
रोहित बोला “रूबी आपा, यह बताइए आज आप हमसे रेफ्यूजियों की तरह क्यों पेश आ रही हैं? मुझ मासूम को एक बार भी नहीं पूछा आपने।”
रूबी ने हंसते हुए बोला “हां भाई आप क्या लेंगे बताइए?”
रोहित बोला “आप ज़्यादा मेहनत न करिए बस मुझे वह बिरयानी की डिश दे दीजिए। बाकी मैं खुद देख लूंगा।”
सब ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे।
तब शमशेर खान बोले “अरसलान कभी हमारे घर भी आओ, बेटा। हम भी तो आपके अपने ही हैं।”
फिर शमशेर खान कशिश से बोले “अरे भाई, अपने क्लास फेलो को कभी बुलाओगी कि नहीं अपने घर। यह इस शहर में अकेला रहता है। अगर कभी आएगा हमारे घर तो इसका भी दिल बहल जाएगा, और हमें भी खुशी होगी।”
कशिश ने अरसलान को घूरते हुए कहा “जी कभी आइए न हमारे घर भी। थोड़ी खिदमत का मौका हमें भी तो दीजिए।”
अरसलान ने जवाब दिया “जी और कितनी खिदमत करेंगी आप। पहले ही आप हमारी काफ़ी खिदमत कर चुकी हैं। वैसे आऊंगा जल्द ही। आप लोगों की मोहब्बत को मैं टाल नहीं सकता।”
थोड़ी देर बाद सब खाना खा के फारिग हुए तो सब बाहर लॉन में आ गए। अरसलान एक तरफ खड़ा था। तभी कशिश उसके पास में आ कर खड़ी हो गई। उसने एक जहरीली मुस्कान के साथ अरसलान से कहा “खाना खाया सही से कि नहीं।”
अरसलान ने कहा “जी अल्लाह का शुक्र है।”
कशिश ने कहा “खा लो जी भर के, तुमको तो अभी बहुत कुछ झेलना है। तुमको काफ़ी ताक़त की ज़रूरत पड़ेगी।” यह कह कर वह जाने लगी। तभी अरसलान ने उसकी कलाई पकड़ कर उसे झटके से रोका।
अरसलान बोला “यह जो तुम शान और गुरूर से सर उठा के चल रही हो, उस गुरूर को मैं एक लम्हे में तोड़ सकता हूं। मुझे सिर्फ शमशेर साहब को तुम्हारी करतूत बतानी पड़ेगी। उसके बाद का अंजाम क्या होगा यह तुम खुद सोच सकती हो। पर मैं उनकी बहुत इज़्ज़त करता हूं। और न ही मैं तुम्हारी ज़िल्लत चाहता हूँ। इसलिए कूड़ा का शुक्र ऐडा करो की मैं चुप हूं।”
कशिश ने हाथ छुड़ाते हुए कहा “हमारी इज़्ज़त की तुम्हें इतनी फ़िक्र किस लिए है?”
अरसलान ने मुस्कुरा के जवाब दिया “आपकी इज़्ज़त के लिए तो हम ऐसे कई ज़ख्म अपने जिस्म के ऊपर झेल सकते हैं, ज़ख़्मों की परवाह किसको है। पर आप नहीं समझेंगी ये सब।” ये कह कर अरसलान आगे बढ़ गया। कशिश उसे जाते हुए देखती रही।
तेरी उल्फत में | वह पहला दिन और ज़िंदगी भर की दोस्ती की शरुवात! | क़िस्त 01
Unexpected Twists, Unexpected twists Hindi romantic revenge story, Romantic Revenge in Hindi: Unexpected Twists, Unexpected twists Love and Betrayal, Unexpected twists Vengeful love stories,